14 अगस्त : विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस… सत्ता मिली नेहरू-जिन्ना को, कत्ल और पलायन हुए लाखों-करोड़ों हिंदू

14 अगस्त 2025 को, हम उस तारीख को याद करते हैं जो हर हिंदू के दिल में एक काला घाव है—विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस। यह वह दिन है जब 1947 में सत्ता नेहरू-जिन्ना के हाथों में आई, और इसके फलस्वरूप लाखों-करोड़ों हिंदुओं का कत्ल हुआ, पलायन हुआ, और उनकी मातृभूमि छीनी गई।

15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं, लेकिन 14 अगस्त हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता से पहले क्या भयानक त्रासदी हुई। यह दिन हिंदू शौर्य और बलिदान की कहानी है, जो हमें अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए प्रेरित करता है। यह लेख उस विभीषिका की सच्चाई, हिंदुओं के दर्द, और सत्ता के लालच की करतूत को उजागर करता है।

विभाजन का पृष्ठभूमि: साजिश का खेल

14 अगस्त 1947 को भारत का बँटवारा हुआ, जिसने एक राष्ट्र को दो हिस्सों—भारत और पाकिस्तान—में तोड़ दिया। यह बँटवारा ब्रिटिश शासकों की डिवाइड एंड रूल नीति का परिणाम था, लेकिन नेहरू और जिन्ना की महत्वाकांक्षा ने इसे अमली जामा पहनाया। जिन्ना ने मुस्लिम लीग के साथ अलग पाकिस्तान की माँग की, जबकि नेहरू ने कांग्रेसी सत्ता के लिए हिंदू हितों की बलि चढ़ाई।

गांधी की कमजोर कूटनीति ने इस साजिश को और मजबूत किया। पंजाब, बंगाल, और सिंध में हिंसा का तूफान आया, जहाँ हिंदू परिवारों को उजाड़ा गया और मंदिरों को तोड़ा गया। यह दिन भारतमाता के सीने पर एक गहरा घाव बन गया।

कत्लेआम और पलायन: हिंदुओं का अनंत दुख

विभाजन के दौरान हिंदुओं पर अभूतपूर्व अत्याचार हुए। पंजाब में मुस्लिम भीड़ों ने सिखों और हिंदुओं का कत्लेआम किया, जहाँ नदियाँ लाशों से लाल हो गईं। बंगाल में जिहादी झुंडों ने हिंदू माताओं-बहनों का बलात्कार किया और बच्चों को मौत के घाट उतारा। अनुमान के अनुसार, 10-20 लाख लोग मारे गए, और लाखों-करोड़ों हिंदुओं को अपने घर-बार छोड़कर पलायन करना पड़ा। पश्चिमी पंजाब से दिल्ली तक और पूर्वी बंगाल से पश्चिम बंगाल तक, हिंदू शरणार्थियों की कतारें देखने को मिलीं। यह केवल पलायन नहीं था, बल्कि हिंदू संस्कृति का विनाश था, जहाँ मंदिर जला दिए गए और गाँव तबाह हो गए।

नेहरू-जिन्ना का अपराध: सत्ता का खूनी मोल

सत्ता नेहरू को मिली, सत्ता जिन्ना को मिली, लेकिन इसका मोल चुकाया आम हिंदुओं ने। नेहरू की सत्ता लालसा और जिन्ना की मजहबी जिद ने भारत को तोड़ा। नेहरू दिल्ली में शैंपेन की बोतलें खोल रहे थे, जबकि जिन्ना कराची में जश्न मना रहे थे। इस बीच, रावलपिंडी, लाहौर, और ढाका में हिंदुओं का खून बहाया जा रहा था। गांधी की अहिंसा की नीति ने इस हिंसा को रोकने में विफल रही। नेहरू का प्रधानमंत्री पद और देश की स्वतंत्रता की कीमत हिंदुओं के खून से चुकाई गई, जहाँ लाशों से भरी ट्रेनें भारत में आईं। यह सत्ता का वह खेल था जिसने हिंदू समाज को तोड़ा।

हिंदू शौर्य: प्रतिरोध की ज्वाला

इस त्रासदी में भी हिंदू शौर्य डटा रहा। पंजाब में सिख और हिंदू युवाओं ने अपनी बस्तियों की रक्षा के लिए हथियार उठाए। बंगाल में हिंदू संगठनों ने महिलाओं और बच्चों को बचाया। इन वीरों ने दिखाया कि हिंदू अस्मिता को कुचलना असंभव है। उनकी कुर्बानियाँ आज भी हमें प्रेरणा देती हैं कि अपनी मातृभूमि और धर्म की रक्षा के लिए हर बलिदान देना होगा। यह शौर्य हिंदू समाज की अनुपम शक्ति है, जो इस काले दिन के बावजूद जीवित रही।

तथाकथित सेक्यूलरिज्म की बिडंबना

भारत की तथाकथित सेक्यूलर राजनीति ने 14 अगस्त 1947 की विभीषिका को दबाने की कोशिश की। नेहरू-गांधी परिवार ने इस दर्द को इतिहास से मिटाने का प्रयास किया, लेकिन 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह साहसिक कदम उठाया। उन्होंने 14 अगस्त को “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” घोषित किया, जो हिंदू पीड़ा को मान्यता देता है। यह निर्णय उन वीरों को सम्मान देता है जिन्होंने इस त्रासदी का सामना किया और हिंदू अस्मिता को जिंदा रखा।

दीर्घकालिक प्रभाव: एक अनसुलझा घाव

विभाजन ने भारत को भौगोलिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक रूप से तोड़ा। हिंदू शरणार्थियों ने नई जिंदगी शुरू की, लेकिन उनका दर्द आज भी ताजा है। कश्मीर से पंजाब तक, हिंदू मंदिरों और संपत्तियों पर कब्जा हुआ। यह विभाजन भारत-पाकिस्तान के बीच शत्रुता का कारण बना और हिंदू समाज में एक गहरा घाव छोड़ गया। यह घाव हमें सतर्क रहने की सीख देता है।

स्मृति और संकल्प

14 अगस्त 2025 को, हम इस स्मृति दिवस पर उन हिंदुओं को याद करते हैं जिनका कत्ल हुआ और जो पलायन को मजबूर हुए। यह दिन हमें सिखाता है कि सत्ता के लालच और कमजोर नेतृत्व से देश को कितना नुकसान हो सकता है। आज भी जब हिंदू संस्कृति पर खतरे हैं, यह स्मृति हमें एकजुट होने और अखंड भारत के सपने को साकार करने की प्रेरणा देती है। 15 अगस्त के जश्न के साथ 14 अगस्त की विभीषिका को याद करना हमारा कर्तव्य है।

घाव को ज्वाला में बदलें

14 अगस्त 2025 को, हम विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर उन हिंदुओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिनका कत्ल हुआ और जो विस्थापित हुए। सत्ता नेहरू-जिन्ना को मिली, लेकिन इसका दंश हिंदुओं ने सहा। सुदर्शन परिवार इस स्मृति को अमर रखने और हिंदू गौरव को पुनर्जीवित करने का संकल्प लेता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि 14 अगस्त की कड़वी यादों को भूलना नहीं, बल्कि उसे एक ज्वाला बनाना है, जो अखंड भारत के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे।

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