उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पुलिस ने अपराधियों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है। पिछले 8 साल में यूपी पुलिस ने सख्ती के साथ 238 अपराधियों को एनकाउंटर में ढेर किया है, जिससे राज्य में कानून-व्यवस्था को मजबूत करने में बड़ी सफलता मिली है। यह आंकड़ा 20 मार्च 2017 से 14 जुलाई 2025 तक की अवधि का है, और यह दर्शाता है कि योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति ने अपराधियों में खौफ पैदा कर दिया है।
प्रभावशाली आंकड़े
इस दौरान यूपी पुलिस ने 14,741 मुठभेड़ों को अंजाम दिया, जिसमें 238 अपराधी मारे गए। इसके अलावा, 9,467 अपराधी घायल हुए, जबकि 30,694 को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, इस कठिन अभियान में 18 पुलिसकर्मी शहीद हुए और 1,711 घायल हुए। ये आंकड़े यूपी पुलिस की मेहनत और बलिदान को दर्शाते हैं, जो अपराध मुक्त समाज के लिए प्रतिबद्ध है।
क्षेत्रवार कार्रवाई
पुलिस की सख्ती का असर क्षेत्रवार भी दिखाई देता है। मेरठ में सबसे ज्यादा 80 अपराधी मारे गए, जबकि वाराणसी में 26 और आगरा में 20 अपराधियों का एनकाउंटर हुआ। लखनऊ में 15, बरेली में 15, कानपुर में 11, प्रयागराज में 10, और गोरखपुर में 8 अपराधियों को पुलिस ने ढेर किया। ये आंकड़े बताते हैं कि पुलिस ने हर कोने में अपराध पर लगाम कसी है।
जीरो टॉलरेंस का असर
2017 में सत्ता संभालने के बाद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति लागू की। इस नीति ने पुलिस को अपराधियों से निपटने में साहस दिया, जिसके परिणामस्वरूप मुठभेड़ों की संख्या में इजाफा हुआ। इसका मकसद अपराधियों में डर पैदा करना और राज्य में शांति कायम करना था। इस नीति के चलते कई अपराधी खुद थाने पहुंचकर सरेंडर कर चुके हैं। हालांकि, कुछ विपक्षी दलों ने इन कार्रवाइयों पर सवाल उठाए और जातिगत आधार पर कार्रवाई के आरोप लगाए, लेकिन पुलिस का दावा है कि सभी कार्रवाइयां कानून के दायरे में हुई हैं।
बड़े एनकाउंटर की कहानियां
पिछले सालों में यूपी पुलिस ने कई हाई-प्रोफाइल अपराधियों को नेस्तनाबूद किया। 2020 में कानपुर के कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे, जो 60 से ज्यादा मुकदमों में वांछित था, एनकाउंटर में मारा गया। 2023 में अतीक अहमद के बेटे असद अहमद और शूटर गुलाम को एसटीएफ ने उमेश पाल हत्याकांड के बाद ढेर किया। 2024 में सुल्तानपुर डकैती केस के एक लाख के इनामी मंगेश यादव और पीलीभीत में तीन खालिस्तानी आतंकियों का एनकाउंटर पुलिस की सख्ती का सबूत है।
जनता की प्रतिक्रिया
योगी सरकार की इस नीति से आम जनता में पुलिस के प्रति भरोसा बढ़ा है, लेकिन कुछ संगठनों ने मानवाधिकारों का हवाला देकर चिंता जताई है। फिर भी, राज्य में अपराध की घटनाओं में कमी और शांति का माहौल लोगों के लिए राहत की बात है।