उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में धर्मांतरण रैकेट के मास्टरमाइंड जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा ने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खेल रचा। जांच में खुलासा हुआ है कि छांगुर बाबा खुद को ‘भारत प्रतीकार्थ सेवा संघ’ नामक संस्था का अवध प्रांत महासचिव बताता था और इस संस्था का दावा था कि उसका संबंध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से है। इस संगठन का संचालन नागपुर से ईदुल इस्लाम नामक शख्स कर रहा था, जो छांगुर का करीबी सहयोगी है। दोनों ने मिलकर अधिकारियों और नेताओं पर धौंस जमाने के लिए फर्जी लेटरहेड का इस्तेमाल किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर भी शामिल थी।
जांच एजेंसियों ने पाया कि ईदुल इस्लाम ने नागपुर में एक फर्जी केंद्र बनाकर इस संगठन को चलाया। वह और छांगुर बाबा मुलाकातों के दौरान RSS के वरिष्ठ नेताओं का नाम लेकर अपनी साख बढ़ाने की कोशिश करते थे। इस चाल के जरिए वे न सिर्फ अधिकारियों को प्रभावित करते थे, बल्कि अपने अवैध गतिविधियों को वैध ठहराने की कोशिश भी करते थे। यूपी एटीएस ने इस रैकेट का भंडाफाश करते हुए छांगुर बाबा और ईदुल इस्लाम को नामजद आरोपी बनाया है।
छांगुर बाबा ने कमजोर तबकों को निशाना बनाकर धर्मांतरण का जाल बिछाया था। इसके लिए वह विदेशी फंडिंग का सहारा लेता था, जिसके जरिए उसने लाखों रुपये की संपत्ति जुटाई। जांच में सामने आया कि ईदुल इस्लाम ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर ग्राम समाज और तालाब की जमीनें फर्जी तरीके से हथियाने में भी मदद की। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हाल ही में छांगुर के 15 ठिकानों पर छापेमारी कर 60 करोड़ रुपये से ज्यादा की मनी लॉन्ड्रिंग का खुलासा किया है।
एटीएस और ED की संयुक्त जांच में यह भी पता चला कि छांगुर का नेटवर्क सिर्फ यूपी तक सीमित नहीं, बल्कि देश-विदेश में फैला हुआ था। उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, मनी लॉन्ड्रिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। योगी सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए उसकी संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया, और अब जांच एजेंसियां उसके अन्य सहयोगियों की तलाश में जुटी हैं।