बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण का मतदान शांतिपूर्वक संपन्न हुआ और इस बार मतदाताओं ने रिकॉर्ड उत्साह दिखाया। पहले चरण में कुल 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई, जहाँ सुबह से ही मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें दिखाई दीं। मतदान का अंतिम प्रतिशत 64.46 प्रतिशत दर्ज किया गया, जिसे अब तक का सबसे उच्च मतदान माना जा रहा है। चुनाव आयोग का अनुमान है कि अंतिम डेटा आने के बाद यह प्रतिशत थोड़ा और बढ़ सकता है। मतदान में जिस तरह का जोश देखा गया, उससे यह स्पष्ट है कि मतदाता इस बार अपनी सरकार चुनने को लेकर काफी गंभीर और सजग हैं।
इस चरण में बड़े नेताओं, मंत्रियों और नए उम्मीदवारों सहित कुल 1314 प्रत्याशियों की किस्मत EVM में कैद हो गई है। दिलचस्प बात यह रही कि ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक सभी जगह भारी भागीदारी देखने को मिली। महिलाएं इस बार पुरुषों के बराबर, बल्कि कई जगह उनसे अधिक संख्या में वोट देने पहुंचीं। पहली बार वोट डालने वाले युवाओं में भी जबरदस्त उत्साह था। सोशल मीडिया और घर-परिवार के स्तर पर चल रहे जागरूकता अभियान ने युवाओं को मतदान के प्रति प्रेरित किया। कई मतदान केंद्रों पर युवा सेल्फी प्वाइंट बनाकर लोकतंत्र के प्रति अपनी उत्सुकता दिखाते नजर आए।
पहले चरण के मतदान में इस उत्साह का एक बड़ा कारण मतदाता सूची का व्यापक संशोधन माना जा रहा है। इस बार बड़ी संख्या में नए मतदाता सूची में जुड़े और पुराने रिकॉर्ड को सही किया गया। चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया पर विशेष ध्यान दिया, जिससे ज्यादा से ज्यादा वास्तविक मतदाताओं को इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने का अवसर मिला। इसके साथ ही सुरक्षा व्यवस्था भी अत्यंत कड़ी रही। संवेदनशील और अति-संवेदनशील बूथों पर केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी और कई जगहों पर वेबकास्टिंग की भी सुविधा दी गई, ताकि मतदान प्रक्रिया पर लगातार नजर रखी जा सके।
इस चरण में राजनीतिक दलों की सक्रियता भी अपने चरम पर रही। विभिन्न दलों ने इसे अपने लिए निर्णायक माना है, क्योंकि पहले चरण के नतीजे अक्सर चुनाव की दिशा तय करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। सत्ताधारी दल जहां बढ़े हुए मतदान को अपने विकास कार्यों पर जनता के विश्वास के रूप में देख रहा है, वहीं विपक्ष इसे बदलाव की शुरुआत बता रहा है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि केवल बढ़े हुए मतदान से यह तय नहीं किया जा सकता कि जनभावना किस दिशा में जा रही है। यह संभव है कि बढ़ी भागीदारी सत्तारूढ़ सरकार के प्रति समर्थन का संकेत हो या फिर जनता परिवर्तन की इच्छा के साथ वोटिंग बूथों तक पहुंची हो। असल तस्वीर परिणाम आने के बाद ही साफ होगी।
अब बिहार की राजनीतिक हवा दूसरे चरण की ओर बढ़ रही है, जिसका मतदान 11 नवंबर को होगा। इस चरण में भी बड़े चेहरे मैदान में हैं और मुकाबले कई सीटों पर बेहद दिलचस्प होने की उम्मीद है। मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी, जो यह तय करेगी कि पहले चरण में दिखा रिकॉर्ड मतदान किसकी जीत में तब्दील होता है।
