उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (एडीजे कोर्ट) ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने मुख्य आरोपी पुलकित आर्या और उसके दो साथियों, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता, को आजीवन कारावास की सजा दी। तीनों पर 19 साल की अंकिता भंडारी की हत्या, साक्ष्य मिटाने और अनैतिक देह व्यापार का आरोप सिद्ध हुआ। हालांकि, अंकिता के परिजनों ने इस सजा को अपर्याप्त बताते हुए ऊपरी अदालत में जाने की बात कही है।
क्या है अंकिता भंडारी हत्याकांड?
अंकिता भंडारी पौड़ी गढ़वाल के दोभ-श्रीकोट की रहने वाली थी। 19 साल की उम्र में उसने अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए नौकरी शुरू की थी। उसने देहरादून से होटल मैनेजमेंट का डिप्लोमा किया और 28 अगस्त 2022 को ऋषिकेश के पास वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी जॉइन की। लेकिन नौकरी शुरू करने के कुछ हफ्तों बाद ही उसकी जिंदगी एक दर्दनाक हादसे में बदल गई।
18 सितंबर 2022 की शाम को अंकिता आखिरी बार रिजॉर्ट से निकलते हुए देखी गई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, वह रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्या के स्कूटर पर पीछे बैठी थी, जबकि रिजॉर्ट के दो कर्मचारी, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता, एक दूसरी मोटरसाइकिल पर उनके पीछे थे। पशुलोक बैराज के सीसीटीवी फुटेज में भी अंकिता को आखिरी बार इसी स्कूटर पर देखा गया। इसके बाद वह लापता हो गई। छह दिन बाद, 24 सितंबर 2022 को उसका शव चीला नहर से बरामद हुआ। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में डूबने से मौत की पुष्टि हुई, लेकिन शरीर पर चोट के निशान और मेडिकल जांच से यह साफ हुआ कि उसे नहर में जोर से धक्का दिया गया था।
कोर्ट में क्या हुआ?
मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया, जिसने 500 पेज की चार्जशीट दाखिल की। चार्जशीट में 97 गवाहों के नाम थे, जिनमें से 47 ने कोर्ट में बयान दिए। सुनवाई 28 मार्च 2023 से शुरू हुई और 2 साल 8 महीने तक चली। अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में कई अहम सबूत पेश किए।
पहला बड़ा सबूत अंकिता की व्हाट्सएप चैट थी, जिसमें उसने अपने दोस्त पुष्प को अपनी परेशानी बताई थी। एक चैट में उसने लिखा, “मैं गरीब हूँ, लेकिन क्या 10,000 रुपये में खुद को बेच दूँ?” अभियोजन पक्ष ने बताया कि रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्या अंकिता पर “वीआईपी मेहमानों” को “अतिरिक्त सेवाएं” देने का दबाव डाल रहा था। अंकिता ने इसका विरोध किया, जिसके बाद उसकी हत्या कर दी गई।
दूसरा सबूत गवाहों के बयान थे। 18 सितंबर की शाम को गवाहों ने अंकिता को फोन पर रोते हुए सुना था। वह किसी से कह रही थी, “मुझे यहाँ से ले जाओ।” उसने रिजॉर्ट के स्टाफ से अपना बैग सड़क तक ले जाने को भी कहा था। इसके बाद उसे रिजॉर्ट से निकलते हुए देखा गया। मेडिकल रिपोर्ट ने भी हत्या की पुष्टि की। टीम ने बताया कि अंकिता नहर में दुर्घटनावश नहीं गिरी, बल्कि उसे तेज गति से धक्का दिया गया था।
कोर्ट का फैसला और सजा
30 मई 2025 को जज रीना नेगी की कोर्ट ने तीनों आरोपियों को हत्या, साक्ष्य मिटाने और अनैतिक देह व्यापार के आरोपों में दोषी पाया। कोर्ट ने पुलकित आर्या, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही, कोर्ट ने तीनों पर 1-1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। फैसले के दौरान कोर्ट परिसर में भारी सुरक्षा व्यवस्था थी, क्योंकि इस मामले ने स्थानीय लोगों में काफी गुस्सा पैदा किया था।
परिजनों की प्रतिक्रिया: ‘हमें फांसी की सजा चाहिए’
अंकिता के माता-पिता इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। अंकिता के पिता वीरेंद्र सिंह भंडारी ने कोर्ट के बाहर मीडिया से बात करते हुए कहा, “मेरी बेटी को इंसाफ नहीं मिला। हत्यारों को आजीवन कारावास नहीं, फांसी की सजा मिलनी चाहिए। हम ऊपरी अदालत में जाएंगे।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस मामले में एक “वीआईपी” का नाम सामने नहीं आया, जिसे राजनीतिक संरक्षण दिया गया। अंकिता की माँ ने रोते हुए कहा, “हमारी बेटी को वापस तो नहीं ला सकते, लेकिन कम से कम उसे पूरा इंसाफ तो मिले।”
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
अंकिता भंडारी हत्याकांड ने 2022 में पूरे देश को झकझोर दिया था। इस मामले ने सत्ता के दुरुपयोग और महिलाओं की सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े किए। पुलकित आर्या के पिता विनोद आर्या बीजेपी के नेता थे, जिसके चलते विपक्ष ने सरकार पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया। घटना के बाद बीजेपी ने विनोद आर्या और उनके बड़े बेटे अंकित आर्या को पार्टी से निष्कासित कर दिया। वनंत्रा रिजॉर्ट को भी बुलडोजर से ढहा दिया गया। लेकिन लोगों का गुस्सा कम नहीं हुआ। कोटद्वार, पौड़ी, और देहरादून में कई दिनों तक प्रदर्शन हुए।
बचाव पक्ष का दावा
बचाव पक्ष ने कोर्ट में दावा किया कि अंकिता ने आत्महत्या की थी। उनके वकील ने कहा कि अंकिता उदास थी, क्योंकि वह अपने घर से दूर जाना चाहती थी और अपने दोस्त से शादी करना चाहती थी। लेकिन कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया। जज ने कहा कि सबूत साफ तौर पर हत्या की ओर इशारा करते हैं।
यह मामला क्यों अहम है?
अंकिता भंडारी हत्याकांड केवल एक हत्या का मामला नहीं है। यह उन तमाम सवालों को उठाता है, जो हमारे समाज और सिस्टम से जुड़े हैं। एक साधारण परिवार की लड़की अपने सपनों को पूरा करने के लिए घर से निकली थी, लेकिन सत्ता और पैसे के दुरुपयोग ने उसकी जिंदगी छीन ली। इस मामले ने यह भी दिखाया कि रसूखदार लोगों को सजा दिलाने में कितनी मुश्किलें आती हैं। अंकिता के परिजनों का कहना है कि जब तक उस “वीआईपी” का नाम सामने नहीं आएगा, तब तक उन्हें लगेगा कि इंसाफ अधूरा है।
आगे क्या?
अभियोजन पक्ष ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन अंकिता के परिजनों की नाराजगी साफ है। वे अब हाई कोर्ट में अपील करने की तैयारी कर रहे हैं। दूसरी ओर, बचाव पक्ष ने भी सजा के खिलाफ अपील करने की बात कही है। इस मामले की सुनवाई अभी खत्म नहीं हुई है, और आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि क्या अंकिता को पूरा इंसाफ मिल पाता है।
अंकिता भंडारी का यह हत्याकांड हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि समाज में अभी बहुत कुछ बदलना बाकी है। महिलाओं की सुरक्षा, सत्ता का दुरुपयोग और न्यायिक पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर हमें गंभीरता से काम करना होगा। अंकिता की कहानी हर उस बेटी की कहानी है, जो अपने सपनों को पूरा करना चाहती है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम ऐसा समाज बनाएं, जहाँ हर बेटी बिना डर के अपने सपने जी सके।