कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत-चीन सीमा विवाद पर एक बयान दिया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज उन्हें कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि अगर वे सच्चे भारतीय होते, तो ऐसी बातें नहीं कहते। कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राहुल गांधी पर निशाना साधा है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस को आड़े हाथों लिया।
बीजेपी का आरोप: राहुल सेना का मनोबल तोड़ रहे
गौरव भाटिया ने कहा, “आज का मुख्य मुद्दा अपरिपक्व और गैरजिम्मेदार नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बयानों को लेकर है। उन्होंने संविधान की शपथ ली है, लेकिन उसे कमजोर करने का काम भी कर रहे हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि राहुल गांधी और कांग्रेस हमारी सेना का मनोबल तोड़ने में लगे हैं।”
कोर्ट की टिप्पणी पर बीजेपी की प्रतिक्रिया
बीजेपी नेता ने बताया कि राहुल गांधी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जहां मानहानि मामले में उनके खिलाफ समन जारी हुआ था। हाईकोर्ट ने समन पर रोक नहीं लगाई, जिसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुनवाई के दौरान दो जजों की बेंच ने राहुल की भारतीयता पर गंभीर सवाल उठाए। भाटिया ने कहा, “एक भारतीय अपनी सेना के खिलाफ कैसे कह सकता है कि वह चीनी सेना से हार रही है?”
राहुल के बयानों पर सवाल
भाटिया ने पूछा, “राहुल गांधी कांग्रेस के नेता और नेता प्रतिपक्ष के रूप में कितने परिपक्व हैं? गलवान जैसे गंभीर मुद्दे के दौरान, जब हमारी सेना लड़ रही थी, उन्होंने बिना सबूत के भारत विरोधी और सेना का मनोबल तोड़ने वाले बयान क्यों दिए?” उन्होंने सुझाव दिया कि हर मुद्दे को संसद में तथ्यों के साथ उठाया जाना चाहिए, न कि सोशल मीडिया पर। यह पहली बार नहीं है जब राहुल ने ऐसी मानसिकता दिखाई हो।
पूरा मामला क्या है?
2022 में गलवान में भारतीय सेना ने वीरता दिखाते हुए चीनी सैनिकों को खदेड़ा था। इस घटना पर 9 दिसंबर 2022 को राहुल गांधी ने दावा किया कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय जमीन पर कब्जा कर लिया है और भारतीय सेना चीनी सैनिकों से पराजित हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल को नसीहत देते हुए कहा, “आपको 2000 वर्ग किलोमीटर पर चीन के कब्जे की जानकारी कैसे हुई? आपके पास क्या ठोस सबूत हैं? अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो ऐसा नहीं कहेंगे। सीमा पर संघर्ष के दौरान ऐसी बातें करना उचित नहीं। आप इसे संसद में क्यों नहीं उठाते?” जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कई सख्त सवाल पूछे और सलाह दी कि बिना सबूत के सोशल मीडिया पर बयानबाजी से बचें।