उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के ग्रामीण इलाक़े में दो वर्षों से चुपचाप चल रहे एक संगठित धर्मांतरण नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। खरहरा गाँव के एक छोटे से चर्च की आड़ में हिंदू परिवारों को ईसाई बनाने का यह सिलसिला जारी था, लेकिन एक स्थानीय युवक की सतर्कता ने पूरे मिशनरी गिरोह को सामने ला दिया।
रविवार, 14 दिसंबर 2025 को पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए चर्च के पादरी भोलानाथ पटेल सहित कुल 11 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें 8 महिलाएँ भी शामिल हैं। पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज एफआईआर में इस पूरे नेटवर्क की कार्यप्रणाली, संपर्क और गतिविधियों का विस्तृत उल्लेख है।
सूत्रों के अनुसार, 25 दिसंबर को क्रिसमस के मौके पर बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कराने की योजना बनाई गई थी। यह नेटवर्क कैसे खड़ा हुआ, दो वर्षों में सैकड़ों परिवार इसके दायरे में कैसे आते चले गए और अंततः यह साजिश किस तरह उजागर हुई—इस ग्राउंड रिपोर्ट में पूरे मामले की परतें सामने आती हैं।
किसान की सतर्कता से खुला धर्मांतरण का नेटवर्क
मिर्जापुर का यह इलाका विंध्याचल की पहाड़ियों और गंगा के तट के बीच बसा है, जहाँ गरीबी और बेरोज़गारी आम वास्तविकता है। छोटे गाँवों में किसान, मज़दूर और दिहाड़ी पर काम करने वाले परिवार किसी तरह जीवन चला रहे हैं। कुरकुठिया गाँव के रहने वाले आनंद दुबे (35) भी ऐसे ही एक साधारण किसान हैं। दो छोटे बच्चे और लंबे समय से बीमार पत्नी के कारण घर की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है।
आनंद बताते हैं, “एक हफ्ते पहले एक आदमी आया। नाम बताया भोलानाथ पटेल, खुद को पादरी कह रहा था। उसने कहा—‘तुम्हारी सारी परेशानियाँ खत्म हो जाएँगी, जीसस के रास्ते पर आ जाओ। पैसे मिलेंगे, बच्चों की पढ़ाई फ्री होगी, बीवी का इलाज भी मुफ्त होगा।’ पहले लगा कि क्या ही नुकसान होगा, लेकिन जब रविवार को चर्च बुलाया गया और अंदर का माहौल देखा, तो मुझे कुछ गड़बड़ लगा।”
2023 से खरहरा चर्च में चल रहा था धर्मांतरण
जाँच और स्थानीय लोगों की जानकारी के अनुसार, 2023 के अंत से खरहरा गाँव के चर्च में लगातार धर्मांतरण कराया जा रहा था। कई लोगों ने अपने पारंपरिक नाम छोड़कर नए ईसाई नाम अपना लिए थे। बाहर से साधारण दिखने वाला यह चर्च भीतर से पूरी तरह सुसज्जित था और आसपास के गाँव—कुरकुठिया, बढ़ौली, लेढ़ू और जसोहर पहाड़ी—से लोगों को नियमित रूप से यहाँ लाया जाता था।
बीमारी, कर्ज़ और बेरोज़गारी से जूझ रहे लोगों को चमत्कारी इलाज, आर्थिक मदद और बच्चों की शिक्षा का लालच देकर धर्म बदलवाया जा रहा था।
एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “बहू बीमार थी, डॉक्टरों ने ऑपरेशन के लिए 50 हजार रुपये बताए। पादरी आए और बोले—‘जीसस सब ठीक कर देंगे।’ हमें प्रार्थना में बैठाया गया, नाम बदलवाया गया। पैसे भी मिले, लेकिन बाद में समझ आया कि हमसे धोखा हुआ है।” उसने यह भी बताया कि धर्मांतरण के समय वीडियो और फोटो बनाए गए, जिससे अब डर के कारण वे वापस लौटने की हिम्मत नहीं कर पा रहे।
पादरी भोलानाथ पटेल संभाल रहा था पूरा खेल
पुलिस जाँच में सामने आया है कि इस पूरे धर्मांतरण नेटवर्क की कमान पादरी भोलानाथ पटेल के हाथ में थी। वह मूल रूप से गाजीपुर जिले के रेवतीपुर थाना क्षेत्र के तिवला गाँव का निवासी है। पहले वह लखनऊ में रह चुका है और एक निजी ईसाई स्कूल में शिक्षक के रूप में भी काम कर चुका है।
पुलिस के अनुसार, भोलानाथ ने स्थानीय स्तर पर महिला प्रचारकों का एक समूह तैयार किया था, जो घर-घर जाकर लोगों की आर्थिक और पारिवारिक कमजोरियों की पहचान करते थे और फिर उन्हें चर्च से जोड़ते थे।
फिलहाल पुलिस इस नेटवर्क की फंडिंग, बाहरी संपर्कों और संभावित अंतरराज्यीय कड़ियों की जाँच कर रही है। मिर्जापुर में सामने आया यह मामला केवल एक स्थानीय घटना नहीं, बल्कि उस संगठित प्रयास की झलक है, जिसमें समाज के सबसे कमजोर वर्गों को निशाना बनाकर उनकी आस्था और मजबूरी का दुरुपयोग किया जा रहा था।
