128 FIR, 32 गिरफ्तारियाँ… कोडिन के काले साम्राज्य को खत्म कर रही योगी सरकार

उत्तर प्रदेश आज उस दौर से बहुत आगे निकल चुका है, जब नशा तस्कर, माफिया और अपराधी बेखौफ होकर समाज को खोखला करते थे। कोडिन युक्त कफ सिरप के अवैध कारोबार पर योगी सरकार की ताज़ा कार्रवाई न सिर्फ एक बड़ी पुलिस सफलता है, बल्कि यह नए उत्तर प्रदेश की सोच, इच्छाशक्ति और निर्णायक शासन मॉडल का प्रमाण भी है।
128 एफआईआर, 32 गिरफ्तारियाँ, भारी मात्रा में अवैध दवाओं की बरामदगी और पूरे नेटवर्क का खुलासा—यह सब बताता है कि सरकार अब सिर्फ सतह पर नहीं, बल्कि अपराध की जड़ों पर वार कर रही है।

यह लड़ाई सिर्फ कानून-व्यवस्था की नहीं है,
यह लड़ाई युवाओं के भविष्य, समाज की नैतिकता और राष्ट्र की शक्ति की है।


कोडिन: इलाज की दवा कैसे बना दी गई नशे की फैक्ट्री

कोडिन एक नियंत्रित औषधि है, जिसका सीमित और चिकित्सकीय उपयोग खांसी जैसी बीमारियों में किया जाता है। लेकिन लालच और मुनाफाखोरी में डूबे तस्करों ने इसे नशे का सस्ता विकल्प बना दिया।
छोटे कस्बों, ग्रामीण इलाकों और शहरी बस्तियों में यह सिरप युवाओं को धीरे-धीरे नशे की गिरफ्त में ले जाता रहा। कई परिवारों ने अपने बच्चों को खोया, कई घर आर्थिक और मानसिक रूप से टूट गए।

यह सिर्फ अवैध कारोबार नहीं था,
यह भारत की युवा शक्ति को कमजोर करने की साजिश थी।


पहले संरक्षण, अब कार्रवाई — यही फर्क है

अतीत में ऐसे अवैध कारोबार अक्सर राजनीतिक संरक्षण के सहारे चलते थे। कार्रवाई होती भी थी तो सिर्फ दिखावे के लिए।
लेकिन योगी सरकार ने सत्ता में आते ही यह स्पष्ट कर दिया कि—

अपराधी की कोई जाति, धर्म, दल या पहचान नहीं होती। अपराध हुआ है, तो सजा तय है।

इसी नीति के तहत कोडिन के पूरे नेटवर्क पर एक साथ प्रहार किया गया—
फैक्ट्रियों से लेकर मेडिकल स्टोर तक,
गोदामों से लेकर ट्रांसपोर्ट रूट तक।


योगी मॉडल: सख्ती + सिस्टम = परिणाम

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने जिस “योगी मॉडल” को अपनाया है, उसकी बुनियाद तीन मजबूत स्तंभों पर टिकी है—

  1. Zero Tolerance Policy

  2. मजबूत प्रशासनिक इच्छाशक्ति

  3. जमीन पर सटीक और त्वरित कार्रवाई

इस अभियान में यूपी पुलिस, STF, ड्रग कंट्रोल विभाग और खुफिया एजेंसियों ने मिलकर काम किया। महीनों की निगरानी, तकनीकी इनपुट और जमीनी सूचना के आधार पर एक-एक कड़ी को तोड़ा गया।


128 FIR: यह संख्या सिस्टम की सक्रियता दिखाती है

128 एफआईआर दर्ज होना यह बताता है कि कार्रवाई किसी एक जिले या इलाके तक सीमित नहीं रही।
यह पूरे प्रदेश में फैले नेटवर्क के खिलाफ एकसाथ चला अभियान था।

इन मामलों में—

  • अवैध निर्माण

  • फर्जी लाइसेंस

  • नकली लेबल

  • बिना अनुमति भंडारण

  • और गैरकानूनी बिक्री

जैसे गंभीर अपराध सामने आए हैं।

यह साफ है कि सरकार ने केवल लक्षणों का इलाज नहीं किया, बल्कि बीमारी की जड़ तक पहुंची


32 गिरफ्तारियाँ: बड़े चेहरे, बड़ा संदेश

गिरफ्तार लोगों में सिर्फ छोटे विक्रेता नहीं, बल्कि—

  • फैक्ट्री संचालक

  • थोक सप्लायर

  • नेटवर्क मैनेजर

  • और लॉजिस्टिक्स संभालने वाले लोग

शामिल हैं।
यह वही लोग हैं, जो वर्षों से सिस्टम की कमजोरियों का फायदा उठाकर करोड़ों का अवैध कारोबार चला रहे थे।

आज वही लोग जेल में हैं—
और यही नए उत्तर प्रदेश की पहचान है।


युवाओं के लिए साफ संदेश: नशे का नहीं, राष्ट्र निर्माण का रास्ता

योगी सरकार जानती है कि अगर युवा सुरक्षित हैं, तो प्रदेश और देश सुरक्षित है।
नशा सिर्फ शरीर नहीं, सोच, संस्कार और आत्मविश्वास को भी खत्म करता है।

इसलिए यह कार्रवाई केवल दंडात्मक नहीं, बल्कि संरक्षणात्मक भी है—
युवाओं को नशे से बचाने की कोशिश,
परिवारों को टूटने से रोकने का प्रयास।


फार्मा सेक्टर में सफाई अभियान

योगी सरकार की सख्ती का असर यह भी है कि फार्मा सेक्टर में ईमानदार कारोबारी खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
जो नियमों के तहत काम कर रहे हैं, उन्हें डरने की जरूरत नहीं।
लेकिन जो दवा की आड़ में नशा बेच रहे थे, उनके लिए—

कोई माफी नहीं।

लाइसेंस रद्द, जुर्माना और कानूनी कार्रवाई—तीनों मोर्चों पर सरकार स्पष्ट है।


सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी जरूरी कदम

नशा केवल कानूनी मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक संकट भी है।
योगी सरकार का यह अभियान उस सोच का हिस्सा है, जो मानती है कि—

  • मजबूत कानून

  • मजबूत प्रशासन

  • और मजबूत समाज

मिलकर ही किसी बुराई को खत्म कर सकते हैं।

इसीलिए सरकार जागरूकता अभियानों, नशामुक्ति केंद्रों और काउंसलिंग पर भी ध्यान दे रही है।


आलोचकों के लिए जवाब: परिणाम खुद बोलते हैं

कुछ लोग हर सख्ती को “दमन” कहने की आदत रखते हैं।
लेकिन योगी सरकार बयानबाज़ी में नहीं, आंकड़ों और परिणामों में विश्वास रखती है।

  • 128 एफआईआर

  • 32 गिरफ्तारियाँ

  • करोड़ों का अवैध माल जब्त

यही असली जवाब है।


आगे की रणनीति: ताकि दोबारा न खड़ा हो सके ऐसा साम्राज्य

सरकार अब दवा सप्लाई चेन को पूरी तरह पारदर्शी बनाने की दिशा में काम कर रही है—

  • डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम

  • ई-लाइसेंसिंग

  • रियल-टाइम मॉनिटरिंग

  • अंतरराज्यीय समन्वय

ताकि भविष्य में कोई भी कोडिन या किसी अन्य नशीले पदार्थ के जरिए समाज को नुकसान न पहुँचा सके।


निष्कर्ष: यही है नया उत्तर प्रदेश

कोडिन के काले साम्राज्य पर योगी सरकार का यह प्रहार सिर्फ एक कार्रवाई नहीं, बल्कि एक युगांतकारी संदेश है—

उत्तर प्रदेश अब माफिया का नहीं,
उत्तर प्रदेश अब नशे का नहीं,
उत्तर प्रदेश अब डर का नहीं,
उत्तर प्रदेश अब सुशासन, सुरक्षा और संस्कार का प्रदेश है।

128 FIR और 32 गिरफ्तारियाँ इस बदलाव की गूंज हैं।
और यह गूंज आने वाले समय में और तेज़ होने वाली है।

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