गंगोत्री-यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद भक्तों को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने का बेसब्री से इंतजार था। उनका यह इंतजार आज यानि 4 मई को खत्म हो गया। उत्तराखंड के चारधाम में से चौथे और अंतिम धाम बद्रीनाथ के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं। पूरे विधि विधान और वैदिक मंत्रोचार के साथ सुबह 6 बजे कपाट खोले गए। इस दौरान पूरा बद्रीनाथ धाम जय बद्री विशाल के जयकारों से गूंज उठा।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सेना के बैंड की मधुर धुनों और श्रद्धालुओं के जय बद्री विशाल के उद्घोष के बीच बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले। बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलते ही श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की गई।
पावन पल के साक्षी बने हजारों भक्त
बद्रीनाथ मंदिर को खास मौके पर 40 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। हजारों की संख्या में इकट्ठा हुए लोग इस पावन पल के साक्षी बने। इस दौरान भक्तों में गजब का उत्साह देखने को मिला। पूरा माहौल भक्तिमय हो गया।
बद्रीनाथ धाम में पूजा-अर्चना करेंगे सीएम धामी
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी श्री बद्रीनाथ धाम पहुंचे है। वह श्री बद्रीनाथ धाम में पूजा-अर्चना करेंगे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज का दिन बहुत ही शुभ है। मैं उत्तराखंड आने वाले सभी श्रद्धालुओं का स्वागत करता हूं। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि सभी की यात्रा सुखद हो। सभी व्यवस्थाएं कर ली गई हैं, चारधाम यात्रा थोड़ी कठिन है लेकिन उसके बावजूद भी प्रयास किए गए हैं कि यात्रा में कम से कम कठिनाई हो और यात्रा सुरक्षित हो, इसके लिए सभी विभागों की समीक्षा की गई है और आगे भी समीक्षा की जा रही है।
बद्रीनाथ धाम से जुड़ी मान्यता
मान्यता है कि जहां बद्रीनाथ धाम स्थित है, वहां पहले भगवान शिव निवास किया करते थे। हालांकि बाद में भगवान विष्णु इस जगह पर रहने लगे। भगवान शिव और भगवान विष्णु एक दूसरे को बहुत मानते तो थे ही, साथ ही एक दूसरे के आराध्य भी थे। मान्यता है कि जो भक्त चार धाम के दर्शन कर लेता है वो जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति कर लेता है। चार धाम यात्रा में बद्रीनाथ को अंतिम पड़ाव माना गया है। यहां बिना दर्शन किए चार धाम यात्रा अधूरी मानी जाती है।
परंपरा के मुताबिक, बद्रीनाथ धाम में छह महीने मानव और छह महीने देव पूजा होती है। शीतकाल के दौरान यहां पर देवर्षि नारद भगवान नारायण की पूजा करते हैं। इस दौरान भगवान बद्री विशाल के मंदिर में सुरक्षाकर्मियों के अलावा और कोई नहीं रहता।
2 मई को खुले केदारनाथ धाम के कपाट
इससे पहले, 2 मई को चारधाम यात्रा के तीसरे मुख्य धाम केदारनाथ के कपाट खोले गए थे। इस दौरान चारों ओर बाबा के जयकारों ‘हर हर महादेव’ और ‘बम-बम भोले’ की गूंज सुनने को मिली। 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा की शुरुआत हो गई है। इससे पहले अक्षय तृतीया के मौके पर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए गए थे।