उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शताब्दी समारोह के अवसर पर हलाल सर्टिफिकेशन को लेकर कड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि यूपी में हलाल सर्टिफिकेशन पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। अब कोई भी संस्था हलाल सर्टिफिकेट के नाम पर अपने उत्पाद नहीं बेच सकेगी। सीएम योगी ने उपभोक्ताओं से अपील की कि सामान खरीदते समय जीएसटी जरूर चेक करें, लेकिन हलाल सर्टिफिकेशन वाले उत्पादों से दूर रहें।
मुख्यमंत्री ने खुलासा किया कि हलाल सर्टिफिकेशन से देशभर में 25 हजार करोड़ रुपये का कारोबार होता था, जो भारत सरकार या राज्य सरकार की किसी एजेंसी द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पैसा आतंकवाद, लव जिहाद और धर्मांतरण के लिए दुरुपयोग होता है। “हलाल सर्टिफिकेशन एक अनधिकृत वित्तीय नेटवर्क बन गया है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। यूपी में हमने इसे बैन कर दिया है। कोई दुस्साहस नहीं करेगा कि इसे बेचे या खरीदे,” योगी ने कहा।
उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि साबुन, कपड़े, दीये और माचिस जैसी वस्तुओं पर भी हलाल सर्टिफिकेट लगाए जाते हैं। “सामान खरीदते समय चेक करें – क्या इसमें हलाल लिखा है? जीएसटी दें, लेकिन हलाल के नाम पर एक फूटी कौड़ी भी न दें। यह पैसा आपके खिलाफ षड्यंत्र में इस्तेमाल होगा,” सीएम ने चेतावनी दी।
योगी सरकार ने नवंबर 2023 में ही हलाल प्रमाणित खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन निर्यात के लिए बने उत्पादों को छूट दी गई। अब इसकी कड़ाई बढ़ा दी गई है। बलरामपुर में चांगुर बाबा (जलालुद्दीन शाह) को धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, जो इस कार्रवाई का एक उदाहरण है।
सीएम योगी ने कहा कि देश में अंग्रेजी शासन के खिलाफ लड़ाई की चर्चा तो होती है, लेकिन राजनीतिक इस्लाम की साजिशों पर चुप्पी साध ली जाती है। “राजनीतिक इस्लाम ने हमारी आस्था पर कुठाराघात किया। हमारे पूर्वजों ने ब्रिटिश और फ्रांसीसी उपनिवेशवाद के साथ-साथ राजनीतिक इस्लाम के खिलाफ भी मोर्चा लिया था। वीर शिवाजी महाराज और महाराणा प्रताप इसके प्रमुख उदाहरण हैं,” उन्होंने जोर देकर कहा।
योगी ने विपक्ष पर हमला बोला। कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा कि उसने अदालत में एफिडेविट देकर भगवान राम और कृष्ण को मिथक बताया था। सपा पर आरोप लगाया कि उसने रामभक्तों पर निर्ममता से गोलियां चलाईं। “आज दुनिया अयोध्या आकर प्रभु राम के दर्शन से अभिभूत हो रही है। पिछले साल 6 करोड़ श्रद्धालु रामलला के दर्शन को आए। प्रयागराज महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक लोग साक्षी बने। लेकिन सपा-कांग्रेस शुरू से ही इसमें खोट निकालते रहे,” सीएम ने कहा।
योगी ने बताया कि सीएम आवास और राजभवन पर ईद मिलन की परंपरा बंद कर दी गई है, ताकि देश की धर्मनिरपेक्षता बरकरार रहे। “हमने दिवाली या होली मिलन भी आयोजित नहीं किया। अगर भारत धर्मनिरपेक्ष है, तो सीएम और राज्यपाल को भी इसे अपनाना चाहिए। बाकी लोग खुद आयोजित कर सकते हैं,” उन्होंने स्पष्ट किया।
विपक्ष ने बयान को राजनीतिक ध्रुवीकरण का हथियार बताया। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि आर्थिक और रोजगार मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए हलाल का मुद्दा उठाया जा रहा है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता ने इसे बिहार चुनाव से जोड़ा। हालांकि, ऑल इंडिया मुस्लिम जमा’अत के अध्यक्ष मौलाना शाहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने समर्थन किया, कहा कि शरिया के अनुसार हलाल सर्टिफिकेट जारी करना गलत है।
आरएसएस शताब्दी समारोह में बोलते हुए सीएम ने संगठन की देशसेवा की सराहना की और पांच परिवर्तनों – सामाजिक सद्भाव, पारिवारिक मूल्य, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी आत्मनिर्भरता और नागरिक जिम्मेदारी – का उल्लेख किया, जो विकसित भारत की नींव हैं।
यह बयान यूपी में सांप्रदायिक बहस को फिर से हवा दे रहा है, लेकिन योगी सरकार का रुख साफ है – राष्ट्रीय सुरक्षा और आस्था की रक्षा प्राथमिकता।
