जस्टिस बीआर गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली है। यह शपथ राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई। शपथ लेने के तुरंत बाद जस्टिस गवई ने अपनी मां के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। यह भावुक पल देशभर में चर्चा का विषय बन गया और भारतीय पारिवारिक मूल्यों की झलक दिखी।
जस्टिस गवई इस पद पर पहुंचने वाले पहले बौद्ध और आजादी के बाद दूसरे दलित सीजेआई हैं। उनका कार्यकाल करीब छह महीने का होगा।
जस्टिस गवई के कुछ प्रमुख फैसले
अपने न्यायिक करियर में उन्होंने कई अहम फैसले दिए हैं। इनमें अनुच्छेद 370 को हटाने को सही ठहराना, नोटबंदी को संवैधानिक मानना, अनुसूचित जातियों में उप-वर्गीकरण की मंजूरी और बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठाना शामिल हैं।
बुलडोजर कार्रवाई पर न्यायसंगत रुख
बिना कानूनी प्रक्रिया के मकानों को तोड़ने की कार्रवाई पर जस्टिस गवई ने साफ कहा था कि यह “प्राकृतिक न्याय” के खिलाफ है। उन्होंने जोर दिया कि हर नागरिक को आश्रय का अधिकार है और किसी भी सरकारी कार्रवाई में कानून का पालन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कार्यपालिका को न्यायाधीश, जूरी और जल्लाद की भूमिका एक साथ नहीं निभानी चाहिए।
जस्टिस गवई का यह नजरिया भारतीय संविधान और आम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक मजबूत कदम माना जा रहा है।