सड़कों पर बेसहारा गायों को देखकर अर्पण चावला का मन दुखी हो गया, और 2017 में उन्होंने हिमाचल प्रदेश के नूरपुर में गौ सेवा दल शुरू किया। उनका मकसद था कि कोई गाय सड़क पर दम न तोड़े। पिछले 7 सालों में अर्पण और उनकी टीम ने सैकड़ों बीमार गायों का मुफ्त इलाज किया है। नूरपुर के इस नेक इंसान ने जरूरतमंद पशुओं की देखभाल को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लिया है। उनकी संस्था सड़कों पर भटकती गायों के लिए एक उम्मीद और सहारा बन गई है।
गौ सेवा दल पिछले 7 साल से गायों की रक्षा और सेवा के लिए दिन-रात काम कर रहा है। कोरोना के समय, जब लोग घरों में थे, अर्पण और उनकी टीम ने पशुओं की मदद नहीं छोड़ी। उन्होंने खाना, पानी और दवा का इंतजाम किया, ताकि कोई गाय भूख या बीमारी से न मरे। उनकी लगन से साफ जाहिर होता है कि मुश्किल वक्त में भी सेवा रुकनी नहीं चाहिए।
अर्पण की टीम ने लम्पी जैसी खतरनाक बीमारी से गायों को बचाने में बड़ी भूमिका निभाई है। यह बीमारी बहुत गंभीर होती है, और अगर समय पर इलाज न हो तो गाय दर्द से मर जाती है। खासकर बरसात में यह बीमारी तेजी से फैलती है। अर्पण की टीम ने सही वक्त पर टीका और दवा देकर कई गायों की जान बचाई। वे बीमार गायों की देखभाल भी करते हैं, जब तक वे पूरी तरह ठीक नहीं हो जातीं।
अर्पण चावला का यह काम किसी सरकारी या बड़ी मदद के बिना चल रहा है। वे और उनकी टीम अपनी मेहनत और लोगों के छोटे-छोटे दान से इसे आगे बढ़ा रहे हैं। उनका लक्ष्य सिर्फ गायों को बचाना नहीं, बल्कि ग्रामीणों को जागरूक करना भी है ताकि वे पशुओं की देखभाल में साथ दें। स्थानीय लोग अब उनकी इस कोशिश को एक मिसाल मानते हैं, जो दिखाती है कि एक इंसान की मेहनत से समाज बदल सकता है।
अर्पण चाहते हैं कि उनके प्रयास से गायों की सुरक्षा और सेहत बेहतर हो। वे भविष्य में और बड़े स्तर पर काम करना चाहते हैं, ताकि ज्यादा गायों तक मदद पहुंचे। उनकी यह निस्वार्थ सेवा गायों के साथ-साथ पूरे इलाके के लिए प्रेरणा बन गई है। 7 साल की मेहनत से साबित हो गया है कि प्यार और लगन से कुछ भी मुमकिन है।