कश्मीर के इतिहास में एक गौरवशाली अध्याय है जब ललितादित्य मुक्तापीड़ ने अरब आक्रमणकारियों का डटकर मुकाबला किया। इस युद्ध में वैश्य वसुधर ने धन और संसाधन देकर राजा का साथ दिया। यह वैश्य समुदाय का त्याग हिंदू धर्म की रक्षा का प्रतीक बना। कश्मीर की घाटियों में लड़े गए इस संघर्ष ने हिंदू अस्मिता को मजबूती दी। आज हम वसुधर के बलिदान को सलाम करते हैं जिसने धन से धर्म की ज्योति जलाए रखी।
अरब आक्रमण के खिलाफ प्रतिरोध
8वीं सदी में अरब सेनाओं ने भारत की उत्तरी सीमाओं पर हमला बोला। सिंध पर कब्जे के बाद उनका लक्ष्य कश्मीर था। ललितादित्य, कार्कोटक वंश के शासक, ने इस खतरे को भांप लिया। उस समय कश्मीर एक समृद्ध हिंदू राज्य था जहां मंदिर और विद्या के केंद्र फले फूले। अरबों का मकसद इस्लामिक विस्तार था जो हिंदू संस्कृति के लिए चुनौती थी। स्थानीय वैश्य वसुधर जो व्यापार में समृद्ध था ने राजा को धन और अनाज देकर समर्थन दिया। उसका योगदान सेना को मजबूत करने में महत्वपूर्ण रहा।
रणनीति और वैश्य का सहयोग
ललितादित्य की सफलता का राज उनकी चतुराई थी। उन्होंने पहाड़ी इलाकों का फायदा उठाया और अरबों को घेरने की योजना बनाई। वसुधर ने न केवल धन दिया बल्कि घोड़ों और हथियारों की आपूर्ति भी सुनिश्चित की। उसने अपने व्यापारिक नेटवर्क का उपयोग कर दुश्मन की कमजोरियों का पता लगाया। रात के अंधेरे में हमले और घातक रणनीति से ललितादित्य ने अरबों को पीछे धकेला। वसुधर का समर्पण इस जीत का आधार बना जो हिंदू शौर्य का उदाहरण है।
दमन और बलिदान
ललितादित्य की सेना ने कई युद्ध लड़े लेकिन एक निर्णायक मुठभेड़ में वसुधर का परिवार खतरे में पड़ गया। अरबों ने उनके व्यापारिक ठिकानों पर हमला किया। वसुधर ने अपनी सारी संपत्ति दान कर दी ताकि सेना को और मजबूती मिले। कहते हैं कि उसने अपने आखिरी सिक्के भी राजा को सौंप दिए। इस बलिदान के बावजूद कुछ इतिहासकार मानते हैं कि अरबों ने कश्मीर की सीमावर्ती भूमि पर कब्जा कर लिया। वसुधर का त्याग हिंदू धर्म की रक्षा का प्रतीक बना।
अमर विरासत
ललितादित्य और वसुधर की कहानी आज भी कश्मीर की धरती पर गूंजती है। 8वीं सदी का यह संघर्ष हिंदू संस्कृति को बचाने का प्रमाण है। वसुधर का धन दान न केवल उस युद्ध में बल्कि बाद के कई संघर्षों में प्रेरणा बना। हम इस नायक को याद करते हैं जिसने हिंदू गौरव के लिए सब कुछ न्योछावर किया। उसका बलिदान हमें सिखाता है कि धन का सच्चा उपयोग दूसरों की भलाई में है। कश्मीर की यह शौर्य गाथा हमें प्रेरित करती है।