‘The Logsabha’ Survey: योगी आदित्यनाथ देश के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री, गृह राज्य में हिमंता और तमांग रहे नंबर-1

आज के समय में, हर किसी की राय मायने रखती है, खासकर जब बात देश के नेतृत्व और विकास की हो। इसी को ध्यान में रखते हुए The Logsabha ने ‘The Logsabha सर्वे 2025’ नाम से एक शानदार पहल की है। यह सर्वेक्षण सिर्फ एक साधारण मतदान नहीं है, बल्कि यह देश की जनता के मन की गहराई को समझने का एक बड़ा प्रयास है। इस सर्वे में 2 लाख 8 हजार 912 लोगों की राय को शामिल किया गया है, जो भारत के हर कोने से आए विचारों का प्रतिनिधित्व करता है। सर्वे 1 जुलाई से 14 अगस्त 2025 के बीच 56,214 लोगों और पिछले 24 हफ्तों में 1,52,698 लोगों की प्रतिक्रियाओं पर आधारित है। यह आंकड़ा इतना बड़ा है कि यह देश की विविधता और जनभावनाओं को सही तरीके से दर्शाता है।

हालांकि, हर सर्वे में कुछ त्रुटि की गुंजाइश रहती है। इस सर्वे में मोटे तौर पर 3% और सूक्ष्म स्तर पर 5% तक मार्जिन ऑफ एरर हो सकता है। इसका मतलब है कि परिणाम लगभग सटीक हैं, लेकिन कुछ मामूली बदलाव संभव हैं। यह सर्वे देश के 30 राज्यों के लोगों से जुड़ा है, जो विभिन्न आयु, जाति, धर्म और लिंग के लोगों की राय को समेटता है। इसका मकसद यह समझना है कि लोग अपने और देश के नेताओं को कैसे देखते हैं।

राष्ट्रीय लोकप्रियता में योगी अव्वल

जब बात देशभर में सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री की आती है, तो नाम आता है योगी आदित्यनाथ का। The Logsabha सर्वे में 30 राज्यों के लोगों से पूछा गया कि वे देश का सबसे प्रभावी और पसंदीदा मुख्यमंत्री किसे मानते हैं। परिणाम चौंकाने वाले हैं—38% लोगों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नंबर एक चुना। उनकी लोकप्रियता फरवरी 2025 के 37.2% से बढ़कर अगस्त 2025 में 38% हो गई है। यह इजाफा उनके मजबूत नेतृत्व, सख्त प्रशासन और विकास कार्यों का नतीजा माना जा रहा है।

योगी की लोकप्रियता का एक बड़ा कारण उनकी हिंदुत्व नीतियां और अपराध पर नियंत्रण भी है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में, जहां अपराध और अराजकता पहले आम बात थी, योगी ने कड़ा रुख अपनाकर जनता का भरोसा जीता है। उनके फैसले, जैसे मंदिरों की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था को मजबूत करना, देशभर में चर्चा का विषय रहे हैं। इसके अलावा, उनके द्वारा शुरू किए गए विकास परियोजनाओं ने भी लोगों के दिल जीते हैं।

दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी हैं, जिन्हें 11.8% लोगों ने पसंद किया। हालांकि, उनकी लोकप्रियता फरवरी के 9.9% से बढ़ी है, लेकिन योगी से काफी पीछे हैं। आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू (7.5%), बिहार के नीतीश कुमार (4.5%), और तमिलनाडु के एमके स्टालिन (3.9%) भी सूची में हैं, लेकिन योगी का दबदबा साफ दिखता है। केरल के पिनाराई विजयन (3.2%), तेलंगाना के रेवंत रेड्डी (2.9%), मध्य प्रदेश के मोहन यादव (2.8%), असम के हिमंत बिस्वा सरमा (2.3%), और महाराष्ट्र के देवेंद्र फडणवीस (1.9%) भी अपनी जगह बनाए हुए हैं।

गृह राज्य में शीर्ष पर हिमंत और तमांग

जब बात अपने-अपने राज्यों में लोकप्रियता की आती है, तो कहानी थोड़ी अलग हो जाती है। बड़े राज्यों (10 से अधिक लोकसभा सीटों वाले) में असम के हिमंत बिस्वा सरमा 46.2% के साथ सबसे आगे हैं। असम के 6,755 उत्तरदाताओं में से 46.2% ने उन्हें संतुष्टि जताई, जो फरवरी के 53% से कम है। हिमंत की लोकप्रियता उनके सांस्कृतिक और सुरक्षा नीतियों से जुड़ी है, जो असम की जनता को पसंद आ रही हैं।

छोटे राज्यों में सिक्किम के प्रेम सिंह तमांग 55.2% के साथ अव्वल हैं। सिक्किम के 300 उत्तरदाताओं में से 55.2% ने उन्हें पसंद किया, जो फरवरी के 60% से थोड़ा कम है। तमांग की साफ-सुथरी छवि और विकास कार्य उनकी लोकप्रियता का कारण हैं। बड़े राज्यों में छत्तीसगढ़ के विष्णु देव साय (42.5%), झारखंड के हेमंत सोरेन (42.1%), गुजरात के भूपेंद्र पटेल (41.3%), और योगी आदित्यनाथ (यूपी, 41.2%) ने अच्छा प्रदर्शन किया। मध्य प्रदेश के मोहन यादव (40.1%), आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू (39.4%), ओडिशा के मोहन चरण मांझी (35.8%), पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी (31.4%), और पंजाब के भगवंत मान (30.5%) भी सूची में हैं।

छोटे राज्यों में अरुणाचल प्रदेश के पेमा खांडू (42.8%), त्रिपुरा के डॉ. माणिक साहा (41.6%), मेघालय के कोर्नाड संगमा (39.4%), और मिजोरम के लालदुहोमा (39.2%) ने अपनी जगह बनाई। ये आंकड़े दिखाते हैं कि स्थानीय मुद्दों पर नेताओं की पकड़ उनकी लोकप्रियता को प्रभावित करती है।

योगी की राष्ट्रीय छवि का प्रभाव

योगी आदित्यनाथ का 38% के साथ देशभर में पहला स्थान होना कोई छोटी बात नहीं है। उनका राष्ट्रीय प्रभाव उनकी हिंदुत्व नीतियों, कठोर प्रशासन, और विकास पर केंद्रित दृष्टिकोण से आता है। उत्तर प्रदेश में उनकी सख्ती से अपराध कम हुए हैं, और मंदिरों की सुरक्षा जैसे कदमों ने हिंदू समुदाय में उनकी छवि को मजबूत किया है। साथ ही, किसानों और युवाओं के लिए शुरू की गई योजनाएं भी उनकी लोकप्रियता बढ़ाने में मददगार रही हैं।

उनकी तुलना में ममता बनर्जी की लोकप्रियता 11.8% पर सीमित है, जो उनके राज्य के बाहर कमजोर पड़ती है। चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार जैसे नेता अपने राज्यों में प्रभावशाली हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर योगी का जलवा बरकरार है। यह सर्वे यह भी बताता है कि लोग ऐसे नेताओं को पसंद करते हैं जो संस्कृति और सुरक्षा पर जोर देते हों।

गृह राज्य में हिमंत और तमांग की बढ़त

हिमंत बिस्वा सरमा की 46.2% लोकप्रियता असम में उनकी सांस्कृतिक पहचान और सुरक्षा नीतियों का नतीजा है। उन्होंने असम में घुसपैठ और अराजकता पर काबू पाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जो स्थानीय जनता को भा रहे हैं। प्रेम सिंह तमांग की 55.2% लोकप्रियता सिक्किम में उनके साफ प्रशासन और विकास कार्यों से जुड़ी है। छोटे राज्य होने के बावजूद उनकी नीतियां लोगों के दिलों तक पहुंची हैं।

योगी आदित्यनाथ अपने गृह राज्य यूपी में 41.2% के साथ चौथे स्थान पर हैं, जो उनके राष्ट्रीय प्रभाव की तुलना में कम है। लेकिन यह भी सच है कि यूपी जैसे बड़े राज्य में इतनी विविधता के बावजूद यह आंकड़ा उनकी मजबूती को दर्शाता है। ममता बनर्जी की 31.4% लोकप्रियता पश्चिम बंगाल में उनके कट्टर समर्थकों के कारण है, लेकिन यह राष्ट्रीय स्तर पर उनकी सीमाओं को दिखाती है।

सर्वेक्षण का महत्व और भविष्य

यह सर्वेक्षण देश की राजनीतिक दिशा को समझने में महत्वपूर्ण है। योगी की बढ़ती लोकप्रियता यह संकेत देती है कि लोग ऐसे नेताओं को तरजीह दे रहे हैं जो हिंदुत्व और विकास के बीच संतुलन बनाए रखें। हिमंत और तमांग की सफलता स्थानीय मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत को उजागर करती है। यह सर्वे न सिर्फ वर्तमान नेतृत्व की तस्वीर पेश करता है, बल्कि आने वाले चुनावों के लिए भी एक दिशा देता है।

जनता की राय में बदलाव आना स्वाभाविक है, लेकिन यह सर्वे दिखाता है कि योगी जैसे नेता देश में एक नई सोच और विश्वास पैदा कर रहे हैं। उनकी नीतियों ने न सिर्फ यूपी को बदला, बल्कि पूरे देश में एक मिसाल कायम की है। हिमंत और तमांग की लोकप्रियता भी इस बात का प्रमाण है कि सही नेतृत्व और स्थानीय जुड़ाव जनता के दिलों को जीत सकता है।

The Logsabha सर्वे 2025 ने साफ कर दिया है कि योगी आदित्यनाथ देश के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें 38% लोग पसंद करते हैं। उनके राष्ट्रीय प्रभाव और हिंदुत्व-विकास का मिश्रण उन्हें खास बनाता है। गृह राज्य में हिमंत (46.2%) और तमांग (55.2%) की बढ़त स्थानीय नेतृत्व की ताकत को दर्शाती है। यह सर्वे भारतीय राजनीति में बदलते रुझानों को समझने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, जो भविष्य के लिए एक मजबूत संदेश देता है।

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