आज RSS के प्रमुख मोहन भागवत का 75वां जन्मदिन है, जो संगठन और हिंदू समाज के लिए एक बड़ा उत्सव है। 16 साल से वे RSS की धुरी बने हुए हैं, जिन्होंने राष्ट्र निर्माण और हिंदू चेतना को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। उनका जीवन समर्पण, मेहनत, और हिंदू संस्कृति के प्रति अटूट निष्ठा का प्रतीक है। यह लेख उनके जीवन, नेतृत्व, और RSS के लिए उनके योगदान को दर्शाता है, जो हर स्वयंसेवक के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
मोहन भागवत का प्रारंभिक जीवन
मोहन भागवत का जन्म 11 सितंबर 1950 को महाराष्ट्र के चंद्रपुर में हुआ था। एक साधारण परिवार में जन्मे इस महान नेता ने बचपन से ही हिंदू संस्कृति और राष्ट्र सेवा की भावना को आत्मसात किया। उनके पिता, मुरलीधर भागवत, भी RSS के सक्रिय कार्यकर्ता थे, जिन्होंने उन्हें संघ के मूल्यों से जोड़ा। छोटी उम्र में ही वे स्वयंसेवक बने और शारीरिक और बौद्धिक प्रशिक्षण में निपुण हुए। यह शुरुआत थी, जो उन्हें RSS का भविष्य बना गई।
RSS में प्रारंभिक योगदान
मोहन भागवत ने अपनी युवावस्था में RSS के स्थानीय कार्यों में हिस्सा लिया। उन्होंने शाखाओं का आयोजन, शिक्षा शिविर, और सामाजिक सेवा में सक्रिय भूमिका निभाई। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें जल्दी ही संघ के वरिष्ठ नेताओं का ध्यान खींचा। 1977 में वे पूर्णकालिक प्रचारक बने और विभिन्न प्रांतों में काम किया। उनकी संगठन क्षमता और लोगों से जुड़ाव ने उन्हें एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया। यह समय RSS के लिए उनकी नींव थी।
16 साल का नेतृत्व: संघ की धुरी
2009 में मोहन भागवत को RSS का सरसंघचालक नियुक्त किया गया, और तब से वे 16 साल से इस जिम्मेदारी को निभा रहे हैं। उनके नेतृत्व में RSS ने देश भर में अपनी पहुँच बढ़ाई और लाखों स्वयंसेवकों को प्रेरित किया। उन्होंने संगठन को आधुनिक चुनौतियों के लिए तैयार किया, जैसे शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, और आपदा राहत। उनकी रणनीति ने RSS को एक मजबूत और एकजुट संगठन बनाया, जो हिंदू समाज की रीढ़ है। यह उनके अटूट समर्पण का प्रमाण है।
राष्ट्र निर्माण का मार्गदर्शक
मोहन भागवत ने राष्ट्र निर्माण को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया। उन्होंने स्वदेशी आंदोलन, ग्राम विकास, और युवाओं को राष्ट्र सेवा के लिए प्रोत्साहित किया। उनके भाषणों में हमेशा एकता, अनुशासन, और स्वावलंबन का संदेश रहा। उन्होंने कहा, “राष्ट्र हमारा परिवार है, और हम सबकी जिम्मेदारी है इसे मजबूत करना।” उनके प्रयासों से RSS ने स्कूल, अस्पताल, और ग्रामीण परियोजनाएँ शुरू कीं, जो देश के विकास में योगदान दे रही हैं। यह उनके दूरदर्शी नेतृत्व का परिणाम है।
हिंदू चेतना का प्रेरक
मोहन भागवत हिंदू चेतना के सबसे बड़े मार्गदर्शक हैं। उन्होंने हिंदू संस्कृति, परंपराओं, और एकता को बढ़ावा दिया। उनके नेतृत्व में RSS ने हिंदू त्योहारों, मंदिर निर्माण, और धार्मिक शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने हिंदू समाज को संगठित करने का आह्वान किया, जिससे समाज में नई ऊर्जा आई। उनकी किताबें और व्याख्यान हिंदू चेतना को मजबूत करने का माध्यम बने, जो हर स्वयंसेवक के लिए प्रेरणा हैं। जय हिंद!
संगठन की मजबूती
मोहन भागवत ने RSS को आंतरिक और बाहरी चुनौतियों से निपटने के लिए मजबूत किया। उन्होंने तकनीक का उपयोग कर संगठन को आधुनिक बनाया और युवाओं को जोड़ा। उनके तहत RSS ने सामाजिक मुद्दों जैसे गरीबी, शिक्षा, और स्वास्थ्य पर काम किया। उनकी नीतियों ने संघ को एक वैश्विक पहचान दी, जहाँ स्वयंसेवक हर संकट में आगे रहे। यह उनकी दूरदर्शिता का प्रमाण है, जो RSS समर्थकों के लिए गर्व का विषय है।
चुनौतियाँ और समर्पण
मोहन भागवत के 16 साल के कार्यकाल में कई चुनौतियाँ आईं, जैसे राजनीतिक विरोध और सामाजिक आलोचना। लेकिन उन्होंने हर बार धैर्य और बुद्धि से इनका सामना किया। उन्होंने कभी भी अपनी निष्ठा नहीं डिगने दी और संघ के मिशन को आगे बढ़ाया। उनका सादा जीवन और कठोर मेहनत हर स्वयंसेवक के लिए प्रेरणा है। यह समर्पण RSS की शक्ति को दर्शाता है।
समाज सेवा और प्रभाव
मोहन भागवत ने RSS के माध्यम से समाज सेवा को नई दिशा दी। आपदा के समय, जैसे बाढ़ और भूकंप, स्वयंसेवकों ने उनकी अगुआई में राहत कार्य किए। उन्होंने महिलाओं और युवाओं को सशक्त करने के लिए कार्यक्रम शुरू किए। उनका कहना है, “सेवा ही धर्म है।” इन प्रयासों ने RSS को समाज का अभिन्न हिस्सा बनाया, जो उनके नेतृत्व की सफलता है।
आज का उत्सव: स्वयंसेवकों का गर्व
मोहन भागवत का 75वां जन्मदिन RSS समर्थकों के लिए गर्व का दिन है। देश भर में स्वयंसेवक उत्सव मना रहे हैं, जहाँ उनके योगदान को याद किया जा रहा है। कार्यक्रमों में उनके भाषणों की चर्चा और प्रेरक संदेशों का आदान-प्रदान हो रहा है। यह दिन RSS के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जहाँ हर स्वयंसेवक उनके मार्ग पर चलने की शपथ ले रहा है।
अमर प्रेरणा
RSS प्रमुख मोहन भागवत का 75वां जन्मदिन आज एक ऐतिहासिक पल है। 16 वर्षों से वे संघ की धुरी, राष्ट्र निर्माण के मार्गदर्शक, और हिंदू चेतना के प्रेरक रहे हैं। उनका समर्पण, नेतृत्व, और सेवा भावना ने RSS को मजबूत किया है। हर स्वयंसेवक उनके जीवन से प्रेरणा लेता है, और उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी। जय हिंद, जय RSS!