सन्यासी से शासक: उत्तराखंड की धरती से निकला वो ज्वाला, जिसने यूपी को दिया हिंदुत्व का प्रहरी 'योगी आदित्यनाथ'

सन्यासी से शासक: उत्तराखंड की धरती से निकला वो ज्वाला, जिसने यूपी को दिया हिंदुत्व का प्रहरी ‘योगी आदित्यनाथ’

भारत की पवित्र धरती पर जन्मे वीरों और संतों की गाथाएँ अनंत हैं, और इनमें योगी आदित्यनाथ का नाम आज एक प्रकाशस्तंभ की तरह चमकता है। उत्तराखंड की तपस्वी भूमि से निकला यह सन्यासी, जो गोरखनाथ मठ की परंपरा का वाहक बना, ने न केवल हिंदुत्व की अलख जगाई, बल्कि उत्तर प्रदेश को एक नई दिशा दी।

“बटेंगे तो कटेंगे”—यह नारा आज योगी के नेतृत्व में हिंदू समाज की एकता और शक्ति का प्रतीक बन गया है। उनके जीवन का सफर—सन्यासी से शासक तक—हिंदू गौरव और राष्ट्रवाद का प्रतीक है। यह लेख उनकी प्रेरणादायक यात्रा को सलाम करता है, जो हर हिंदू को अपने धर्म और देश के लिए एकजुट होकर उठ खड़ा होने की प्रेरणा देता है।

भूमिका: साधु जीवन और हिंदुत्व का प्रारंभ

योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में अजय सिंह बिष्ट के रूप में हुआ। एक साधारण परिवार में पले-बढ़े इस बालक ने अपने जीवन को देश और धर्म की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। मात्र 22 साल की उम्र में उन्होंने घर-परिवार त्यागकर गोरखनाथ मठ में दीक्षा ली और योगी आदित्यनाथ बने। गोरखनाथ मठ, जो नाथ संप्रदाय का केंद्र है, ने उन्हें हिंदुत्व की विचारधारा से जोड़ा। यह मठ शिव की भक्ति और तपस्या का प्रतीक है, जहाँ योगी ने शिव की तरह कठोर तपस्या और त्याग सीखा। “बटेंगे तो कटेंगे” की भावना यहाँ से शुरू हुई, जहाँ उन्होंने सीखा कि एकता ही हमारी ताकत है।

उत्तराखंड की यह पवित्र भूमि, जहाँ गंगा और यमुना की धारा बहती है और शिव के मंदिर हर कदम पर दिखते हैं, ने योगी को एक अनोखी शक्ति दी। यहाँ की तपस्वी परंपरा ने उन्हें वह आधार प्रदान किया, जिससे वे एक साधारण सन्यासी से हिंदू समाज के प्रहरी बने। उनका जीवन त्याग और समर्पण का प्रतीक है, जो हर हिंदू के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

राजनीतिक यात्रा: गोरखपुर से संसद तक का सफर

योगी की राजनीतिक यात्रा 1998 में शुरू हुई, जब वे गोरखपुर से पहली बार सांसद बने। मात्र 26 साल की उम्र में संसद में प्रवेश करने वाले इस युवा साधु ने हिंदू हितों और राष्ट्रवाद की आवाज बुलंद की। उनके भाषणों में राम मंदिर, गाय संरक्षण, और देश की एकता पर जोर था। वे संसद में निर्भीक होकर हिंदू अस्मिता की बात करते थे, जो उस समय के राजनेताओं के लिए अनोखा था।

उनके राजनीतिक जीवन में गोरखपुर उनकी कर्मभूमि बना। यहाँ उन्होंने जनता के दुख-दर्द को समझा और उनकी सेवा की। राम मंदिर आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी ने उन्हें हिंदू समाज में एक नायक बना दिया। गाय माता की रक्षा और राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों पर उनके स्पष्ट विचारों ने उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित किया, जो हिंदू गौरव को आगे बढ़ाता है। यह यात्रा शिव के त्रिशूल की तरह थी, जो हर बाधा को तोड़ती हुई आगे बढ़ती है।

मुख्यमंत्री के रूप में उदय: ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का संकल्प

2017 से पहले उत्तर प्रदेश अराजकता, अपराध, और भ्रष्टाचार का गढ़ था। माफिया राज और हिंदू विरोधी ताकतों का बोलबाला था। लेकिन 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही यह सब बदल गया। उनकी सख्त नीतियों ने कानून व्यवस्था को पटरी पर लाया। अपराधियों पर बुलडोजर चलाकर और कर्फ्यू तोड़ने वालों पर कार्रवाई करके उन्होंने दिखाया कि हिंदू सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है।

धर्मांतरण और लव जिहाद जैसे मुद्दों पर उनकी सख्ती ने हिंदू समाज को नई ऊर्जा दी। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का विकास उनके हिंदुत्व को मुख्यधारा में लाने के प्रयास हैं। इन परियोजनाओं ने न केवल धार्मिक स्थलों को नया रूप दिया, बल्कि हिंदू अस्मिता को भी मजबूत किया। “बटेंगे तो कटेंगे” का संदेश यहाँ गूंजा, जब उन्होंने हिंदू समाज को एकजुट होकर अपनी संस्कृति की रक्षा करने का आह्वान किया। योगी ने यूपी को “योगीराज” बनाया, जहाँ हिंदू संस्कृति और राष्ट्रवाद का झंडा बुलंद है।

एक सन्यासी की शासनशैली: तपस्वी का नेतृत्व

एक सन्यासी के रूप में योगी ने जो त्याग सीखा, उसे उन्होंने शासन में उतारा। गरीब कल्याण, बुनियादी ढांचे का विकास, और किसानों की मदद उनकी प्राथमिकताएँ रहीं। यूपी में सड़कों, अस्पतालों, और स्कूलों का निर्माण हुआ, जो एक तपस्वी के नेतृत्व में संभव हुआ। उनकी शासनशैली में दृढ़ता और करुणा का अनोखा मेल है, जो उन्हें एक अनूठा नेता बनाता है।

“योगीराज” की छवि एक ऐसे शासक की है, जो दुश्मनों को कड़ा संदेश देता है और अपने लोगों की रक्षा करता है। उनकी सादगी—साधारण वस्त्र और बिना सुरक्षा के जनता के बीच जाना—हिंदू संस्कृति के रक्षक के रूप में उनकी पहचान को मजबूत करती है। वे शिव की तरह हैं, जो अपने भक्तों की रक्षा के लिए हर बाधा को पार करते हैं। उनके नेतृत्व में यूपी ने एक नई पहचान बनाई, जो हिंदू गौरव और राष्ट्रवाद का प्रतीक है।

दोबारा मुख्यमंत्री: हिंदुत्व का विजयी संकल्प

योगी आदित्यनाथ का दोबारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में चुना जाना हिंदू समाज के लिए एक ऐतिहासिक और गौरवशाली क्षण है। 25 मार्च 2022 को, जब उन्होंने लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तो यह केवल एक राजनीतिक जीत नहीं थी, बल्कि हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की विजय थी। 2022 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने सहयोगियों के साथ 273 सीटें जीतीं, जो उनके नेतृत्व और जनता के विश्वास का प्रमाण है। गोरखपुर शहरी विधानसभा क्षेत्र से एक लाख से अधिक मतों के भारी बहुमत से जीतकर योगी ने अपनी लोकप्रियता और जनाधार को और मजबूत किया। यह जीत उनके पिछले पांच साल के कार्यकाल—कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करना, राम मंदिर निर्माण को गति देना, और काशी-मथुरा जैसे धार्मिक केंद्रों का विकास—का परिणाम थी।

इस दोबारा चुने जाने ने उन आलोचकों को करारा जवाब दिया, जो उनके सख्त फैसलों और हिंदू हितों पर जोर को कमजोर मानते थे। बुलडोजर नीति, अपराधियों पर सख्ती, और धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर उनकी दृढ़ता ने जनता का भरोसा जीता। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, और अन्य बड़े नेता मौजूद थे, जो इस बात का संकेत है कि योगी राष्ट्रीय स्तर पर भी एक मजबूत नेता के रूप में उभर रहे हैं। यह क्षण हिंदू समाज के लिए प्रेरणा है, जो दर्शाता है कि एकता और साहस से हर चुनौती को पार किया जा सकता है।

उनके दोबारा चुने जाने का असर यूपी की जनता पर गहरा पड़ा है। विकास परियोजनाओं—सड़कों का जाल, स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार, और युवाओं के लिए रोजगार—ने राज्य को नई ऊर्जा दी है। साथ ही, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन उनकी हिंदू अस्मिता को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह जीत केवल योगी की नहीं, बल्कि हर उस हिंदू की है, जो अपनी संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए खड़ा है। उनके नेतृत्व में “योगीराज” का सपना और मजबूत हुआ है, जो हिंदू गौरव और राष्ट्रवाद का प्रतीक बन गया है। यह दोबारा चुना जाना एक संदेश है—हिंदू समाज जाग गया है, और यह शक्ति अब रुकने वाली नहीं।

एक योद्धा और प्रेरणा

योगी आदित्यनाथ केवल एक मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि एक हिंदू विचारधारा के योद्धा हैं। उत्तराखंड की धरती से निकली उनकी लौ ने यूपी को हिंदुत्व का नया केंद्र बनाया। उनके नेतृत्व में राम मंदिर का सपना साकार हुआ, और काशी-मथुरा जैसे पवित्र स्थल फिर से जीवंत हुए। यह उनकी निष्ठा और साहस का परिणाम है।

हर हिंदू को योगी से प्रेरणा लेनी चाहिए। वे हमें सिखाते हैं कि त्याग और तपस्या से देश और धर्म की रक्षा संभव है। शिव की शक्ति और हिंदू अस्मिता के साथ, हम सब मिलकर भारत को विश्व गुरु बनाएँ। जय हिंद, जय हिंदू धर्म!

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