भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर उन्होंने सोमवार को पद छोड़ दिया, जिसके बाद विपक्ष ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। क्या इसके पीछे कोई गहरी साजिश है? क्या यह बिहार विधानसभा चुनाव से जुड़ा है, जो साल के अंत में होने वाले हैं? इन सवालों के बीच अब सबकी नजर नए उपराष्ट्रपति के चुनाव पर है। आइए जानते हैं कि इस रेस में कौन-कौन से दिग्गज नाम चर्चा में हैं।
रेस में प्रमुख चेहरे
सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में कई नाम तेजी से उभर रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। उनकी सक्रियता कम होने और बिहार चुनाव को देखते हुए भाजपा उनके लिए उपराष्ट्रपति पद की पेशकश कर सकती है, ताकि राज्य में अपना मुख्यमंत्री चेहरा पेश कर सके। राजनीतिक विश्लेषक समीर चौगांवकर ने एक्स पर लिखा, “नीतीश कुमार अगले उपराष्ट्रपति होंगे। भाजपा बिहार में अपना सीएम तय करेगी, जदयू का उपमुख्यमंत्री होगा, और शायद नीतीश के बेटे निशांत को यह जिम्मेदारी मिले।” कुछ यूजर्स तो यह भी अनुमान लगा रहे हैं कि धनखड़ को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
हरिवंश नारायण सिंह की दावेदारी
जेडीयू सांसद और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह भी इस रेस में आगे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी नीतीश कुमार और पीएम नरेंद्र मोदी के साथ अच्छी समझ मानी जाती है। संविधान के नियमों के तहत, धनखड़ के इस्तीफे के बाद हरिवंश ने राज्यसभा सभापति का कार्यभार संभाला है और नए उपराष्ट्रपति के चुने जाने तक यह जिम्मेदारी उनके पास रहेगी। कई लोग मानते हैं कि एनडीए उन्हें उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना सकता है।
शशि थरूर का नाम भी चर्चा में
कांग्रेस सांसद शशि थरूर का नाम भी सुर्खियों में है। 2024 लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने साफ कर दिया था कि वे अगले चुनाव में सांसद नहीं बनेंगे। हाल ही में मोदी सरकार के अमेरिका दौरे (ऑपरेशन सिंदूर) में उनकी भागीदारी और कांग्रेस से उनके मतभेदों ने उनकी दावेदारी को बल दिया है। एक वरिष्ठ पत्रकार ने एक्स पर लिखा, “एनडीए के दो बड़े मंत्री और शशि थरूर उपराष्ट्रपति पद के संभावित दावेदार हैं।”
अरिफ मोहम्मद खान की संभावना
बिहार के मौजूदा राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान भी दौड़ में शामिल हैं। पहले केरल के राज्यपाल रहे खान की दिल्ली यात्रा और उनकी सक्रियता ने भाजपा के भीतर चर्चा शुरू की है। उनकी छवि एक उदारवादी मुस्लिम नेता की रही है, जो शाहबानो मामले में कांग्रेस से अलग होकर मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की पैरोकारी कर चुके हैं। भाजपा उनकी नियुक्ति से संतुलन और विविधता की छवि बना सकती है।
चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत
धनखड़ का इस्तीफा स्वीकृत होने के बाद चुनाव आयोग ने नए उपराष्ट्रपति के लिए प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी कर ली है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से बिहार चुनाव और राष्ट्रीय राजनीति पर असर पड़ सकता है। अब सभी की नजर इस बात पर है कि एनडीए और विपक्ष किस चेहरे पर दांव लगाते हैं।