जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के दौरान सेना ने ऑपरेशन महादेव के तहत बड़ी कार्रवाई करते हुए पहलगाम आतंकी हमले के मास्टरमाइंड सहित तीन आतंकियों को मार गिराया। यह मुठभेड़ श्रीनगर के दाचीगाम क्षेत्र के ऊपरी इलाके में हुई, जहां लश्कर-ए-ताइबा के तीन आतंकी ढेर किए गए।
सैन्य सूत्रों के मुताबिक, मारे गए आतंकियों में सुलेमान उर्फ आसिफ शामिल है, जो 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले का मुख्य साजिशकर्ता था। अन्य दो की पहचान जिबरान और हमजा अफगानी के रूप में हुई है, जिनमें जिबरान पिछले साल सोनमर्ग सुरंग हमले में शामिल था। मुठभेड़ स्थल से एक एम4 कार्बाइन, दो एके-सीरीज राइफल्स और गोला-बारूद बरामद हुआ है। दाचीगाम, जो श्रीनगर से 25 किमी दूर है, इस अभियान का केंद्र रहा।
कैसे पहुंची सेना आतंकियों तक?
ऑपरेशन की सफलता का श्रेय एक संदिग्ध कम्युनिकेशन डिवाइस को जाता है, जो पहलगाम हमले से जुड़ा था। सुरक्षा बलों को करीब दो हफ्ते पहले इस डिवाइस से संचार का पता चला, जिसके बाद सेना ने दाचीगाम क्षेत्र में निगरानी बढ़ा दी।
रविवार रात लिदवास क्षेत्र में आतंकियों की हलचल की सूचना मिलने के बाद 24 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) और 4 पैरा स्पेशल फोर्सेज ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। सोमवार सुबह 11:30 बजे आतंकियों की मौजूदगी की पुष्टि हुई, और घेराबंदी के दौरान उनकी ओर से फायरिंग शुरू होने पर मुठभेड़ तेज हो गई। चिनार कोर ने सोशल मीडिया पर पुष्टि की कि तीन आतंकी मारे गए, लेकिन ऑपरेशन अभी जारी है।
क्यों पड़ा ‘महादेव’ नाम?
ऑपरेशन का नाम महादेव इसलिए रखा गया, क्योंकि यह अभियान श्रीनगर की महादेव चोटी के पास, जबरवान रेंज के बीच हुआ। यह क्षेत्र सामरिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, और स्थानीय लोग इसे पवित्र मानते हैं। इससे पहले भी इस इलाके में 10 नवंबर और 3 दिसंबर 2024 को मुठभेड़ें हुईं, जिसमें लश्कर आतंकी जुनैद भट मारा गया था, जो गांदरबल हमले में शामिल था।
पहलगाम हमला और बदला
22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकियों ने 26 लोगों की बेरहमी से हत्या की थी, जिसमें धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया। इस घटना ने देश को हिलाकर रख दिया था। अब इस कार्रवाई को सेना की बड़ी सफलता माना जा रहा है। कश्मीर रेंज के आईजीपी वीके बिरदी ने बताया कि शवों की पहचान में समय लगेगा, क्योंकि वे दुर्गम इलाके से नीचे लाए जाने हैं।
परिजनों की प्रतिक्रिया
पहलगाम हमले में शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पिता राजेश नरवाल ने सेना की बहादुरी को सलाम करते हुए कहा, “जान की परवाह किए बिना आतंकियों को ढूंढना आसान नहीं था। यह हमारी सेना की शानदार जीत है। मैंने पहले ही कहा था कि सेना उन्हें सजा देगी।”