बिहार चुनावों के बाद अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का पूरा ध्यान उत्तर प्रदेश पर आ गया है। सोमवार को देर रात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पांच कालीदास मार्ग स्थित आवास पर एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें यूपी सरकार, बीजेपी संगठन और संघ के शीर्ष पदाधिकारी एक साथ बैठे। आम तौर पर समन्वय बैठकें सरकार के कामकाज की समीक्षा के लिए होती हैं, लेकिन इस बार चर्चा का केंद्र मिशन 2027 और बीजेपी के संगठन में संभावित बदलाव रहे।
यह बैठक इसलिए भी खास मानी जा रही है क्योंकि संघ, योगी सरकार और बीजेपी संगठन के बीच ऐसी गहन चर्चा करीब सवा साल बाद हुई है। अगस्त 2024 के बाद यह पहला मौका था जब संघ के बड़े नेता सरकार के साथ लंबी रणनीतिक बैठक में शामिल हुए। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि आने वाले महीनों में बीजेपी के भीतर कई महत्वपूर्ण फेरबदल देखने को मिल सकते हैं। विधानसभा चुनाव से पहले संगठनात्मक, राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचे की व्यापक समीक्षा इसी प्रक्रिया का हिस्सा समझी जा रही है।
बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी.एल. संतोष की अचानक लखनऊ यात्रा ने भी कई अटकलों को हवा दी है। खासतौर पर यह चर्चा तेज है कि पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के स्तर पर बदलाव हो सकता है। इसी संदर्भ में RSS की गतिविधियाँ भी noticeably बढ़ गई हैं।
लखनऊ में बी.एल. संतोष की पहली बैठक एक होटल में हुई, जहाँ संघ के सह-सरकार्यवाह अरुण कुमार, पश्चिम यूपी के प्रचारक महेंद्र कुमार और पूर्वांचल के प्रचारक अनिल कुमार मौजूद रहे। यह बैठक मुख्य रूप से संगठनात्मक फीडबैक लेने और मौजूदा माहौल को समझने के उद्देश्य से हुई।
इसके बाद अरुण कुमार ने भारती भवन में अलग-अलग नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने पूर्वी और पश्चिमी यूपी के क्षेत्र प्रचारकों के साथ बंद कमरे में चर्चा की, जिसमें शाखाओं के विस्तार, स्वयंसेवकों की सक्रियता, समाज में समरसता बढ़ाने के प्रयास और भविष्य की कार्ययोजनाओं पर विस्तृत बातचीत हुई।
शाम 6:30 बजे सीएम आवास पर दूसरी बड़ी बैठक शुरू हुई। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह मौजूद थे। संघ की ओर से अरुण कुमार और क्षेत्रीय प्रचारक शामिल हुए।
सूत्र बताते हैं कि बैठक में तीन मुख्य बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा हुई—
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RSS के शताब्दी वर्ष के राज्य स्तरीय कार्यक्रमों की रूपरेखा और उसमें सरकार-संगठन की भूमिका।
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आगामी पंचायत चुनावों के लिए संगठन की तैयारी और प्रशासन से अपेक्षित सहयोग।
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2027 के विधानसभा चुनाव के लिए विशेष रणनीति और बूथ से लेकर प्रदेश स्तर तक संगठन को मजबूत बनाने के उपाय।
RSS अपने शताब्दी वर्ष में एक बड़े हिंदू सम्मेलन की तैयारी कर रहा है, जिसे संभवतः जनवरी में लखनऊ में आयोजित किया जाएगा। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सम्मेलन और हाल की समन्वय बैठकें—दोनों मिलकर अगले चुनावों से पहले बीजेपी और RSS की साझा दिशा और रणनीति तय करने के महत्वपूर्ण संकेत हैं।
समग्र रूप से देखा जाए तो संदेश साफ़ है—2027 से पहले संगठन को कसना, scattered issues को दुरुस्त करना और राजनीतिक माहौल को अपने पक्ष में तैयार करना। यूपी की राजनीति में आने वाले महीनों में काफी हलचल देखने को मिल सकती है।
