माँ भारती के वीर सपूत, सरदार उधम सिंह जी को उनके बलिदान दिवस, 31 जुलाई 2025 को विनम्र श्रद्धांजलि! उनका जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के सुनाम गांव में हुआ था। जलियांवाला बाग नरसंहार (13 अप्रैल 1919) ने उनके जीवन को बदल दिया, जहाँ जनरल डायर ने निर्दयता से सैकड़ों बेकसूरों को मारा। अनाथ होकर भी उन्होंने देशभक्ति का मार्ग चुना। यह शुरुआती चमक उन्हें भगत सिंह के सहयोगी बनने की प्रेरणा दे गई, जो स्वतंत्रता की क्रांतिकारी एकता का प्रतीक बनी।
क्रांति का संकल्प: जलियांवाला का प्रतिशोध
जलियांवाला बाग की घटना ने उधम सिंह के मन में आग जगा दी। वे गदर पार्टी से जुड़कर क्रांतिकारी बने और 21 साल तक तैयारी की। 13 मार्च 1940 को लंदन के कैक्सटन हॉल में उन्होंने माइकल ओ’डायर (जनरल डायर के उत्तराधिकारी) को गोली मारी, जो जलियांवाला का प्रतिशोध था। यह कदम देश के स्वाभिमान को नई ऊँचाई पर ले गया। उनकी वीरता ने अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती दी और स्वतंत्रता की क्रांतिकारी एकता को मजबूत किया, जो भगत सिंह के साथ उनके जुड़ाव का हिस्सा थी।
भगत सिंह के सहयोगी: क्रांतिकारी एकता का प्रतीक
उधम सिंह भगत सिंह के सहयोगी थे, जिन्होंने स्वतंत्रता की क्रांतिकारी एकता का प्रतीक बनाया। भगत सिंह की फाँसी (23 मार्च 1931) ने उधम को गहराई से प्रभावित किया, क्योंकि दोनों का लक्ष्य अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकना था। वे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) और गदर पार्टी के माध्यम से एक-दूसरे के सपनों को साझा करते थे। उधम ने भगत के बलिदान से प्रेरणा लेकर ओ’डायर की हत्या की योजना बनाई, जो हिंदू शौर्य और युवा क्रांति का संगम था। यह सहयोग माँ भारती के वीर सपूतों की एकता का प्रतीक बना।
शहादत का बलिदान: हुकूमत को कमजोर करना
ओ’डायर की हत्या के बाद उधम सिंह को गिरफ्तार किया गया। अदालत में उन्होंने गर्व से कहा, “मैंने मातृभूमि के लिए यह किया।” 31 जुलाई 1940 को पेंटनविले जेल में उन्हें फाँसी दी गई, जो आज हम उनके बलिदान दिवस के रूप में याद करते हैं। उनकी शहादत ने अंग्रेजी हुकूमत को कमजोर किया और स्वतंत्रता संग्राम को गति दी। यह बलिदान स्वतंत्रता की क्रांतिकारी एकता का प्रतीक बना।
गौरवशाली विरासत: एकता का प्रकाश
उधम सिंह की शहादत ने स्वतंत्रता आंदोलन में एक नया अध्याय लिखा। उनकी वीरता और भगत सिंह के साथी के रूप में उनकी भूमिका ने हिंदू समाज को एकजुट किया। जलियांवाला बाग के शहीदों का बदला लेने का उनका संकल्प आज भी प्रेरणा देता है। पंजाब में उनके स्मारक पर लोग श्रद्धा से नमन करते हैं। उनकी गाथा हमें सिखाती है कि त्याग और एकता से ही स्वतंत्रता मिलती है। यह स्वतंत्रता की क्रांतिकारी एकता का प्रकाश है, जो आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति का मार्ग दिखाएगा।
सहयोग का सम्मान
भगत सिंह के सहयोगी, वीर उधम सिंह, स्वतंत्रता की क्रांतिकारी एकता का प्रतीक हैं। उनकी वीरता ने जलियांवाला बाग का प्रतिशोध लिया और अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिलाई। 31 जुलाई 1940 को उनकी फाँसी हिंदू गौरव का प्रतीक बनी। आइए, उनके बलिदान और भगत सिंह के साथ उनकी एकता को नमन करें, और स्वतंत्रता की रक्षा का संकल्प लें, ताकि यह क्रांतिकारी एकता का प्रकाश हमेशा जीवित रहे और माँ भारती का गौरव अक्षुण्ण रहे।