राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने देश की सुरक्षा और पड़ोसी देशों से संबंधों को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा, “दुनिया उसी की सुनती है जिसके पास शक्ति होती है।” उनका यह बयान पाकिस्तान के संदर्भ में आया है, जिससे संकेत मिल रहा है कि भारत को अपनी सैन्य ताकत और आत्मनिर्भरता को लगातार मजबूत करते रहना चाहिए।
पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की ओर इशारा
मोहन भागवत ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत को अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए आवश्यक हो तो कड़ा कदम उठाने से पीछे नहीं हटना चाहिए। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि कुछ देश भारत की शांति की नीति को कमजोरी समझने की भूल कर बैठते हैं। ऐसे में जरूरी है कि भारत अपनी सामरिक शक्ति का प्रदर्शन करे।
‘बिना ताकत के नहीं होती सुनवाई’
उन्होंने कहा, “विश्व में वही राष्ट्र अपनी बात मनवा पाता है जिसके पास सैन्य, आर्थिक और सांस्कृतिक शक्ति हो। केवल नैतिकता की बात करने से काम नहीं चलता। जब हम सक्षम होंगे, तभी दुनिया हमें गंभीरता से लेगी।”
इस बयान को वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में भारत की विदेश नीति और रक्षा नीति के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सुरक्षा नीति में आत्मनिर्भरता पर जोर
भागवत ने देश में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) की वकालत करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि भारत अपनी रक्षा सामग्री खुद बनाए और बाहरी देशों पर निर्भरता कम करे। उन्होंने स्वदेशी तकनीक और नवाचार को भी बढ़ावा देने की आवश्यकता बताई।
पिछले समय में भी दे चुके हैं ऐसे संकेत
RSS प्रमुख इससे पहले भी देश की सुरक्षा को लेकर मुखर रहे हैं। उन्होंने Pulwama हमले और Balakot स्ट्राइक के समय भी सरकार की कार्रवाई का समर्थन किया था। उनका मानना रहा है कि राष्ट्र की अखंडता और सुरक्षा से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं होना चाहिए।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर RSS की सोच
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लंबे समय से यह विचार रखता आया है कि राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक चेतना और सामरिक शक्ति ही भारत को वैश्विक मंच पर एक सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित कर सकते हैं। भागवत के इस ताजा बयान को उसी दिशा में एक मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है।