छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आज धर्म और संस्कृति के रंग में रंग गया। राजधानी के हृदयस्थल में हुए एक ऐतिहासिक “घर वापसी” कार्यक्रम में 1000 से अधिक लोगों ने अपने पूर्वजों की परंपराओं को अपनाते हुए सनातन धर्म में वापसी की। यह घर वापसी कार्यक्रम न केवल रायपुर बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए चर्चा का विषय बन गया है।
पवित्र यज्ञ और मंत्रध्वनि के बीच हुआ कार्यक्रम:
यह भव्य कार्यक्रम का आयोजन पंडित धीरेंद्र कुमार शास्त्री के कथा कार्यक्रम के पावन मंच पर हुआ। पंडित जी ने यज्ञ का अनुष्ठान कराते हुए भक्तिमय वातावरण का निर्माण किया, जिसके बीच धर्मांतरित परिवारों ने सनातन धर्म में लौटने का संकल्प लिया। गूंजते मंत्रों और भजनों के साथ हुई यह घर वापसी बेहद ही भावुक और प्रभावशाली रही।
प्रबल प्रताप जूदेव ने किया अभिनंदन, पैर धोकर दिया सम्मान:
कार्यक्रम में भाजपा नेता प्रबल प्रताप जूदेव ने धर्मांतरित परिवारों का पूरे उत्साह से स्वागत किया। उन्होंने उनके पैर धोकर एक अविस्मरणीय सम्मान दिया। यह परंपरागत अनुष्ठान इस घर वापसी को और भी महत्वपूर्ण बना गया। जूदेव ने कहा, “आज हमारे परिवार फिर से जुड़ गए हैं। सनातन धर्म की महानता यही है कि वह सदैव सबको वापस लौटाती है।”
धर्मनिरपेक्षता के बीच धर्म की बलिष्ठ ज्योति:
इस घर वापसी कार्यक्रम को कई लोग छत्तीसगढ़ में सनातन धर्म की मजबूती का प्रमाण मानते हैं। कुछ आलोचकों के धर्मनिरपेक्षता के दावों के बीच इतने बड़े पैमाने पर हुई घर वापसी यह संदेश देती है कि सनातन धर्म की जड़ें कितनी गहरी हैं और वह समाज के अलग-अलग वर्गों को समेटे हुए आगे बढ़ रही है।
अलग-अलग कारणों से घर लौटे 1000 परिवार:
घर वापसी करने वाले परिवारों ने बताया कि उन्होंने अलग-अलग कारणों से अपने धर्म को बदला था। कुछ सामाजिक दबाव के कारण, तो कुछ आर्थिक प्रलोभन के कारण सनातन धर्म छोड़ गए थे। लेकिन अब वे अपनी जड़ों में लौटकर खुश हैं। घर वापसी करने वाले एक व्यक्ति ने बताया, “हमने एक गलती की थी, लेकिन आज हम वापस सही रास्ते पर आ गए हैं। सनातन धर्म ही हमारे लिए सबसे बड़ा सहारा है।”
यह घर वापसी कार्यक्रम न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के लिए सनातन धर्म की जीवंतता का प्रमाण है। धर्म और संस्कृति के रास्ते पर लौट रहे समाज के एक बड़े तबके की यह कहानी हर किसी को सोचने के लिए विवश करती है।