झारखंड के हजारीबाग जिले में महाशिवरात्रि के अवसर पर एक धार्मिक झंडा लगाने को लेकर दो समुदायों के बीच तनाव भड़क गया। बुधवार (26 फरवरी) को इचाक थाना क्षेत्र के डुमरौन स्थित हिंदुस्तान चौक पर जब हिंदू समुदाय के लोग भजन-कीर्तन के साथ शिवरात्रि का झंडा और लाउडस्पीकर लगाने पहुंचे, तो मुस्लिम समुदाय ने इसका विरोध किया। मामला बढ़ा तो मदरसे से पत्थरबाजी शुरू हो गई, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच झड़प शुरू हो गई।
पथराव और आगजनी से मची अफरा-तफरी
तनाव इतना बढ़ गया कि देखते ही देखते हिंसा भड़क उठी। दोनों समुदायों ने एक-दूसरे पर पथराव किया, जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। भीड़ ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हिंसा में कम से कम 20 लोग घायल हुए हैं, जिन्हें हजारीबाग सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
स्थिति नियंत्रण से बाहर होती देख तीन थानों की पुलिस तैनात कर दी गई। सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभालते हुए भीड़ को तितर-बितर किया और इलाके में गश्त बढ़ा दी।
कैसे भड़की हिंसा?
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विवाद की जड़ एक सरकारी विद्यालय के गेट पर धार्मिक झंडा लगाने को लेकर थी। दो साल पहले विद्यालय में धार्मिक प्रतीक वाला गेट बनाया गया था, जिसे लेकर कुछ लोगों ने लगातार आपत्ति जताई थी। इस मुद्दे पर प्रशासन को कई बार ज्ञापन सौंपे गए थे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
महाशिवरात्रि के दिन जब हिंदू समुदाय के लोग इसी गेट के पास झंडा लगाने पहुंचे और भजन-कीर्तन करने लगे, तो दूसरे समुदाय के लोगों ने इसका विरोध किया। इस दौरान मदरसे की ओर से पत्थरबाजी की गई, जिसके जवाब में हिंदू समुदाय के लोग भी सामने आ गए।
स्थिति बिगड़ने के बाद कई मोटरसाइकिल, एक कार, टेंपो और एक दुकान में आग लगा दी गई।
पुलिस की कार्रवाई और स्थिति पर नियंत्रण
हिंसा की खबर मिलते ही पुलिस-प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया। इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई और सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
पुलिस दोनों समुदायों के प्रमुख लोगों से बातचीत कर मामले को शांत करने की कोशिश कर रही है। साथ ही, हिंसा में शामिल अराजक तत्वों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
तनावपूर्ण माहौल, लोगों में दहशत
इस घटना के बाद से हजारीबाग जिले में तनाव का माहौल बना हुआ है। लोग डरे हुए हैं और प्रशासन से जल्द से जल्द शांति बहाल करने की अपील कर रहे हैं।
यह घटना सांप्रदायिक सौहार्द और धार्मिक सहिष्णुता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। किसी भी त्योहार को मनाने का सभी को समान अधिकार है, लेकिन अगर इस तरह की घटनाएँ होती रहीं तो समाज में अशांति फैल सकती है।
प्रशासन को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि दोषियों को सख्त सजा मिले और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।