महाशिवरात्रि स्नान पर्व पर महाकुंभ मेला में आस्था का सैलाब, प्रयागराज से वाराणसी तक भक्ति-भाव में डूबे श्रद्धालु

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर, महाकुंभ 2025 का अंतिम स्नान पर्व प्रयागराज में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस महापर्व में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई, जिससे सम्पूर्ण क्षेत्र भक्तिमय हो उठा।

प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए थे। 25 फरवरी की शाम 4 बजे से मेला क्षेत्र को नो-व्हीकल जोन घोषित किया गया, जबकि प्रयागराज कमिश्नरेट क्षेत्र में शाम 6 बजे से यह व्यवस्था लागू हुई। इससे यातायात सुगम बना और श्रद्धालुओं को बिना बाधा के स्नान एवं दर्शन का अवसर मिला।

भीड़ प्रबंधन के लिए प्रशासन ने श्रद्धालुओं से निकटतम घाटों पर ही स्नान करने की अपील की थी, जिससे भीड़ का संतुलन बना रहे और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

महाशिवरात्रि के इस विशेष अवसर पर, काशी विश्वनाथ मंदिर में भी भक्तों का सैलाब उमड़ा। मंदिर प्रशासन ने अनुमान लगाया कि इस वर्ष महाशिवरात्रि पर लगभग 15 लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर प्रशासन ने 32 घंटे तक निरंतर दर्शन की व्यवस्था की, जिससे भक्त बिना किसी बाधा के भगवान शिव के दर्शन कर सकें। इसके साथ ही, मंदिर परिसर को आकर्षक रोशनी और सजावट से सजाया गया, जो भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बना।

महाकुंभ 2025 के दौरान, महाशिवरात्रि स्नान पर्व पर एक दुर्लभ खगोलीय घटना भी घटी। इस दिन आकाश में सात ग्रह—बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून—एक सीध में दिखाई दिए। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस अद्वितीय ग्रह संयोग के दौरान संगम में स्नान करने से ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों का शमन होता है और विश्व में शांति, सद्भावना एवं खुशहाली का संचार होता है।

महाकुंभ के इस अंतिम स्नान पर्व के सफल आयोजन में प्रशासन, पुलिस बल और स्वयंसेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा व्यवस्था और यातायात नियंत्रण के लिए किए गए उत्कृष्ट प्रबंधों के परिणामस्वरूप, श्रद्धालुओं ने बिना किसी असुविधा के अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन किया। इस महापर्व ने एक बार फिर से भारत की सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक एकता का सजीव उदाहरण प्रस्तुत किया।

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