समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अबू आजमी ने हाल ही में मुगल शासक औरंगजेब को लेकर एक बयान दिया, जिससे राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। उन्होंने कहा कि औरंगजेब ने मंदिरों का निर्माण कराया था और वह क्रूर शासक नहीं था। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।
अबू आजमी का बयान और विवाद
अबू आजमी का कहना है कि इतिहास को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है और औरंगजेब को केवल एक कट्टर शासक के रूप में दिखाया जाता है, जबकि उन्होंने मंदिरों को बनवाने में भी योगदान दिया था। उनके मुताबिक, इतिहास को धर्म के नजरिए से देखने के बजाय तथ्यों के आधार पर समझने की जरूरत है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसे देशद्रोही करार देते हुए कहा कि ऐसे बयानों से समाज में गलत संदेश जाता है। उन्होंने अबू आजमी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
शिवसेना और भाजपा नेताओं ने भी इस बयान की कड़ी आलोचना की और कहा कि यह छत्रपति शिवाजी महाराज और महाराष्ट्र के गौरव का अपमान है। उन्होंने आजमी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए उनके बयान को उकसाने वाला बताया।
कानूनी कार्रवाई की मांग
अबू आजमी के बयान के विरोध में कई जगहों पर प्रदर्शन हुए, और उनके खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई गईं। राज्य के कुछ हिस्सों में इस बयान को लेकर तनाव की स्थिति भी बनी रही। कई संगठनों ने मांग की कि उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाए।
इतिहास पर नई बहस
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर इतिहास को लेकर नई बहस छेड़ दी है। औरंगजेब को लेकर इतिहासकारों के बीच अलग-अलग मत रहे हैं। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि वह एक कट्टर शासक था, जिसने मंदिरों को नष्ट किया, जबकि कुछ का कहना है कि उसने कुछ मंदिरों को संरक्षण भी दिया था।
अबू आजमी के इस बयान ने राजनीति और समाज में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। महाराष्ट्र सरकार और विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रिया से यह मामला और गरमाता जा रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस पर आगे क्या कानूनी और राजनीतिक कदम उठाए जाते हैं।