2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने के बाद, अब खबर है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी भी भाजपा के संपर्क में हैं।
सूत्रों के अनुसार मनीष तिवारी और भाजपा के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। तिवारी भाजपा में शामिल होने के लिए इच्छुक हैं, लेकिन अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है।
मनीष तिवारी कांग्रेस के एक मुखर नेता रहे हैं और उन्होंने कई बार पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं। 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद तिवारी ने पार्टी में बदलाव की मांग की थी।
कमलनाथ और मनीष तिवारी के भाजपा में जाने से कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है। दोनों ही नेता कांग्रेस के वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं और उनके पास बड़ा जनाधार है।
लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस को पहले ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा लगातार दूसरी बार केंद्र में सत्ता में आने के लिए पूरी ताकत से प्रयास कर रही है।
कांग्रेस को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है। पार्टी को एकजुट होकर चुनाव लड़ने की जरूरत है।
यह भी ध्यान रखना होगा कि भाजपा में भी गुटबाजी है। कमलनाथ और मनीष तिवारी के भाजपा में शामिल होने से पार्टी के अंदर खींचतान बढ़ सकती है।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि मनीष तिवारी भाजपा में शामिल होते हैं या नहीं।
यह भी देखना होगा कि कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को कैसे टक्कर देती है।
मनीष तिवारी: कांग्रेस से भाजपा तक का सफर
मनीष तिवारी, एक वरिष्ठ वकील और राजनेता, जो 17वीं लोकसभा में पंजाब के आनंदपुर साहिब से कांग्रेस सांसद हैं, हाल ही में भाजपा में शामिल होने की खबरों को लेकर सुर्खियों में हैं।
उनका राजनीतिक सफर:
- 1988-1993: भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) के अध्यक्ष
- 1998-2000: भारतीय युवा कांग्रेस (I) के अध्यक्ष
- 2004: लोकसभा चुनाव हार गए
- 2009: शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार को हराकर लोकसभा चुनाव जीता
- 2012-2014: सूचना और प्रसारण मंत्री
- 2014: खराब स्वास्थ्य के कारण लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा
- 2019: आनंदपुर साहिब से लोकसभा चुनाव जीता
कांग्रेस में उनका योगदान:
- यूपीए सरकार के दौरान कांग्रेस के प्रवक्ता
- पार्टी के मुखर नेता, जिन्होंने कई बार पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए
- 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी में बदलाव की मांग की