भगवान विष्णु के अवतारों में से एक माने जाने वाले ऋषि परशुराम की 51 फुट ऊंची प्रतिमा अरुणाचल प्रदेश में लोहित नदी के तट पर मौजूद पवित्र स्थल ‘परशुराम कुंड’ पर स्थापित की जाएगी।
राज्य के एक अधिकारी के मुताबिक राज्य सरकार ‘परशुराम कुंड’ को पूर्वोत्तर क्षेत्रों में एक प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रही है।
37.87 करोड़ रुपये की लागत से होगा पुनरुद्धार
अधिकारी की तरफ से बताया गया कि केंद्र सरकार की तीर्थयात्रा पुनरुद्धार और आध्यात्मिक विरासत संवर्धन अभियान योजना के तहत इस स्थल को विकसित करने के लिए 37.87 करोड़ रुपये का अनुदान आवंटित किया गया है।
इस परियोजना में ऋषि परशुराम की 51 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित करना शामिल है, जिसे कुंड को विकसित करने के लिए समर्पित संगठन वीआईपीआरए फाउंडेशन की तरफ से दान किया जाएगा।
पौराणिक कथाओं में परशुराम कुंड का महत्व
अधिकारी ने आगे बताया कि इस पवित्र स्थल लोहित नदी के तट पर मकर संक्रांति पर्व के दौरान लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान करते हैं। क्योंकि परशुराम कुंड का हिंदू पौराणिक कथाओं में बहुत महत्व है और इसके विकास का उद्देश्य पहुंच को बढ़ाना और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना है। जबकि राज्य के उपमुख्यमंत्री चाउना मीन खुद परशुराम कुंड में परियोजना की देखरेख कर रहे हैं।
ऐसे पड़ा परशुराम कुंड का नाम
बता दें कि भगवान परशुराम ने अपने पिता के कहने पर अपनी मां की हत्या कर दी थी और उन्होंने जो कुल्हाड़ी चलाई थी, वह पाप के कारण उनके हाथ में फंस गई थी। कुछ ऋषियों की सलाह पर भगवान परशुराम इसका प्रायश्चित करने के लिए पूरे हिमालय में भटकते रहे।
इस दौरान लोहित नदी के पानी में हाथ धोने के बाद कुल्हाड़ी उनके हाथ से गिर गई थी। जिस जगह पर भगवान परशुराम ने अपना हाथ धोया था, उस जगह को परशुराम कुंड कहा जाने लगा। यहां साल मकर संक्रांति के मौके पर लगने वाले मेले को परशुराम कुंड मेला कहा जाता है।