Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 कई मायनों में बेहद खास है, क्योंकि इस बार बीजेपी साउथ के दुर्ग पर अपना झंडा फहराने की कोशिश कर रही है. राजनीतिक विश्लेषक भी मान रहे हैं कि 2024 के चुनाव में बीजेपी नॉर्थ ही नहीं साउथ में भी कमाल कर सकती है.
लगातार सामने आ रहे सर्वे भी इस तरह का संकेत दे रहे हैं. तमिलनाडु में पहले चरण में 19 अप्रैल को सभी 39 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है. इसके लिए सभी दल तूफानी चुनाव प्रचार कर रहे हैं. तमिलनाडु में इस बार इंडिया अलायंस और एनडीए के बीच तगड़ी फाइट दिख सकती है.
सूबे की 39 लोकसभा सीट में से बीजेपी इस बार 23 पर लड़ रही है, वहीं उसकी सहयोगी PMK (पट्टाली मक्कल काची) 10, पूर्व मंत्री जीके वासन के नेतृत्व वाली तमिल मनीला कांग्रेस 3, टीटीवी दिनाकरन की एएमएमके 2 और निष्कासित एआईएडीएमके नेता ओ पन्नीरसेल्वम 1 सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
बीजेपी की नजर इस बार तमिलनाडु की दक्षिण चेन्नई, वेल्लोर, पेरम्बलुर, कोयंबटूर, नीलगिरी और विरुधुनगर सीट पर कमल खिलाने की है. क्यों बीजेपी का इन खास 6 सीटों पर फोकस है आइए डिटेल में समझते हैं.
दक्षिण चेन्नई पर बीजेपी की नजर
बीजेपी 1991 से दक्षिण चेन्नई लोकसभा सीट पर उम्मीदवार उतार रही है. इस बार पार्टी तेलंगाना के राज्यपाल पद से इस्तीफा देने वाली बीजेपी की तमिझीसाई सुंदरराजन को मैदान में उतारा है. 2014 का चुनाव एकमात्र ऐसा समय था, जब बीजेपी ने दक्षिण चेन्नई में 24.57 प्रतिशत वोट शेयर के साथ दोहरे अंक का आंकड़ा पार किया था.
वेल्लोर में बढ़ा वोट शेयर
बीजेपी ने वेल्लोर से 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में उम्मीदवार उतारे और 1.55 और 33.26 फीसदी वोट हासिल किए. इस सीट पर बीजेपी के वोट प्रतिशत में भारी बढोतरी का श्रेय मुख्य रूप से एसी शनमुगम को जाता है, जिन्होंने 2000 के दशक की शुरुआत में AIADMK छोड़ दी थी और पुथिया निधि काची (PNK) यानी न्यू जस्टिस पार्टी का गठन किया था.
इस बार वह DMK के कथिर आनंद और AIADMK के एस पशुपति के खिलाफ बीजेपी के चुनाव चिह्न पर सियासी मैदान में हैं.
पेरम्बलुर में आगे बढ़ रही है बीजेपी
बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में पेरम्बलुर सीट से उम्मीदवार को मैदान में उतारा था. उस चुनाव में पारीवेंधर को 23.2 फीसदी वोट मिले थे. इस बार डीएमके से अरुण नेहरू और एआईएडीएमके से एनडी चंद्रमोहन पारीवेंधर के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.
कोयंबटूर में 31.47 प्रतिशत तक पहुंच चुका वोट शेयर
1989 से ही कोयंबटूर को बीजेपी का पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्र माना जाता रहा है. 1989 के चुनाव में यहां बीजेपी को 3.34 प्रतिशत वोट मिले थे, जो 2019 तक 31.47 प्रतिशत तक पहुंच गए. कोयंबटूर में डीएमके ने पूर्व मेयर गणपति राजकुमार को एआईएडीएमके के सिंगाई जी रामचंद्रन और बीजेपी के अन्नामलाई के खिलाफ मैदान में उतारा है.
नीलगिरी में दिखाया दम
यह सीट 1990 के दशक के आखिर में बीजेपी का गढ़ बन गई. यहां 1998 में 46.49 फीसदी और 1999 के लोकसभा चुनावों में 50.73 प्रतिशत वोट हासिल किया था. हालांकि इन दो साल में पार्टी एआईएडीएमके और डीएमके के साथ गठबंधन में थी. इस बार बीजेपी के केंद्रीय राज्य मंत्री एल मुरुगन का मुकाबला डीएमके के पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और एआईएडीएमके के लोकेश तमीज सेलवन से होगा.
विरुधुनगर पर भी फोकस कर रही बीजेपी
अभिनेता से राजनेता बने सरथकुमार की पत्नी राधिका सरथकुमार ने अपनी समथुवा मक्कल काची पार्टी का बीजेपी में विलय कर दिया है, वह विरुधुनगर से चुनाव लड़ रही हैं. यहां से कांग्रेस उम्मीदवार बी मणिकम टैगोर और डीएमडीके नेता विजयकांत के बेटे विजय प्रभाकरन भी मैदान में हैं.
द्रविड़ियन राजनीति में आस्था का तड़का
तमिलनाडु की द्रविड़ियन राजनीति में बीजेपी आस्था और धर्म पर जाति का तड़का लगाया है. प्रधानमंत्री इस साल छह बार तमिलनाडु का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने लगातार अपनी चुनावी सभाओं में परिवारवादी और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सत्ताधारी डीएमके और उसकी सहयोगी कांग्रेस को घेरा है.
नड्डा और शाह ने भी किया दौरा
प्रधानमंत्री के अलावा बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी लगातार तमिलनाडु दौरे कर रहे हैं. तमिलनाडु में एनडीए में अम्मा मक्कल मुनेत्र कषगम, तमिल मनिला कांग्रेस, पत्ताली मक़्कल काची जैसी पार्टीय शामिल हो चुकी है. वहीं अभिनेता और राजनीतिज्ञ शार्थ कुमार ने अपनी पार्टी AISMK का विलय बीजेपी में कर दिया है. पार्टी ने एस रामदास के नेतृत्व वाली पीएमके के साथ गठबंधन किया है, जो वन्नियार जाति का प्रतिनिधित्व करती है और उनके लिए आरक्षण की मांग करती है. राज्य में करीब 15 प्रतिशत लोग वनियार जाति के हैं और पीएमके के अम्बुमणि रामदोस इनके प्रमुख और लोकप्रिय नेता माने जाते हैं.