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बंगाल में BJP का बढ़ता 'वोट स्विंग' कितनी बड़ी चुनौती? ममता बनर्जी कैसे पाएंगी इससे पार

बंगाल में BJP का बढ़ता ‘वोट स्विंग’ कितनी बड़ी चुनौती? ममता बनर्जी कैसे पाएंगी इससे पार

पश्चिम बंगाल (West Bengal) में बीजेपी और टीएमसी में इस बार जबर्दस्त मुकाबला है. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) की भविष्यवाणी है कि बीजेपी इस बार पश्चिम बंगाल में नंबर एक की पार्टी बनेगी. दोनों पार्टियों का यही टकराव कोलकाता से दिल्ली तक सड़कों पर भी दिख रहा है.

जहां टीएमसी बीजेपी पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा कर सड़कों पर है, वहीं बीजेपी टीएमसी पर भ्रष्टाचार और संदेशखाली की घटनाओं के बाद महिला सुरक्षा को लेकर सवाल उठा रही है. उधर, कांग्रेस और सीपीएम पश्चिम बंगाल में चुनाव को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास कर रहे हैं.

आंकड़ों में कौन है मजबूत?

आइए आंकड़ों के जरिए समझते हैं कि पश्चिम बंगाल की तस्वीर कैसी रहती आई है. टीएमसी को राज्य की 42 लोक सभा सीटों में से 2009 में 31.2% वोट के साथ 19 सीटें मिली थी.2014 में 39.4% वोट के साथ 34 सीटें मिली थी.

2019 में 43.3% वोट के साथ 22 सीटें मिली थी.पिछले चुनाव में टीएमसी के पक्ष में लगभग 4 प्रतिशत मतों का स्विंग देखने को मिला था लेकिन उसे 12 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था.

बीजेपी ने सबको चौकाया था

पश्चिम बंगाल में बीजेपी का उभार हैरान करने वाला है. बीजेपी पिछले दस साल में ही प्रमुख विपक्षी दल बन कर उभरी है और अब वो टीएमसी को बराबरी की टक्कर दे रही है. 2009 में बीजेपी को 6.14% वोट के साथ केवल एक सीट मिली थी.

2014 में बीजेपी का वोट करीब दस प्रतिशत बढ़ कर 16.8% हो गया लेकिन सीट केवल दो ही मिली थी. लेकिन पिछले लोक सभा चुनाव में बीजेपी ने जबर्दस्त कामयाबी हासिल की. 2019 में बीजेपी का वोट बढ़ कर 40.3% हो गया और उसे 18 सीटें मिलीं. यानी बीजेपी के पक्ष में 23.5% का स्विंग हुआ था. बीजेपी के सीटों में 2014 की तुलना में 2019 के लोकसभा चुनाव में 16 सीटों की बढ़ोतरी हुई थी.

लेफ्ट और कांग्रेस की कमजोरी का बीजेपी को मिला फायदा

दरअसल, बीजेपी के इस उभार के पीछे मोदी फैक्टर के साथ ही लेफ्ट कांग्रेस का गर्त में पहुंचना भी है। इन दोनों ही दलों के वोट बड़ी संख्या में बीजेपी को चले गए। लिहाजा जहां टीएमसी का वोट प्रतिशत लगातार बढ़ता रहा, बीजेपी को लेफ्ट कांग्रेस के वोट मिलने का फायदा मिला. लेकिन इस चुनाव में लेफ्ट कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं. वे किसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे, यह रिजल्ट ही बताएगा.

बीजेपी ने रखा 35 सीटों पर जीतने का लक्ष्य

बीजेपी ने इस लोक सभा चुनाव में 35 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. आइए देखते हैं कि इस आंकड़ें तक पहुंचने के लिए बीजेपी की क्या ताकत और क्या कमजोरी है.

  • मोदी फैक्टर – बीजेपी को इस चुनाव में सबसे अधिक भरोसा पीएम मोदी की छवि है.
  • सीएए – सीएए को लेकर भी बंगाल में बीजेपी को काफी उम्मीदे हैं
  • संदेशखाली मुद्दा -संदेशखाली की घटना को लेकर बीजेपी टीएमसी पर दवाब बना रही है.
  • टीएमसी पर भ्रष्टाचार के आरोप- टीएमसी के कई नेताओं पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोप का भी बीजेपी फायदा उठाना चाहेगी.

लेफ्ट कांग्रेस गठबंधन के कारण मुस्लिम वोट में विभाजन की संभावना है.

  • संदेशखाली के बाद महिला सुरक्षा पर रिकॉर्ड पर सवाल.
  • टीएमसी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप.
  • शिक्षक भर्ती और राशन घोटाले में कई पूर्व मंत्री, नेता जेल में हैं.

राजनीतिक विश्लेषक ने क्या कहा?

राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि इस चुनाव में संदेशखाली की घटना के कारण टीएमसी के महिला वोट बैंक पर असर पड़ सकता है. पिछले चुनाव में बीजेपी की तुलना में महिलाओं ने टीएमसी को अधिक वोट किया था. सीएए को लेकर भी मतों का ध्रुवीकरण हो सकता है. बंगाल और असम में इसके असर की संभावना है.

इंडिया गठबंधन में फूट का फायदा भी बीजेपी को मिल सकता है. कांग्रेस और वाममोर्चा का अलग लड़ना टीएमसी के लिए नुकसानदायक हो सकता है. ऐसी 12 सीटें हैं जहां बीजेपी 10 प्रतिशत से कम मतों से हारी है. अगर कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में कुछ भी प्रतिशत वोट जाता है तो इसका नुकसान सीधे तौर पर टीएमसी को होगा.

टीएमसी के खिलाफ मतों का बीजेपी को मिलेगा लाभ?

बंगाल की राजनीति में पिछले कुछ चुनावों में वाममोर्चा की हालत बेहद कमजोर हो गयी है. टीएमसी से नाराज मतदाताओं के बीच एक यह संदेश है कि शायद वाममोर्चा को टीएमसी को हराने के हालत में नहीं है ऐसे में इसका लाभ बीजेपी को मिल सकता हैं. हालांकि कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद संभव है कि अल्पसंख्यक मतों का रुझान वाममोर्चा की तरफ बढ़े.

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