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हिंदू धर्म के रक्षक गुरु तेग बहादुर: कश्मीरी पंडितों के लिए औरंगज़ेब से लड़ा धर्म युद्ध

कभी-कभी इतिहास की किताबों में ऐसी कहानियां छुपी होती हैं, जो सुनते ही रोंगटे खड़े कर देती हैं। एक ऐसी ही कहानी है सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर जी की, जिन्होंने हिंदू धर्म को बचाने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी। औरंगजेब के उस दौर में, जब हिंदुओं पर जुल्म की […]

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30 मई: कारगिल में दुश्मनों को मारते हुए आगे बढ़े शहीद मेजर राजेश अधिकारी, तोलोलिंग फतह कर हुए बलिदान

आज 30 मई 2025 है। ठीक 26 साल पहले, इसी दिन कारगिल की बर्फीली चोटियों पर भारत माता के एक सच्चे सपूत ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। वह वीर थे शहीद मेजर राजेश सिंह अधिकारी, जिन्होंने 18 ग्रेनेडियर्स बटालियन के साथ तोलोलिंग की चोटी पर दुश्मनों को धूल चटाई और भारत की झोली

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डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार

डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार: हिंदू एकता के नायक और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के महान विचारक

भारत की माटी ने हमेशा से ऐसे सपूतों को जन्म दिया है, जिन्होंने अपनी जिंदगी देश और संस्कृति की रक्षा के लिए समर्पित कर दी। ऐसे ही एक महान व्यक्तित्व थे डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार, जिन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। हेडगेवार हिंदू एकता के नायक थे और

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गुर्जर योद्धाओं की शौर्यगाथा: राजस्थान में महमूद ग़ज़नवी की सेना को मिली करारी हार

भारत की धरती ने हमेशा से वीर योद्धाओं को जन्म दिया है, जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी। ऐसी ही एक शौर्यगाथा है राजस्थान के गुर्जर योद्धाओं की, जिन्होंने 11वीं सदी में महमूद ग़ज़नवी जैसे क्रूर आक्रांता को अपनी तलवारों की धार से सबक सिखाया। यह कहानी है

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28 मई: सावरकर जयंती—हिंदुत्व और राष्ट्रप्रेम के योद्धा, जिनसे आज भी डरते हैं कांग्रेस-वामपंथी

आज 28 मई 2025 है और यह दिन हर भारतीय के लिए गर्व का प्रतीक है। आज हम स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर की जन्मजयंती मना रहे हैं। सावरकर, जिन्हें “वीर सावरकर” के नाम से जाना जाता है, एक ऐसे योद्धा थे जिन्होंने हिंदुत्व और राष्ट्रप्रेम की मशाल को जलाकर भारत की आत्मा को जगाया। उनकी

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लौह पुरुष की ललकार: नेहरू-गांधी से मतभेद के बावजूद सरदार पटेल ने बचाई भारत की अखंडता

सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें भारत का “लौह पुरुष” कहा जाता है, स्वतंत्रता संग्राम के एक ऐसे नायक थे, जिन्होंने न केवल अंग्रेजों से लोहा लिया, बल्कि आजाद भारत को एकजुट करने में अपनी अदम्य इच्छाशक्ति का परिचय दिया। लेकिन उनकी यह यात्रा इतनी आसान नहीं थी। कई मौकों पर उनके विचार जवाहरलाल नेहरू और महात्मा

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ज्ञानवापी का युद्ध @ काशी विश्वनाथ मंदिर: जब औरंगजेब की सेना से भिड़ गए नागा साधु, 40 हजार ने दी प्राणों की आहुति

नागा साधु, जिनके लिए वीरता और धर्म एक ही हैं, हिंदू संस्कृति के रक्षक रहे हैं। ये योद्धा संत न केवल अपनी आध्यात्मिक शक्ति के लिए जाने जाते हैं, बल्कि इस्लामी आक्रमणकारियों और बाद में ब्रिटिश सेना के खिलाफ उनके साहसिक संघर्षों के लिए भी मशहूर हैं। इन्होंने हिंदुओं और उनके पवित्र मंदिरों की रक्षा

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आगरा में जाटों ने खोद दी थी अकबर की कब्र, जला दी थीं अस्थियां, कुछ नहीं कर पाया था औरंगजेब

आगरा, एक शहर जो मुगल साम्राज्य की भव्यता का प्रतीक रहा है, इतिहास के उन पन्नों का भी साक्षी है, जहां विद्रोह की आग ने मुगल शासकों की नींव हिला दी। सन् 1688 में, औरंगजेब के शासनकाल में, जाटों ने ऐसा विद्रोह किया, जिसने मुगल बादशाह को सकते में डाल दिया। इस विद्रोह के केंद्र

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नाखून उखड़े, आँखें फोड़ीं, फिर भी न झुके: संभाजी महाराज, जिन्होंने हिंदुस्तान को हिंदू बनाए रखा

नाखून उखड़े, आँखें फोड़ीं, फिर भी न झुके: संभाजी महाराज, जिन्होंने हिंदुस्तान को हिंदू बनाए रखा

भारत की पवित्र धरती पर हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अनगिनत वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी। इनमें छत्रपति संभाजी महाराज का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है, जिन्होंने 39 दिनों तक अमानवीय यातनाएँ सहकर भी अपने धर्म और स्वाभिमान को नहीं छोड़ा। उनका बलिदान मराठा साम्राज्य की नींव को अटल रखने वाला और

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गजेंद्र सिंह: भारत का वो वीर जवान, जिसके शौर्य की गाथा रूस में आज भी सुनाई जाती है

पिथौरागढ़ जिले के बरालू गांव के मूल निवासी नायब सूबेदार गजेन्द्र सिंह ने द्वितीय विश्व युद्ध के कठिन समय में रेड आर्मी के साथ जो समर्पण और बहादुरी दिखाई, वह आज भी रूस और भारत दोनों में याद किया जाता है। 1936 में ब्रिटिश इंडियन आर्मी सर्विस कॉर्प्स में भर्ती होने के बाद, उन्होंने पाकिस्तान

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