Delhi Assembly Elections: हरियाणा-महाराष्ट्र की तरह दिल्ली में भी एक्टिव होगा आरएसएस, बीजेपी को जिताने के लिए इस रणनीति पर काम करेगा संघ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को समर्थन देने के लिए अपनी रणनीति को तेज कर रहा है। हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में आरएसएस की सक्रिय भूमिका ने बीजेपी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब यही रणनीति दिल्ली में भी अपनाई जा रही है।

संघ की दिल्ली में सक्रियता

आरएसएस ने दिल्ली में अपनी सक्रियता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। संघ की शाखाओं की संख्या में इजाफा हुआ है और विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर जनसंपर्क अभियान चलाए जा रहे हैं। दिल्ली के स्थानीय मुद्दों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और जल संकट को केंद्र में रखकर संघ जनता से जुड़ने की कोशिश कर रहा है।

संघ की स्थानीय इकाइयों ने पिछले कुछ महीनों में कई बैठकें की हैं, जिनमें चुनावी रणनीतियों पर चर्चा हुई। संघ का मुख्य उद्देश्य जनता को बीजेपी की नीतियों और उपलब्धियों से अवगत कराना है।

बीजेपी के लिए रणनीतिक समर्थन

आरएसएस दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित रणनीतियों पर काम कर रहा है:

जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करना: संघ कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने का निर्देश दिया गया है।

लोकल मुद्दों पर फोकस: आरएसएस दिल्ली के लोगों के प्रमुख मुद्दों जैसे बिजली, पानी, शिक्षा, और महिला सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है।

सोशल मीडिया पर सक्रियता: संघ ने अपने विचार और नीतियों को जनता तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग बढ़ाया है।

हरियाणा और महाराष्ट्र का अनुभव

हरियाणा और महाराष्ट्र में आरएसएस की भूमिका ने यह साबित किया कि संगठित प्रयासों से चुनाव परिणाम बदले जा सकते हैं। इन राज्यों में संघ ने न केवल जमीनी स्तर पर प्रचार किया, बल्कि उम्मीदवार चयन में भी अहम भूमिका निभाई।

दिल्ली में भी संघ इस अनुभव का इस्तेमाल कर रहा है। उदाहरण के लिए, हरियाणा में किसान और युवा वोटरों को आकर्षित करने के लिए संघ ने सामाजिक मुद्दों को अपने अभियान का हिस्सा बनाया था। दिल्ली में यह मॉडल झुग्गी-झोपड़ी के निवासियों और मध्यम वर्ग के लोगों पर केंद्रित होगा।

स्थानीय मुद्दों का समाधान

दिल्ली में आरएसएस की रणनीति का मुख्य उद्देश्य स्थानीय मुद्दों का समाधान पेश करना है। उदाहरण के लिए:

शिक्षा सुधार: संघ ने दिल्ली में सरकारी स्कूलों की हालत सुधारने के लिए सुझाव दिए हैं।

स्वास्थ्य सेवाएं: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत करने की योजना पर चर्चा हुई है।

जल संकट: यमुना की सफाई और जल वितरण प्रणाली को बेहतर बनाने के प्रयासों का समर्थन।

विपक्ष को चुनौती

आरएसएस और बीजेपी की सक्रियता ने आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। AAP जहां अपने विकास कार्यों को जनता के बीच रख रही है, वहीं कांग्रेस ने अपने पुराने वोट बैंक को फिर से मजबूत करने की कोशिश शुरू की है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आरएसएस की सक्रिय भूमिका बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। संघ की जमीनी पहुंच और सामाजिक मुद्दों पर फोकस बीजेपी को विपक्ष के खिलाफ बढ़त दिला सकता है। हरियाणा और महाराष्ट्र में मिली सफलता को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि आरएसएस दिल्ली में भी अपनी रणनीति से बीजेपी को बड़ी जीत दिलाने में सक्षम हो सकता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top