महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में ईवीएम की विश्वसनीयता पर उठाए गए विपक्ष के सवालों को चुनाव आयोग ने गलत साबित कर दिया है। आयोग ने रैंडम तरीके से 1,440 वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया, जो ईवीएम के नतीजों से पूरी तरह मेल खाते पाए गए।
वीवीपैट सत्यापन से पुष्टि
महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी किरण कुलकर्णी ने बताया कि राज्य की 288 विधानसभा सीटों में प्रत्येक सीट के 5% मतदान केंद्रों पर वीवीपैट पर्चियों का सत्यापन किया गया। सभी परिणाम ईवीएम की गिनती से सटीक मेल खाते हैं। कुलकर्णी ने कहा, “यह प्रक्रिया ईवीएम की विश्वसनीयता को और मजबूत करती है।”
ईवीएम की बैटरी को लेकर भी दी सफाई
कुछ ईवीएम में 99% बैटरी चार्ज दिखने को लेकर विपक्ष ने छेड़छाड़ की संभावना जताई थी। इस पर कुलकर्णी ने स्पष्ट किया कि ईवीएम की बैटरी मोबाइल बैटरी की तरह नहीं होती। इसकी पांच साल की आयु और उच्च क्षमता इसे टिकाऊ बनाती है।
कैसे होता है वीवीपैट मिलान?
कुलकर्णी ने बताया कि मतगणना के दौरान रैंडम तरीके से पांच वीवीपैट का चयन किया जाता है। यह प्रक्रिया उम्मीदवार, मतगणना एजेंट और अधिकारियों की मौजूदगी में होती है। चुनी गई वीवीपैट पर्चियों की गिनती की जाती है और इसे ईवीएम के नतीजों से मिलाया जाता है। यह प्रक्रिया पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करती है।
चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर भरोसा
चुनाव आयोग ने बार-बार कहा है कि ईवीएम और वीवीपैट की प्रणाली पूरी तरह से सुरक्षित और भरोसेमंद है। वीवीपैट सत्यापन से इस बात की पुष्टि होती है कि चुनावी प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष है।
इस ताजा रिपोर्ट के बाद विपक्ष के ‘मिशन EVM’ को बड़ा झटका लगा है और ईवीएम की प्रामाणिकता पर चुनाव आयोग का भरोसा और भी मजबूत हुआ है।