Jashpur: मिशन स्कूल के हॉस्टल में धर्मांतरण का खेल, गुमनाम शिकायत पर सीडब्ल्यूसी ने लिया संज्ञान

जशपुर जिले के पोरेतांगा स्थित सरकारी अनुदान प्राप्त विनय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय में संचालित छात्रावास में बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा और अधिकारों से जुड़े गंभीर मामले सामने आए हैं। स्थानीय जागरूक नागरिकों ने बाल कल्याण समिति (CWC) के अध्यक्ष नितिन राय को गुमनाम पत्र भेजकर इन अव्यवस्थाओं की ओर ध्यान दिलाया है। अमर उजाला के जिला संवाददाता संतोष चौधरी ने इसकी पड़ताल कर रिपोर्ट दी है।

छात्रावास में अव्यवस्था और शोषण के आरोप

शिकायत में छात्रों ने आरोप लगाया कि छात्रावास में बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है। स्वच्छता और स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखा जाता। बच्चों को अस्वच्छ और असुरक्षित माहौल में रखा जा रहा है। छात्रों का कहना है कि उन्हें अपनी जरूरतों के लिए खाट, मच्छरदानी और कंबल तक घर से लाने पड़े।

धर्मांतरण और धार्मिक दबाव का आरोप

छात्रों के अनुसार, छात्रावास चर्च परिसर से सटा हुआ है, और सभी को चर्च में प्रार्थना के लिए बाध्य किया जाता है, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। छात्रों को प्रतिदिन सुबह “मिस्सा” (ईसाई प्रार्थना) करना, शाम को “रोजरी” और अन्य ईसाई गतिविधियों में भाग लेना अनिवार्य किया गया है। शनिवार और रविवार के लिए भी इसी तरह की गतिविधियों का पालन करना अनिवार्य बताया गया है।

अवैध वसूली और अनुशासनहीनता के आरोप

शिकायत में यह भी कहा गया है कि प्रति बच्चे से ₹1000 वसूले जाते हैं, लेकिन इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। बच्चों ने आरोप लगाया कि विद्यालय प्रशासन पर शराब पीने और अनुशासनहीनता का आरोप है, जो उनके मानसिक और शारीरिक विकास को प्रभावित कर रहा है।

श्रम और दुर्व्यवहार

बच्चों से बागवानी और मजदूरी कराई जाती है। छात्र बताते हैं, “हमसे रोज बागान में काम करवाया जाता है। जो सब्जियां उगाई जाती हैं, वही हमें खिलाई जाती हैं। जब सब्जियां खत्म हो जाती हैं, तो हमें सूखी पत्तियों का पाउडर (सुकटी भात) दिया जाता है।”

सरकारी अनुदान का दुरुपयोग

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 में दिए गए ₹79 लाख के अनुदान के बावजूद, विद्यालय प्रशासन की लापरवाही और बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन की शिकायतें सामने आई हैं। शिकायतकर्ताओं ने मांग की है कि सरकारी ऑडिटर से इन अनुदानों की जांच कराई जाए।

फादर अमित बेक का पक्ष

विद्यालय के प्रमुख फादर अमित बेक ने इन आरोपों को खारिज करते हुए ‘अमर उजाला’ से कहा कि यह छात्रावास नहीं है, बल्कि दूर-दराज से आए गरीब बच्चों को पढ़ाई का अवसर प्रदान करने के लिए बनाया गया स्थान है। उन्होंने कहा कि बच्चों को खेती और बागवानी सिखाई जा रही है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। धर्मांतरण और प्रार्थना में भाग लेने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि यह स्वैच्छिक है और किसी पर दबाव नहीं डाला जाता।

बाल कल्याण समिति ने लिया संज्ञान

CWC अध्यक्ष नितिन राय ने इन आरोपों को गंभीर मानते हुए कहा, “शिकायत के आधार पर सभी सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों और अवैध छात्रावासों की जांच के लिए कार्रवाई शुरू की जा रही है। अगर बच्चों के अधिकारों का हनन और धर्मांतरण की कोशिश साबित होती है, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”

स्थानीय निवासियों की मांग

स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से अपील की है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और बच्चों के लिए सुरक्षित एवं अनुकूल वातावरण प्रदान किया जाए। बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की जांच के लिए विशेषज्ञों की टीम तैनात करने की भी मांग की गई है। इस मामले ने जशपुर जिले में शिक्षा और बच्चों के अधिकारों को लेकर प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन इन आरोपों पर क्या कदम उठाता है।

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top