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कन्याओं के पांव पखारे, आरती उतारी, गोरखनाथ मंदिर में योगी ने की मातृ शक्ति की आराधना

कन्याओं के पांव पखारे, आरती उतारी, गोरखनाथ मंदिर में योगी ने की मातृ शक्ति की आराधना

गोरक्षपीठाधीश्वर ने सबसे पहले कुंवारी कन्याओं के पांव धोये। उनके माथे पर रोली, चंदन, अक्षत आदि का तिलक लगाया। चुनरी ओढ़ाकर एवं दक्षिणा प्रदान कर आशीर्वाद लिया। उन्होंने सभी कुंवारी कन्याओं व बटुकों की श्रद्धाभाव से आरती भी उतारी।

पूजन के बाद इन कन्याओं को मंदिर की रसोई में पकाया गया ताजा भोजन प्रसाद योगी ने अपने हाथों से परोसा। कन्याओं के अतिरिक्त बड़ी संख्या में पहुंचे बटुकों को भी श्रद्धापूर्वक भोजन कराकर उपहार व दक्षिणा दिया गया।
खुद भोजन प्रसाद का ख्‍याल रखते रहे योगी

कन्‍या पूजन के दौरान सीएम योगी ख्याल रखते रहे कि किसी भी कन्या या बटुक की थाली में भोजन प्रसाद की कोई कमी न रहे। इसे लेकर वह मंदिर की व्यवस्था से जुड़े लोगों को निर्देशित करते रहे। पूजन के दौरान गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ समेत कई लोग उपस्थित रहे।

कन्या पूजन के बाद योगी ने प्रदेशवासियों को वासंतिक नवरात्र और श्रीरामनवमी की शुभकामनाएं दीं। योगी ने कहा कि वासंतिक नवरात्र में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी की तिथि तक आदिशक्ति मां भगवती के अलग अलग स्वरूपों का अनुष्ठान आज नवदुर्गा स्वरूपा कुंवारी कन्याओं के पूजन के साथ संपन्न हुआ है। नवरात्र प्रकृति और परमात्मा से जुड़ाव की अद्भुत परंपरा है। उन्होंने आदिशक्ति मां भगवती से चराचर जगत के कल्याण की कामना की।

भगवान श्रीराम को पालने में झुलाया

वासंतिक नवरात्र की नवमी तिथि पर गोरखनाथ मंदिर में कन्या पूजन का अनुष्ठान पूर्ण करने के बाद मुख्यमंत्री मंदिर परिसर स्थित रामदरबार पहुंचे। उन्होंने पालने में विराजमान प्रभु श्रीराम के बाल स्वरूप के विग्रह की वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा अर्चना की। प्रभु विग्रह को तिलक लगाने और माल्यार्पण करने के बाद आरती उतारी। पूजन का अनुष्ठान पूर्ण करने के साथ सीएम योगी ने बाल स्वरूप भगवान को पालने में झुलाया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने भगवान श्रीराम से लोकमंगल की प्रार्थना की।

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्श आज भी प्रासंगिक: योगी​

योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के आदर्श हजारों वर्षों बाद आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने त्रेतायुग में थे। श्रीराम धर्म के साक्षात प्रतीक हैं। मर्यादा के आदर्श हैं। परमात्मा स्वरूप परमपुरुष हैं। हर क्षेत्र में उनके द्वारा स्थापित आदर्श हम सभी को पारिवारिक, सामाजिक और राष्ट्रीय कर्तव्यों के निर्वहन की प्रेरणा देते हैं।

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