कर्नाटक हाईकोर्ट की धारवाड़ खंडपीठ ने कॉन्ग्रेस सरकार को बड़ा झटका देते हुए सरकारी परिसरों में 10 से अधिक लोगों के एकत्र होने पर लगाए गए प्रतिबंध के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। यह आदेश मुख्य रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शाखाओं और सभाओं को निशाना बनाकर जारी किया गया था।
हुब्बल्ली की पुनश्चेतन सेवा संस्था की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने कहा कि सरकार ने पुलिस अधिनियम के प्रावधानों से आगे जाकर प्रशासनिक अधिकारों का दुरुपयोग किया है। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) और 19(1)(b) के तहत मिले मौलिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है।
वकील ने तर्क दिया, “पार्क में परिवार की पार्टी भी इस आदेश के तहत अवैध जमावड़ा मानी जाएगी। पुलिस अधिनियम पहले से मौजूद है, फिर ऐसे प्रशासनिक आदेश की क्या जरूरत?” अदालत ने सरकार से पूछा कि क्या इस आदेश से कोई विशेष उद्देश्य साधा जा रहा है, जिस पर सरकार ने एक दिन का समय मांगा।
दोनों पक्षों की प्रारंभिक दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, गृह विभाग, डीजीपी और हुब्बल्ली पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक मामला लंबित है, यह आदेश लागू नहीं होगा। अगली सुनवाई तक प्रतिबंध स्थगित रहेगा।
कर्नाटक कॉन्ग्रेस के नेता लगातार RSS पर हमलावर हैं। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे और मंत्री प्रियांक खरगे ने तो संघ पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग तक कर दी थी। हाईकोर्ट का यह फैसला सरकार की मंशा पर करारा तमाचा है।
