नया नहीं है दुकानों पर नाम लिखने का नियम, कांग्रेस सरकार ने ही बनाया था कानून; नहीं मानने पर 10 लाख तक जुर्माना

खाने-पीने की सामग्री बेचने वालों को नाम प्रदर्शित करने के आदेश पर भले ही राजनीति गरम हो, लेकिन यह कोई नया फरमान नहीं है। यह कानून कांग्रेस सरकार ने ही बनाया था। यूपीए सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 में स्पष्ट प्रविधान किया है कि खानपान के दुकानदारों को अपना फूड लाइसेंस ऐसी जगह लगाना होगा, जहां आसानी से उसे देखा जा सके।

इसके पालन की बात करें तो राजधानी लखनऊ में यह कानून दरकिनार है। लखनऊ में तो खानपान से जुड़े केवल नौ हजार दुकानदारों के पास ही लाइसेंस हैं और अधिकांश दुकानें संचालकों की पहचान छिपाकर चल रही हैं। लखनऊ का यह हाल है तो प्रदेश के शेष 74 जिलों को स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।

लखनऊ में केवल 8500 दुकानदारों ने ही फूड लाइसेंस ले रखा है जबकि हकीकत में संख्या कई गुना है। अधिनियम के दायरे में खाद्य पदार्थ बनाने वाले, विक्रेता, वितरक, कैटिरंग सर्विस, पैकेजिंग, स्टाकिस्ट, ट्रांसपोर्टर, भंडारण व ढुलाई करने वाले आते हैं। खुद खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी मान रहे हैं कि फूड लाइसेंस लेने वाली की संख्या काफी कम है।

फूड लाइसेंस अनिवार्य कब?

वर्ष में 12 लाख से अधिक टर्नओवर करने वालों को फूड लाइसेंस अनिवार्य है। इससे कम टर्नओवर वालों को यानी रीटेल कारोबारियों को पंजीकरण कराना होता है लखनऊ में पंजीकरण कराने वाले रीटेल कारोबारियों की संख्या भी उत्साहजनक नही है। प्रत्येक गली व मुहल्लों में सैकड़ों ठेले, खोमचे और वैन खाद्य सामग्री बेच रही हैं लेकिन पंजीकरण कराने वालों का आंकड़ा केवल 35 हजार है।

खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 के प्रावधानों को पांच अगस्त 2011 में लागू किया गया जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी। अधिनियम कहता है कि अगर दुकानदार के पास फूड लाइसेंस नहीं है और वह सामान बेच रहा है तो उस पर दस लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

नया नहीं है दुकानों पर नाम लिखने का नियम, कांग्रेस सरकार ने ही बनाया था कानून; नहीं मानने पर 10 लाख तक जुर्माना
दुकानों पर नाम लिखने का नियम नया नहीं है। इसे लेकर कानून कांग्रेस सरकार ने ही बनाया था। खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 के प्रावधानों को पांच अगस्त 2011 में लागू किया गया जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी। अधिनियम कहता है कि अगर दुकानदार के पास फूड लाइसेंस नहीं है और वह सामान बेच रहा है तो उस पर दस लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

वहीं बिना पंजीकरण के खान-पान का सामान बेचने वालों के खिलाफ दो लाख जुर्माना लग सकता है। अधिनियम में फूड लाइसेंस और पंजीकरण को दुकान के सामने डिस्पले करना भी अनिवार्य किया गया है। डिस्पले नहीं मिलने की सूरत में दो बार नोटिस के बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी जुर्माना लगा सकते हैं। मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी जेपी सिंह का कहना है कि लखनऊ में सख्ती से खाद्य सुरक्षा अधिनियमों का पालन कराया जाएगा।

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