महाराष्ट्र सरकार ने भारतीय संस्कृति, कृषि और स्वास्थ्य में स्वदेशी गायों के महत्व को ध्यान में रखते हुए उन्हें ‘राजमाता-गौमाता’ का दर्जा दिया है। सरकार ने यह घोषणा करते हुए कहा कि गाय का भारतीय संस्कृति में वैदिक काल से महत्वपूर्ण स्थान है। इसका महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि चिकित्सा और कृषि में भी है। गाय का दूध अपने पोषण गुणों के कारण मानव आहार का अहम हिस्सा है।
राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई देशी नस्ल की गायें पाई जाती हैं, लेकिन उनकी संख्या में गिरावट चिंता का विषय है। सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से किसान देशी गायों के पालन-पोषण के प्रति प्रोत्साहित होंगे।
यह निर्णय महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन द्वारा जारी एक सरकारी आदेश में लिया गया। आदेश में कहा गया कि गाय का ऐतिहासिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व है, और हमें इसे संरक्षित करने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए, जिनमें कोतवालों के वेतन में बढ़ोतरी और राज्य की गौशालाओं में देशी गायों के लिए सब्सिडी प्रदान करना शामिल है। गौशालाओं को प्रतिदिन प्रति गाय 50 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी, जिससे गायों की देखभाल में मदद मिलेगी।
वहीं, शिवसेना (यूबीटी) ने इस फैसले को चुनावी रणनीति बताया, जबकि कांग्रेस नेता नाना पटोले ने इसका स्वागत करते हुए इसे किसानों के लिए फायदेमंद बताया।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी एक बयान में मुसलमानों को कांग्रेस की नीतियों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं की सराहना की, जिसमें सभी समुदायों को समान लाभ मिल रहा है।
सरकार ने इस फैसले से देशी गायों के संरक्षण और पालन-पोषण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।