मुंबई की राजनीति में एक नया विवाद तब खड़ा हो गया. शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने शहर में ‘हाउसिंग जिहाद’ होने का बड़ा दावा किया. उनका कहना है कि मुंबई के कई इलाकों में मुस्लिम बिल्डर एक सुनियोजित रणनीति के तहत प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं और वहां केवल मुस्लिम समुदाय के लोगों को घर उपलब्ध करवा रहे हैं. इसके जरिये हिंदू बहुल इलाकों को मुस्लिम बहुल बनाने की कोशिश की जा रही है, जिससे शहर की डेमोग्राफी में बदलाव लाया जा सके.
संजय निरुपम ने महाराष्ट्र के आवास मंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर इस मामले की जांच की भी मांग की. उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब स्लम रिहेबिलिटेशन स्कीम (एसआरए) के नाम पर किया जा रहा है.
हिंदुओं से करना पड़ सकता है पलायन
निरुपम ने कहा कि कुछ बिल्डर नियमों का उल्लंघन कर केवल मुस्लिम परिवारों को घर आवंटित कर रहे हैं, जिससे हिंदू समुदाय को उन क्षेत्रों से बाहर करने की एक साजिश चल रही है. उन्होंने इसे “हाउसिंग जिहाद” करार देते हुए कहा कि धीरे-धीरे पूरे मुंबई में यही पैटर्न देखने को मिल रहा है, जिससे हिंदुओं को शहर से मजबूरी में पलायन करना पड़ सकता है.
संजय निरुपम महाराष्ट्र चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हो गए थे. इसके बाद से वह कई उग्र बयान देते देखे गए हैं. इससे पहले 16 फरवरी को उन्होंने पोस्ट करते हुए कहा, ‘पठानवाड़ी के लोगों ने धो-धोकर वोट दिया यूबीटी (उद्धव ठाकरे गुट) के उम्मीदवार को. मैं जीतते-जीतते हारा तो पठानवाड़ी के एकमुश्त मुस्लिम वोटों के कारण. आज जब वहां की समस्या विकट रूप धारण कर रही है तो लोग आमदार को नहीं मुझे टैग कर रहे हैं. क्या यह सिद्ध हो गया है कि पठानवाड़ी का आमदार अकर्मण्य है?’
वहीं संजय निरुपम के इस ताजा बयान पर अब तक राज्य सरकार की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इस बयान से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है. अब देखना यह होगा कि क्या इस मामले की कोई जांच होगी या यह विवाद सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी तक ही सीमित रहेगा.