नैनीताल की जामा मस्जिद का मामला इन दिनों विवादों में घिरा हुआ है। मस्जिद से जुड़े जमीन के दस्तावेज और निर्माण अनुमति न होने की बात ने लोगों का ध्यान खींचा है। इस विषय में अधिक जानकारी के लिए आरटीआई दाखिल की गई थी, लेकिन एक महीने से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद प्रशासन द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया है।
यह सवाल अब एक अहम मुद्दा बन गया है कि कैसे एक खूबसूरत हिल स्टेशन नैनीताल में इतनी बड़ी मस्जिद का निर्माण हो गया और इसके दस्तावेजों का अता-पता नहीं है।
1. मस्जिद का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
नैनीताल की जामा मस्जिद का निर्माण 1882 में ब्रिटिश शासनकाल के दौरान हुआ था। इसका उद्देश्य ब्रिटिश सेना के मुस्लिम सैनिकों को एक धार्मिक स्थान प्रदान करना था। समय के साथ इस मस्जिद का महत्व बढ़ता गया, और इसका पुनर्निर्माण भी 2004-05 के दौरान हुआ। मस्जिद की बाहरी संरचना पर अरबी में शिलालेख हैं, जो इसे ऐतिहासिक पहचान प्रदान करते हैं।
2. दस्तावेजों की कमी और आरटीआई से खुलासा
अधिवक्ता नितिन कार्की द्वारा नैनीताल की जामा मस्जिद से संबंधित जमीन और निर्माण अनुमतियों के दस्तावेजों को हासिल करने के लिए एक आरटीआई दाखिल की गई थी। परन्तु, एक महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी जिला प्रशासन ने इन दस्तावेजों को उपलब्ध नहीं कराया। जानकारियों के अनुसार, नगर पालिका परिषद और राजस्व विभाग के पास ऐसे किसी भी दस्तावेज का रिकॉर्ड नहीं है। इसने मामले को और गंभीर बना दिया है क्योंकि बिना दस्तावेजों के मस्जिद का निर्माण वैधता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
3. विवाद और साम्प्रदायिक संगठन की प्रतिक्रिया
इस विवाद के उभरने के बाद विभिन्न हिंदू संगठनों ने अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने इसे “भूमि जिहाद” का एक उदाहरण बताते हुए चेतावनी दी है कि मंदिरों और मठों की जमीन पर किसी अन्य धर्म के निर्माण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विहिप ने प्रशासन से इस मामले की जांच करके उचित कार्रवाई करने की मांग की है। संगठन ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन कार्रवाई में देरी करता है तो वे अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने को मजबूर होंगे।
4. सामुदायिक प्रतिक्रिया और प्रशासन का रवैया
इस विवाद ने स्थानीय लोगों में भी असंतोष पैदा कर दिया है। लोगों का मानना है कि मस्जिद के निर्माण में वैधता और पारदर्शिता का अभाव है। इसे लेकर शहर में कई लोगों ने आपत्ति जताई है, खासकर जब अन्य धार्मिक स्थलों को भवन विस्तार की अनुमति नहीं मिलती। ऐसे में प्रशासन की ओर से भी कोई स्पष्ट बयान नहीं आने से स्थिति और तनावपूर्ण हो रही है।
नैनीताल की जामा मस्जिद का यह मुद्दा धार्मिक और सांप्रदायिक विवाद में बदलता जा रहा है। जहां एक तरफ मस्जिद का ऐतिहासिक महत्व है, वहीं दूसरी ओर इसके निर्माण से जुड़े दस्तावेजों का न मिलना संदेह पैदा करता है। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी धार्मिक स्थलों के लिए समान नियम लागू हों और पारदर्शिता बनी रहे।