वक्फ संपत्तियों को लेकर विवाद और वक्फ बोर्ड के अधिकारों को नियंत्रित करने की उठ रही मांग के बीच मोदी सरकार वक्फ अधिनियम में संशोधन की तैयारी में जुट गई है। संसद में संशोधन विधेयक पारित हो जाने के बाद वक्फ बोर्ड की अनियंत्रित शक्तियां कम हो जाएंगी।
बोर्ड किसी भी संपत्ति पर बिना सत्यापन अपना आधिपत्य घोषित नहीं कर सकेगा। बताया जाता है कि रेलवे और सशस्त्र बल के बाद सर्वाधिक भूमि का स्वामित्व रखने वाले वक्फ बोर्ड के अनियंत्रित अधिकारों में कटौती के लिए अधिनियम में संशोधन की तैयारी मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले ही शुरू कर दी थी।
वक़्फ़ एक्ट संशोधन पर आपका समर्थन: एक महत्वपूर्ण कदम
वक़्फ़ एक्ट संशोधन आज के समय में एक गंभीर और विचारणीय मुद्दा बन चुका है। वक़्फ़ संपत्तियों के सही प्रबंधन, पारदर्शिता और न्यायसंगत उपयोग के लिए इस एक्ट में संशोधन की माँग लगातार उठाई जा रही है। यह संशोधन न केवल वक़्फ़ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से किया जा रहा है, बल्कि इससे आम जनता के अधिकारों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
जानिए कैसे दें अपना समर्थन?
अगर आप वक़्फ़ एक्ट में हो रहे इस संशोधन के समर्थन में हैं, तो आपके पास अपना समर्थन भेजने के कई विकल्प हैं। सबसे आसान तरीका यह है कि आप दिए गए QR कोड को स्कैन कर अपना समर्थन सीधे भेज सकते हैं। यह एक सरल और आधुनिक तरीका है, जिससे आपका समर्थन तुरंत पहुंच जाएगा।
इसके अलावा, यदि आप चाहें तो नीचे दिए गए लिंक और ईमेल के माध्यम से भी अपना समर्थन भेज सकते हैं। यह सुनिश्चित करेगा कि आपकी राय सही मंच पर पहुंचे और इसे विचार किया जाए।
समर्थन भेजने के तरीके:
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यह एक महत्वपूर्ण समय है जब वक़्फ़ संपत्तियों से संबंधित कानून में संशोधन का प्रस्ताव विचाराधीन है। यदि यह कानून पारित हो जाता है, तो यह वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन और उपयोग को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बना देगा। इसलिए, आपकी भागीदारी और समर्थन इस महत्वपूर्ण संशोधन के सफल क्रियान्वयन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
क्यों पड़ी संशोधन की जरुरत
सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन करके केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से वक्फ के पंजीकरण के तरीके को सुव्यवस्थित करना है। इसमें कहा गया है कि किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को उचित नोटिस के साथ राजस्व कानूनों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार का कहना है कि संशोधन विधेयक के पीछे का मकशद वक्फ बोर्डों के कामकाज में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाना है। इन निकायों में महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी सुनिश्चित करना है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि यह संसोधन मुस्लिम समुदाय की मांग पर किया जा रहा है।
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीं परिषद (एआईएसएससी) प्रतिनिधिमंडल ने जिसमें देश के कई दरगाजों के प्रमुख शामिल हैं ने इस कानून का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने पीएम मोदी के कामकाज की भी तारीफ की।
वक्फ बोर्ड पर क्या आरोप लग रहे?
मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोग खुद सवाल कर रहे हैं कि सरकार वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन क्यों नहीं कर रही है? बोर्ड में सिर्फ शक्तिशाली लोग ही शामिल हैं. भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए जा रहे हैं. पारदर्शिता के लिए व्यवस्था किए जाने की मांग की जा रही है.
यूपी सरकार के पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता मोहसिन रजा कहते हैं कि पूरे देश और समाज की मांग थी कि ऐसा कानून आना चाहिए. वक्फ बोर्ड ने 1995 के कानून का बहुत दुरुपयोग किया है.
वक्फ बोर्डों ने निरंकुश होकर अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया है. अगर कोई संपत्ति गलत ढंग से वक्फ संपत्ति में दर्ज हो गई तो उसको कैसे निकाला जाएगा. वक्त बोर्ड कोई अदालत नहीं है जो फैसला करे कि वक्फ की संपत्ति कौन सी है और कौन सी नहीं है. निर्णय लेने का अधिकार हमारे अधिकारियों को है.
यह संशोधन इसीलिए लाया जा रहा है कि अगर कोई शिकायत है तो उसकी सुनवाई हमारे अधिकारी करेंगे और अधिकारी बताएंगे कि वक्फ बोर्ड क्या कार्रवाई करे. अमूमन लोग अपनी शिकायत लेकर वक्फ बोर्ड जाते हैं तो उनको न्याय नहीं मिल पाता है. वक्फ बोर्ड अपनी निरंकुश शक्तियों से ऊपर उठकर काम कर रहे हैं. मोदी सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है, इससे तमाम लोगों को बहुत फायदा मिलेगा.
मोहसिन रजा कहते हैं कि वक्फ गरीब दबे कुचले मुसलमानों के लिए चैरिटी है लेकिन वक्फ बोर्ड कहता है कि हमारे पास कोई पैसा नहीं है. हमारी कोई आमदनी नहीं है. इनके पास करोड़ों की संपत्तियां हैं तो फिर वो संपत्तियां कहां हैं. इसी को लेकर यह संशोधन एक्ट लाया जा रहा है. कई बार कोई भी संपत्ति को सर्वे के आधार पर ही वक्फ में दर्ज हो जाती है, जब उसके वंशज अपने पूर्वजों की संपत्ति को लेने के लिए दौड़ते हैं लेकिन वक्फ कहता है कि हमने सर्वे रिपोर्ट पर वक्फ प्रॉपर्टी में दर्ज किया है, लेकिन उनके पास कोई दस्तावेज नहीं है. ना उनके पास वकफनामा होता है. ना ही वसीयतनामा. यह लोग अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर ऐसे तमाम संपत्तियों पर लोगों को परेशान करते हैं जिसको लेकर ही जनता के हित में संशोधन लाया जा रहा है.
बीजेपी नेता अजय आलोक कहते हैं कि वक्फ बोर्ड में सुधार की मांग नई नहीं है. यह पिछले 30-40 सालों से चली आ रही है. जो लोग यह मांग उठा रहे हैं और इससे प्रभावित हो रहे हैं, वे खुद मुसलमान हैं. वक्फ बोर्ड में सुधार की जरूरत है और उम्मीद है कि जब इसे पेश किया जाएगा तो समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और टीएमसी इसका (बिल) समर्थन करेंगे.
वक्फ बोर्ड कानून क्या है? इसका क्या रोल है
वक्फ बोर्ड कानून 2013 संसोधन में वक्फ बोर्डों को व्यापक शक्तियां प्रदान की गई थी। तब से यह विवादास्पद हैं। वक्फ अधिनियम, 1995 (2013 में संशोधित) की धारा 3 के तहत परिभाषित किया गया है, वक्फ या वक्फ का अर्थ है मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए किसी भी चल या अचल संपत्ति का किसी भी व्यक्ति द्वारा दान देना। वक्फ अधिनियम, 1995, एक ‘वकीफ’ (वह व्यक्ति जो मुस्लिम कानून द्वारा धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए संपत्ति समर्पित करता है) द्वारा ‘औकाफ’ (दान की गई और वक्फ के रूप में अधिसूचित संपत्ति) को रेगुलेट करने के लिए लाया गया था।
इससे पहले भी कई बार कानून में हो चुका है संशोधन
1954 अधिनियम को 1964, 1969 और 1984 में संशोधित किया गया था। आखिरी बार 2013 में वक्फ संपत्तियों के अवैध हस्तांतरण को रोकने और अतिक्रमण हटाने के लिए प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए कड़े उपाय शामिल किए गए थे।