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BJP के स्थापना दिवस पर 'कमल खिलने' की कहानी, 1984 में जीती थी 2 सीटें, अब 400 पार का दावा

BJP के स्थापना दिवस पर ‘कमल खिलने’ की कहानी, 1984 में जीती थी 2 सीटें, अब 400 पार का दावा

देश के राजनीतिक इतिहास में 6 अप्रैल का दिन बेहद खास अहमियत रखता है। खास तौर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए। आज का दिन BJP के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि  ठीक 44 साल पहले, साल 1980 में आज 6th April को ही Bhartiya Janta Party की स्थापना हुई थी।

BJP के स्थापना दिवस पर ‘कमल खिलने’ की कहानी 1977 में भारतीय जनसंघ का अस्तित्व खत्म कर दिया गया। दरअसल, उस समय देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी। जनता पार्टी की सरकार में शामिल होने के लिए शर्त रखी गई कि विलय करना होगा।

भाजपा की स्थापना कैसे हुई?

6 अप्रैल भारतीय जनता पार्टी (BJP) का स्थापना दिवस है। साल 1980 में आज के ही दिन भाजपा की स्थापना हुई थी। उस समय किसी ने सोचा भी नहीं था आज 40 साल बाद देश की सियासत 360 डिग्री यूटर्न ले चुकी है। बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है और 2024 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इसने 400 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है।

इतना ही नहीं तमाम चुनावी सर्वे भी यही दिखा रहे हैं कि बीजेपी साल 2024 में बड़े अतंर के साथ लोकसभा चुनाव 2024 में जीत हासिल कर सकती है। यह कहानी भारतीय जनसंघ की स्थापना से शुरू होती है।

गौरतलब है कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने उस वक्त हिंदू महासभा से इस्तीफा दे दिया था, जब महात्मा गांधी की हत्या की हुई थी। इसके बाद उन्होंने संघ की मदद से 21 अक्तूबर 1951 बीजेएस का गठन किया। कश्मीर की जेल में मुखर्जी की मौत हो गई। इसके बाद उपाध्यक्ष चंद्रमौली शर्मा को जनसंघ का अध्यक्ष बनाया गया।

उनके बाद प्रेमचंद्र डोगरा, आचार्य डीपी घोष, पीताम्बर दास, ए रामाराव, रघु वीरा, बच्छरास व्यास ने जनसंघ की कमान संभाली। साल 1966 में बलराज मधोक और 1967 में दीनदयाल उपाध्याय अध्यक्ष बने। इनके बाद 1972 तक अटल बिहारी बाजपेयी और 1977 तक लाल कृष्ण आडवाणी अध्यक्ष पद पर रहे।

साल 1977 में भारतीय जनसंघ का अस्तित्व खत्म कर दिया गया। दरअसल, इस समय देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी। ऐसे में जनता पार्टी की सरकार में शामिल होने के लिए शर्त रखी गई कि विलय करना होगा। इस तह जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हुआ। जनता पार्टी सरकार में जनसंघ की तरफ से आडवाणी सूचना प्रसारण मंत्री बने थे। अटल बिहारी बाजपेयी विदेश मंत्री बनाए गए थे।

मगर, कुछ समय बाद ही आपसी खींचतान के चलते 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई। इस स्थिति में जनता पार्टी के संघी नेताओं को नया प्लेटफॉर्म बनाने की जरूरत महसूस हुई। इस तरह, 6 अप्रैल 1980 को मुंबई में एक नई राजनैतिक पार्टी की स्थापना हुई, जिसका नाम भारतीय जनता पार्टी रखा गया। यह तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि 6 अप्रैल 1930 को महात्मा गांधी ने डांडी यात्रा के बाद नमक बनाकर काला कानून तोड़ा था।

1984 के चुनाव में Bhartiya Janta Party ने जीतीं महज 2 सीटें

गौरतलब है कि साल 1984 में जब इंदिरा गांधी की हत्या हो गई तो उस समय सुहानुभूति लहर के चलते कांग्रेस को 400 से ज्यादा सीटें मिलीं और राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। वहीं  भारतीय जनता पार्टी के खाते में सिर्फ 2 सीटें गईं। एक सांसद गुजरात के मेहसाणा से एके पटेल और दूसरे आंध्र प्रदेश की हनामकोंडा से चंदू भाई पाटिया जंगारेड्डी चुने गए। 1980 से 6 साल तक वाजपेयी भाजपा के अध्यक्ष रहे। उन्हें हटाकर लाल कृष्ण आडवाणी का चेहरा आगे लाया गया।

इसके बाद जब 1989 में लोकसभा चुनाव हुआ तो बीजेपी 85 सीटें जीतने में सफल रही। इसके बाद बीजपी की बढ़त जारी रही। साल 1991 में 120 लोकसभा सीटें और 1996 में 161 सीटें भगवा दल के खाते में आईं। इस तरह भाजपा पहली बार भारतीय संसद में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी, मगर बहुमत नहीं होने के कारण 13 दिन बाद इस्तीफा देना पड़ा।

कैसे लगातार बढ़ता गया बीजेपी का ग्राफ

इसके बाद संयुक्त मोर्चा की 2 सरकारों के बाद मध्यावधि चुनावों के लिए एनडीए का गठन हुआ। इसे लेकर शिवसेना, समता पार्टी, बीजू जनता दल, अकाली दल और एआईडीएमके से समझौता हुआ। बीजेपी को 182 सीटें मिलीं और वाजपेयी दूसरी बार पीएम बने। मगर, 13 महीने बाद बाजपेयी सरकार फिर गिर गई। इसके बाद 1999 के चुनाव में भाजपा फिर से विजयी हुई। एनडीए को 303 सीटें मिलीं।

वाजपेयी के नेतृत्व में 5 साल सरकार चलाने का मौका मिला। 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 138 सीटें ही मिलीं। लाल कृष्ण आडवाणी की अगुवाई में 2009 में 116 सीटें आईं। इसके बाद 2014 में 283 सीटों के साथ प्रचंड जीत से नरेंद्र मोदी ने इतिहास रच दिया। अकेले दम पर भाजपा की सरकार बनी। इसके बाद 2019 के आम चुनाव में भाजपा ने 300 से ज्यादा सीट जीतकर इतिहास रच दिया। एनडीए ने 350 से ज्यादा सीटें जीतीं। अब निगाहें 400 पार पर हैं।

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