Partition Horrors Remembrance Day: विभाजन या हिंदुओं के विनाश का षडयंत्र, जब कांग्रेस- मुस्लिम लीग के दौर में लाखों हिंदुओं की हत्या की गई

Partition Horrors Remembrance Day: विभाजन या हिंदुओं के विनाश का षडयंत्र, जब कांग्रेस- मुस्लिम लीग के दौर में लाखों हिंदुओं की हत्या की गई

Partition Horrors Remembrance Day: भारत का विभाजन, जिसे 1947 में ब्रिटिश भारत से भारत और पाकिस्तान के रूप में दो स्वतंत्र राष्ट्रों में विभाजित किया गया, आधुनिक इतिहास की सबसे भयानक घटनाओं में से एक है। यह विभाजन केवल राजनीतिक और भौगोलिक परिवर्तन नहीं था, बल्कि यह लाखों लोगों के जीवन, संस्कृति, और उनके अस्तित्व के लिए भीषण त्रासदी का प्रतीक बन गया। इसने साम्प्रदायिक हिंसा, जनसंहार, और मानवता के पतन का एक ऐसा दौर प्रस्तुत किया, जिसकी गूंज आज भी सुनी जा सकती है।

तो चलिए जानते हैं इस दिन क्या हुआ था और आखिर ये विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस क्या है?

भारत को विभाजन का दर्द भले ही 14 अगस्त 1947 में मिला हो। मगर, अंग्रेजो ने इस योजना को लगभग एक वर्ष पहले से ही बनाना शुरू कर दिया था। अपनी फूट डालो और राज करो वाली नीति के तहत अंग्रेजों ने मुस्लिम लीग का अध्यक्ष मोहम्मद अली जिन्नाह को बनाया। जिसके बाद जिन्ना ने मुसलमानों के लिए एक अलग देश की मांग की।

मोहम्मद अली जिन्नाह ने अपने मंसूबों को कामयाब करने के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी एवं अन्य बड़े नेताओं पर दबाव बनाना शुरू किया और आखिर वो दिन आ ही गया जब देश के बड़े नेताओं के साथ साथ अंग्रेजों के सामने जिन्नाह ने मुसलामानों के लिए एक अलग राष्ट्र पाकिस्तान की मांग रख ही दी।

हिंदुओं के विनाश का षड्यंत्र: कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेतृत्व में विभाजन की क्रूरता

1947 में भारत को भारत और पाकिस्तान में बांट दिया गया। इस विभाजन ने सिर्फ एक भू-राजनीतिक बदलाव नहीं लाया बल्कि लाखों निर्दोष लोगों की ज़िंदगियां भी तबाह कर दीं। विशेषकर हिंदू समुदाय के लिए, यह एक बहुत ही कठिन समय था। कांग्रेस और मुस्लिम लीग की राजनीतिक रणनीतियों ने विभाजन के दौरान हिंदुओं की हत्या और उत्पीड़न को बढ़ावा दिया।

विभाजन के दौरान, पाकिस्तान में कई हिंदुओं को हिंसा और हत्या का शिकार बनाया गया। निर्दोष महिलाओं और बच्चों को भी सुरक्षित नहीं रखा गया। इन लोगों पर गंभीर अत्याचार हुए और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। यह समय था जब भारतीय संस्कृति और सामाजिक ताना-बाना पूरी तरह से ध्वस्त हो गया।

इस दिन हमें उन लोगों को याद करना चाहिए जिन्होंने अपने जीवन की कीमत पर शहीदी दी। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें अपने समाज की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए हमेशा सजग रहना चाहिए। हमें कभी भी ऐसे विभाजनकारी और हिंसक कृत्यों को नहीं अपनाना चाहिए।

भारत के तीन प्रांतों का बंटवारा और मारे दिए गए पांच से 10 लाख लोग

जिन्ना के मुस्लिमों के लिए अलग राष्ट्र की मांग की महात्मा गांधी ने भारी विरोध किया था। मगर उनकी एक न चली। उनके विरोध करने के बाद भी भारत का बंटवारा तय हो गया और पाकिस्तान के निर्माण पर मोहर लगा दी गई। अंग्रेजों ने मौके का फायदा उठाते हुए भारत के तीन प्रांत पंजाब, सिंध और बंगाल का बंटवारा किया।

बंटवारे का आधार बना हिन्दु और मुसलमान और ये तय किया गया की जिस क्षेत्र में मुसलमानों की संख्या ज्यादा होगा वो पाकिस्तान की झोली में डाल दिया जाएगा। बाकी का हिस्सा भारत ले ले। अंग्रेजों के इस चाल ने न सिर्फ देश के हिन्दू और मुसलामानों को आपस में लड़वाया। बल्कि, देश को साम्प्रदायिक दंगों की आग में झुलसा दिया। जिसमें दोनों सम्प्रदायों के लाखों परिवार और लोग मारे गए। जानकारी के अनुसार इस दंगे में करीब पांच से 10 लाख लोगों की मौत हुई थी।

ऐसे हुई विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस (Partition Horrors Remembrance Day) की हुई थी घोषणा

माननीय प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2021 को लाल किले पर अपने भाषण में 14 अगस्त को “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की थी. शिक्षा मंत्रालय ने तदनुसार 2022 से 14 अगस्त या उसके आसपास कई कार्यक्रमों का आयोजन किया है. पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने के लिए कई गतिविधियों की योजना बनाई गई है.

विभाजन के परिणामस्वरूप हुए अत्याचार

विभाजन के समय, लाखों हिंदू, सिख, और मुस्लिम समुदाय के लोगों को अपने घरों से बेदखल होना पड़ा। पश्चिमी पंजाब और पूर्वी बंगाल में साम्प्रदायिक दंगों ने एक नई विभाजन रेखा खींच दी, जिसमें धार्मिक हिंसा और प्रतिशोध की आग में हजारों लोगों की जान चली गई।

लाखों हिंदुओं की हत्या कर दी गई, जबकि हजारों हिंदू महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ। यह हिंसा इतनी व्यापक थी कि पाकिस्तान से आने वाली ट्रेनें, जिन्हें ‘डेड ट्रेन्स’ कहा जाता था, शवों से भरी होती थीं। विभाजन के दौरान मानवता की इस भयावहता को शायद ही कभी भुलाया जा सकता है।

राजनीतिक संदर्भ

1947 में भारत की स्वतंत्रता और विभाजन की पृष्ठभूमि में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग दो प्रमुख राजनीतिक दल थे। कांग्रेस का नेतृत्व पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया, जबकि मुस्लिम लीग का नेतृत्व मोहम्मद अली जिन्ना ने किया। विभाजन के समय भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अस्तित्व में नहीं थी। उस समय के राजनीतिक नेताओं की गलतियों और साम्प्रदायिक विभाजन की राजनीति ने विभाजन को अपरिहार्य बना दिया।

कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच बढ़ते तनाव ने देश को दो हिस्सों में विभाजित कर दिया। जिन्ना की मुस्लिम लीग ने मुस्लिमों के लिए एक अलग राष्ट्र की मांग की, जिसे अंततः पाकिस्तान के रूप में स्वीकृति मिली। दूसरी ओर, कांग्रेस ने एक अखंड भारत का समर्थन किया, लेकिन विभाजन की त्रासदी को टालने में असमर्थ रही।

मानवता का पतन

विभाजन के समय की घटनाओं ने दिखाया कि कैसे मानवता के बुनियादी सिद्धांतों को दरकिनार कर दिया गया। साम्प्रदायिक हिंसा ने धार्मिक और सांस्कृतिक असहिष्णुता को प्रकट किया, जो पीढ़ियों तक समाज में जड़े जमाए रही। विभाजन के दौरान लाखों लोगों को जबरन अपने घरों से निकाल दिया गया। वे लोग, जो सदियों से साथ रह रहे थे, अब दुश्मन बन गए। यह विभाजन एक मानसिक और सांस्कृतिक विभाजन भी था, जिसने लोगों के दिलों और दिमागों में एक गहरी खाई पैदा कर दी।

आज के संदर्भ में विभाजन की याद

विभाजन के दौरान हुई हिंसा और अत्याचारों को याद रखने का दिन ‘Partition Horrors Remembrance Day’ के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हमें उस समय की भयावहता और निर्दोष लोगों के संघर्ष की याद दिलाता है। यह दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि साम्प्रदायिक विभाजन का क्या नतीजा हो सकता है और कैसे हम सभी को सहनशीलता, शांति, और एकता के लिए प्रयास करना चाहिए।

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