प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi in Kanyakumari ) कन्याकुमारी में ध्यान करने के लिए पहुंच गए हैं. पीएम अगले 2 दिनों तक कन्याकुमारी में रहेंगे. पीएम मोदी करीब 45 घंटे यहां पर बिताएंगे.
आपको बता दें कि पीएम मोदी उसी स्थान पर ध्यान लगा रहे हैं जहां पर स्वामी विवेकानंद ने लगाया था. पीएम मोदी की इस यात्रा को लेकर कन्याकुमारी और खासतौर पर विवेकानंद रॉक मेमोरियल के पास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.
PM नरेंद्र मोदी कन्याकुमारी पहुंचकर सबसे पहले मां भगवती अम्मन मंदिर में पूजा अर्चना करने पहुंचे. इसके बाद वह विवेकानंद रॉक मेमोरियल (विवेकानंद शिला पर) ध्यान लगाने के लिए पहुंचे हैं.
कन्याकुमारी वही स्थान है, जहां स्वामी विवेकानंद को भारत माता के दर्शन हुए थे. इसी शिला का स्वामी विवेकानंद के जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ा था.
लोगों का मानना है कि जैसे सारनाथ गौतम बुद्ध के जीवन में विशेष स्थान रखता है, वैसे ही यह चट्टान स्वामी विवेकानंद के जीवन में भी वैसा ही खास स्थान रखता है. स्वामी विवेकानंद देश भर में घूमने के बाद यहां पहुंचे और तीन दिनों तक ध्यान किया और ‘विकसित भारत’ का सपना देखा था.
स्वामी विवेकानंद के ध्यान स्थल पर पीएम मोदी का पहुंचकर ध्यान करने की योजना ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण को जीवन में उतारने के प्रति पीएम मोदी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. यह वही स्थान है, जहां धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी पार्वती ने एक पैर पर बैठकर भगवान शिव की प्रतीक्षा की थी.
यह जगह भारत का सबसे दक्षिणी छोर है. इसके अलावा, यह वही स्थान है, जहां भारत की पूर्वी और पश्चिमी तट रेखाएं मिलती हैं. यह हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का मिलन बिंदु भी है. पीएम मोदी कन्याकुमारी जाकर राष्ट्रीय एकता का संकेत देना चाहते हैं.
मौन रहेंगे पीएम मोदी, सिर्फ तरल आहार लेंगे
पीएम मोदी का ध्यान शाम 6:45 बजे शुरू हो गया है. अब 45 घंटे ध्यान करेंगे. इन 45 घंटों तक उनका आहार केवल नारियल पानी, अंगूर का रस और अन्य तरल पदार्थ होगा. वह ध्यान कक्ष से बाहर नहीं निकलेंगे और मौन रहेंगे. बता दें कि जब गुरुवार को पीएम मोदी तमिलनाडु पहुंचे तो उन्होंने पहले यहीं के पास स्थित भगवती अम्मन मंदिर में पूजा की.
यहीं से वह विवेकानंद रॉक मेमोरियल पहुंचें और अब वह यहां लगभग दो दिनों तक के लिए ध्यान में बैठ गए हैं. 1 जून को अपने प्रस्थान से पहले पीएम मोदी यहां संत तिरुवल्लुवर की प्रतिमा का दौरा भी कर सकते हैं. स्मारक और मूर्ति दोनों छोटे-छोटे टापुओं पर बनाए गए हैं, जो समुद्र में अलग-अलग और टीले जैसी चट्टानी संरचनाएं हैं.