लोकसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान के साथ ही सभी राजनीतिक दल चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं। रैलियों का दौर जारी है। कल इंडिया गठबंधन ने मुंबई में रैली की तो वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी 120 घंटे के “दक्षिण विजय अभियान” पर हैं।
भाजपा अपने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए “400 पार” के नारे को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। यह नारा तभी सच होगा जब भाजपा दक्षिण भारत के दुर्गों, खासकर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में जीत हासिल कर ले।
दक्षिण भारत: भाजपा के लिए चुनौती:
दक्षिण भारत हमेशा से ही भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है। इन राज्यों में क्षेत्रीय दलों का मजबूत जनाधार रहा है।
तमिलनाडु: द्रविड़ मुनेत्र कळगम (DMK) और अन्नाद्रविड़ मुनेत्र कळगम (AIADMK) जैसे दलों का यहां दबदबा रहा है।
आंध्र प्रदेश: वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) का यहां मजबूत जनाधार है।
केरल: यहां वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) का वर्चस्व है।
भाजपा की रणनीति:
भाजपा इन राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कई रणनीति अपना रही है:
स्थानीय नेताओं पर भरोसा: भाजपा स्थानीय नेताओं पर भरोसा कर रही है जो इन राज्यों की राजनीति और संस्कृति को अच्छी तरह समझते हैं।
हिंदुत्व का मुद्दा: भाजपा हिंदुत्व के मुद्दे पर ज़ोर दे रही है, खासकर राम मंदिर निर्माण के बाद।
विकास कार्यों पर ज़ोर: भाजपा केंद्र सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों को लोगों तक पहुंचाने पर ज़ोर दे रही है।
सामाजिक गठबंधन: भाजपा विभिन्न सामाजिक समूहों को जोड़ने के लिए प्रयास कर रही है।
क्या भाजपा 400 पार का लक्ष्य हासिल कर पाएगी?
यह कहना अभी मुश्किल है कि भाजपा 400 पार का लक्ष्य हासिल कर पाएगी या नहीं। चुनाव परिणाम कई कारकों पर निर्भर करेंगे, जिनमें विपक्ष की रणनीति, मतदाताओं का मूड और देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति शामिल हैं।
निष्कर्ष:
दक्षिण भारत में जीत हासिल करना भाजपा के लिए 400 पार के लक्ष्य को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है। “दक्षिण विजय अभियान” इस दिशा में भाजपा का एक महत्वपूर्ण कदम है।