प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने CNN-News18 द्वारा आयोजित ‘Rising Bharat Summit’ में वक़्फ़ संशोधन क़ानून को सामाजिक न्याय की दिशा में एक ठोस और बड़ा क़दम करार दिया।
पीएम नरेंद्र मोदी ने वक्फ बोर्ड ऐक्ट की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि पहले लोगों को यह भरोसा नहीं रहा कि उनकी जमीन सुरक्षित रहेगी। उनके अनुसार, चाहे मंदिर हो, चर्च, गुरुद्वारा, खेत या सरकारी जमीन, बस एक नोटिस आता था और लोग अपने ही घर के कागज ढूंढने लगते थे। इस तरह की स्थिति ने समाज में अविश्वास और भय पैदा कर दिया था।
वक्फ बोर्ड ऐक्ट का मूल उद्देश्य
मोदी ने बताया कि वक्फ बोर्ड ऐक्ट का निर्माण पसमांदा मुस्लिमों, गरीबों और महिलाओं के हित में किया गया था। देश में तुष्टिकरण की राजनीति की वजह से व्यापक सामाजिक दिक्कतें सामने आईं। उन्होंने यह भी कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के समय ही ऐसी राजनीति के बीज बो दिए गए थे, जिसकी वजह से विभाजन और अन्य विवादों का सिलसिला जारी रहा।
कानून का दुरुपयोग और सामाजिक प्रभाव
पीएम मोदी ने वर्ष 2013 में हुए संशोधन की ओर भी इशारा किया, जिसके तहत वक्फ बोर्ड में बदलाव किए गए थे। इस बदलाव का मकसद कट्टरपंथी संगठनों और भूमाफियाओं को संतुष्ट करना था, जिससे संविधान की गरिमा पर प्रश्नचिन्ह लग गया। केरल में ईसाई समुदाय के जमीन अधिकार, हरियाणा में गुरुद्वारा विवाद एवं कर्नाटक में जमीन से संबंधित मामले ऐसे कुछ उदाहरण हैं, जहाँ कानून का दुरुपयोग साफ दिखाई दिया।
न्याय की स्थापना की दिशा में कदम
मोदी ने जोर देकर कहा कि अब वक्फ बोर्ड ऐक्ट के माध्यम से न्याय किया जा रहा है। नये कानून के कार्यान्वयन से न केवल वक्फ की पवित्र भावना की रक्षा होगी, बल्कि गरीब, पसमांदा मुस्लिम और उनके बच्चों के हित भी सुरक्षित रहेंगे। उन्होंने कहा कि यह कदम लोकतंत्र की प्रभावशीलता और न्याय व्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
पीएम नरेंद्र मोदी की यह टिप्पणी दर्शाती है कि कैसे पुरानी नीतियाँ समाज में भय और अस्थिरता पैदा करती थीं। वर्तमान सुधारात्मक उपाय न केवल नागरिकों की संपत्ति के अधिकारों की सुरक्षा करने में सहायक होंगे, बल्कि भविष्य में न्याय और स्थिरता की नई राह भी खोलेंगे।