“तपस्‍या से गर्मी पैदा होती है”: संसद में एक बार फिर राहुल गांधी अपने इस बेतुके बयान की वजह से हुए ट्रोल

संव‍िधान पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने संसद में ‘तपस्‍या’ का मतलब समझाया. लेकिन उन्‍होंने ऐसी-ऐसी बातें बताईं क‍ि संसद में ठहाके लगने लगे. सत्‍ता पक्ष के साथ विपक्ष के भी कई नेता संसद में हंसते नजर आए. बाद में बीजेपी नेता रव‍िशंकर प्रसाद ने इसका जवाब द‍िया. उन्‍होंने राहुल गांधी को तपस्‍या का मतलब समझाया.

राहुल गांधी ने कहा क्‍या

सदन में एकलव्‍य का ज‍िक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा,जब मैं छोटा था तो देखता था क‍ि एक बच्‍चा सुबह 4 बजे तपस्‍या करता था. वह धनुष चलाता था. खूब मेहनत करता था. जब विपक्ष ने तपस्‍या शब्‍द पर टोका तो राहुल गांधी थोड़े संभले. उन्‍होंने कहा, धनुष में तपस्‍या है,

मनरेगा काम में तपस्‍या है. लेकिन इसके बाद राहुल गांधी जो बोल गए, उससे सांसद हंस पड़े. राहुल गांधी ने कहा-‘तपस्‍या का मतलब शरीर में गर्मी पैदा करना’. यह सुनते ही पूरा सदन ठहाकों से गूंज गया. विपक्ष कहने लगा क‍ि राहुल गांधी को शायद तपस्‍या का सही मतलब नहीं पता. तब राहुल गांधी कहने लगे, समझ‍िए. तप का यही मतलब है, तपस्‍या का यही मतलब है.

रव‍िशंकर ने समझाया मतलब

इसके बाद जब रव‍िशंकर प्रसाद को जवाब देने का मौका मिला तो उन्‍होंने कहा, जब मैं विपक्ष के नेता को सुन रहा था तो मुझे नया नया ज्ञान प्राप्‍त हो रहा था. 6-7 साल की उम्र में आदमी युवा हो जाता है, ये पहली बार सुना है. तपस्‍या से गर्मी आती है, ये दूसरा ज्ञान मिला. इन्‍हें कौन पढ़ा रहा है. मैंने पहले भी कहा है क‍ि वो होमवर्क नहीं करते.

लेकिन तपस्‍या जैसे पव‍ित्र शब्‍द को क्‍यों बदनाम कर रहे हैं? कह रहे हैं क‍ि तपस्‍या से गर्मी आती है. विपक्ष के नेता को समझना चाह‍िए क‍ि तपस्‍या वो चीज है, जिससे महान ऋषि‍यों ने समर्पण क‍िया. शास्‍वत रूप से क्‍योंक‍ि वे अनंत के साथ मिल गए. तपस्‍या ये होती है. रव‍िशंकर प्रसाद ने कहा, तपस्‍या को अगर जानना हो तो एक बार गांधीजी को पढ़ लीजिए.

सावरकर पर भी द‍िया जवाब

सावरकर का नाम लेने पर भी रव‍िशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी को जवाब द‍िया. उन्‍होंने कहा, मुझे मालूम है क‍ि सावरकर से उन्‍हें काफी दिक्‍कत है. एक बार इन्‍हें अंडमान निकोबार की सेलुलर जेल ले जाना चाहिए. जहां 11 साल वीर सावरकर बंद थे. मैं तीन बार उस जेल में गया हूं और जब भी गया हूं तो रोया हूं. उनको लिखने के ल‍िए कलम तक नहीं मिलती थी. और नीचे फांसी दी जाती थी, ताकि सावरकर डरें. आप राजनीत‍ि के ल‍िए कुछ भी बोल‍िए, लेकिन ज‍िस व्‍यक्‍त‍ि ने इस देश के ल‍िए सबकुछ समर्पित कर द‍िया, उसके ल‍िए कुछ न बोलें.

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