राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने महाराष्ट्र के नागपुर में वार्षिक विजयादशमी उत्सव में ‘शस्त्र पूजा’ कर कार्यक्रम की शुरुआत की। हर साल ये कार्यक्रम दशहरे के अवसर पर किया जाता है। इसके बाद मोहन भागवत संघ के सदस्यों को संबोधित करेंगे।
मोहन भागवत के इस संबोधन में कई संदेश भी होते हैं। संघ सदस्यों के लिए ये दिन काफी अहम है। दरअसल, हर साल विजयदशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा पूरे विधि-विधान के साथ शस्त्र का पूजन की जाती है। इसी दिन संघ की स्थापना की गई थी। 27 सितंबर 1925 में विजयादशमी के दिन संघ की स्थापना हुई थी।
जानकारी के लिए आपको बता दें, पद्मभूषण डॉक्टर के. राधाकृष्णन एवं पूर्व अध्यक्ष भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।
स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे संघ प्रमुख
इसके बाद संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे। विजयदशमी उत्सव संघ के लिए अपना एक खास महत्व है। संघ प्रमुख इस दौरान स्वयंसेवकों को संबोधित करते हैं। उनके संबोधन में संघ के भविष्य के कार्यक्रम और नीतियां स्पष्ट होती हैं।
रेशम बाग में आयोजित हो रहा समारोह
संघ की 1925 में स्थापना हुई थी। ऐसे में 2024 विजय दशमी से 2025 विजयादशमी तक संघ अपना शताब्दी वर्ष आरंभ कर रहा है। रेशम बाग मैदान में सुबह मुख्य समारोह आयोजित किया गया है।
संघ के स्वयंसेवकों का निकला पथ संचलन
संघ प्रमुख के संबोधन से पहले संघ के स्वयंसेवकों का पथ संचलन निकाला है। रेशम बाग मैदान से दो पथ संचलन की टुकडियां निकली हैं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इसका अवलोकन मुख्य अतिथि के साथ किया है।
दंड युद्ध का करेंगे प्रदर्शन
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उद्बोधन से पहले आरएसएस के स्वयंसेवक दंड युद्ध का प्रदर्शन भी करेंगे। विजयदशमी उत्सव के दौरान ध्वज प्रणाम, शस्त्र पूजन, पथ संचलन, घेाषवाद का प्रत्याक्षीक स्वयंसेवकों द्वारा किया जाएगा।