भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में संविधान पर चर्चा के दौरान कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का गठन देश में तुष्टिकरण की शुरुआत था। उन्होंने यह बयान उस समय दिया जब संविधान की मूल भावना और नागरिकों के समान अधिकारों की बात हो रही थी। शाह का कहना था कि किसी भी समाज को धर्म के नाम पर विशेषाधिकार देना सही नहीं है क्योंकि इससे समाज में असमानता पैदा होती है।
अमित शाह ने कहा कि भारतीय संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है, और यह धर्मनिरपेक्षता की भावना को बढ़ावा देता है। उनका मानना है कि किसी भी विशेष धर्म को अन्य धर्मों से ऊपर मानने की कोशिश देश के सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर सकती है। इस संदर्भ में उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को उदाहरण के रूप में पेश किया, जो उनके अनुसार देश में तुष्टिकरण की शुरुआत का कारण बना।
शाह ने यह भी कहा कि भारतीय समाज को सामूहिकता और समानता की ओर बढ़ना चाहिए, और संविधान ने जो आधार तैयार किया है, उसे मजबूत करना चाहिए। उनका यह बयान एक ऐसे समय में आया है जब देश में धार्मिक समानता और कानूनों की सख्ती पर बहस तेज हो गई है। वे यह भी मानते हैं कि हर नागरिक को धर्म से ऊपर उठकर देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए काम करना चाहिए।
अमित शाह के इस बयान ने देशभर में कई प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं। कुछ लोग इसे एक सकारात्मक कदम मानते हैं, जो समाज में समानता और एकता को बढ़ावा देगा, जबकि कुछ लोग इसे धार्मिक मुद्दों पर राजनीति करने के रूप में देख रहे हैं।