संभल जिले की शाही जामा मस्जिद के सर्वे रिपोर्ट ने एक महत्वपूर्ण विवाद को जन्म दिया है, जिसमें यह दावा किया गया है कि यह स्थल वास्तव में हरिहर मंदिर का हिस्सा है। इस रिपोर्ट में कई ऐसे सबूत प्रस्तुत किए गए हैं, जो मंदिर होने के संकेत देते हैं।
संभल के जामा मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में पेश
19 और 24 नवंबर 2024 को शाही जामा मस्जिद का सर्वे किया गया था। यह सर्वे उस याचिका के संदर्भ में किया गया था, जिसमें मस्जिद को हरिहर मंदिर बताया गया था। कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने 45 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की, जिसे 2 जनवरी 2025 को सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में पेश किया गया।
रिपोर्ट में प्रमुख बिंदु
मंदिर के संकेत
1. प्लास्टर के नीचे छिपे सबूत: रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि मस्जिद की दीवारों पर प्लास्टर के नीचे मंदिर के कुछ निशान छिपे हुए हैं। यह संकेत देते हैं कि इस स्थल का धार्मिक महत्व हो सकता है।
2. घंटे वाली जगह पर झूमर: सर्वे में पाया गया कि मस्जिद के एक हिस्से में घंटी रखने की जगह पर झूमर लटकाया गया है, जो मंदिरों की विशेषता होती है।
3. फूलों के निशान: रिपोर्ट में 50 से अधिक फूलों के निशान मिले हैं, जो हिंदू धार्मिक प्रतीकों से जुड़े होते हैं।
4. बरगद के पेड़: मस्जिद परिसर में दो बरगद के पेड़ भी पाए गए हैं, जो हिंदू संस्कृति में महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
5. कुआं: एक कुआं भी मिला है, जिसका उल्लेख मंदिरों में सामान्यतः होता है। इसकी गहन जांच की आवश्यकता है।
सर्वे प्रक्रिया और विवाद
सर्वे के दौरान प्रशासन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हिंसा की घटनाएं भी हुईं, जिससे सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई। पुलिस ने इस दौरान कई आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें से कुल 47 लोग अब तक पकड़े जा चुके हैं।
आगे की कार्रवाई
रिपोर्ट को न्यायालय में पेश करने के बाद अब अगली सुनवाई का इंतजार किया जा रहा है। एडवोकेट कमिश्नर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया जाएगा।
संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वे एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है, जिसमें धार्मिक पहचान और ऐतिहासिक महत्व दोनों ही शामिल हैं। इस मामले पर आगे की कानूनी कार्रवाई और समाज में इसके प्रभाव पर ध्यान देना आवश्यक होगा। अदालत द्वारा लिए गए निर्णय से यह स्पष्ट होगा कि क्या इस स्थल को मंदिर के रूप में मान्यता दी जाएगी या नहीं।