Sardar Patel Death Anniversary: सरदार पटेल के वो फैसले जिसने भारत को किया एकजुट, नवाबों के मंसूबों पर फेरा पानी

Sardar Patel Death Anniversary: सरदार पटेल के फैसले: भारत को एकजुट करने वाले लौह पुरुष

सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें लौह पुरुष के नाम से जाना जाता है, ने स्वतंत्र भारत के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने न सिर्फ भारत को एकजुट किया, बल्कि उन नवाबों और रियासतों के मंसूबों को भी ध्वस्त किया, जो भारत के टुकड़े करना चाहते थे। उनकी मृत्यु 15 दिसंबर 1950 को हुई, लेकिन उनके फैसले आज भी भारत के एकजुटता के प्रतीक हैं।

रियासतों का भारत में विलय

1947 में स्वतंत्रता के समय भारत में 562 रियासतें थीं। इन रियासतों को भारतीय संघ में मिलाना एक चुनौती थी। सरदार पटेल ने अपने कुशल नेतृत्व और दृढ़ निश्चय से यह कार्य पूरा किया। उन्होंने रियासतों के राजाओं और नवाबों को समझाया कि भारत के साथ जुड़ना ही उनके और जनता के लिए बेहतर है।

हैदराबाद का ऑपरेशन पोलो

हैदराबाद रियासत का निज़ाम भारत के साथ विलय के लिए तैयार नहीं था। वह पाकिस्तान के साथ जुड़ने का सपना देख रहा था। सरदार पटेल ने इसे भारत की सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा माना। उन्होंने भारतीय सेना को हैदराबाद भेजा, जिसे ‘ऑपरेशन पोलो’ के नाम से जाना जाता है। इस कार्रवाई से निज़ाम की सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया, और हैदराबाद भारत का हिस्सा बन गया।

जूनागढ़ की समस्या का हल

जूनागढ़ रियासत का नवाब पाकिस्तान के साथ जुड़ना चाहता था। सरदार पटेल ने जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए जूनागढ़ को भारत में शामिल कर लिया। उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से इस विवाद को हल किया और नवाब को देश छोड़ने पर मजबूर किया।

कश्मीर के मुद्दे पर निर्णायक भूमिका

कश्मीर का भारत में विलय एक संवेदनशील मुद्दा था। जब पाकिस्तान ने कबाइलियों की मदद से कश्मीर पर हमला किया, तो महाराजा हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी। सरदार पटेल ने तुरंत भारतीय सेना को भेजा, जिससे कश्मीर को बचाया जा सका।

भारत की एकता और अखंडता के रक्षक

सरदार पटेल ने अपने जीवन में जो फैसले लिए, उन्होंने भारत को एक मजबूत और एकजुट राष्ट्र बनाया। चाहे रियासतों का विलय हो, हैदराबाद का समाधान हो या जूनागढ़ की समस्या, उन्होंने हर चुनौती का सामना साहस और रणनीति से किया।

सरदार पटेल ने अपनी दूरदर्शिता, नेतृत्व और दृढ़ता से भारत को एकजुट किया। उनके फैसले केवल राजनीतिक नहीं थे, बल्कि भारत की जनता के भविष्य को सुरक्षित करने वाले थे। आज उनकी पुण्यतिथि पर, हमें उनकी दूरदृष्टि और सेवा को याद करना चाहिए और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।

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